ये है ताऊ के जीवन का असली राज

ताऊ आज भी कुछेक लोगों के लिये रहस्य ही बना हुआ है. ताऊ कौन है? क्या है उसका नाम गाम, पता? शायद कुछ लोग जानते हैं और कुछ जो सब कुछ जानने का दावा करते हैं वो कुछ भी नही जानते. अक्सर लोग यह भी जानना चाहते हैं कि ताऊ, तुम ताऊ कैसे बने? ताऊ जवाब देता हैं कि भाई हमारे जीवन में जब से ताई का आगमन हुआ है उसके बाद ही हम ताऊ बने वर्ना आदमी बडे काम के थे. लोग इस जवाब को उटपटांग सा मानते हैं और समझते हैं कि ताऊ का दिमाग सटका हुआ है. लोगों की रामप्यारी के बारे में भी जिज्ञासा रहती है कि ये क्या वाकई बिल्ली है? कहां से आई...इत्यादि इत्यादि...?

आज हम सब बातों का खुलासा कर ही देते हैं, पर इसके लिये आपको थोडा पीछे चलना होगा. बात उन दिनों की है जब बाबा ताऊआनंद, गुरू समीरानंद के साथ मां नर्मदा के तट पर स्थित अपने बंदरकूदनी योगाश्रम में बैठकर ब्लाग तपस्या किया करते थे.

बंदरकूदनी आश्रम में तपस्या करते हुये गुरू चेले


दोनों गुरू चेले ऐसी ब्रहम चर्चा किया करते थे जैसे ब्लाग मठाधीष अपने चेले चपाटों से किया करते हैं कि कैसे कहां टिप्पणी करना है? किसको टिप्पणी नही देना है, कब कहां किसकी टांग खींचना है? किसकी खटिया के नीचे आग लगाना है? कहां पर मामा मारीच को भेजना है?, कहां पर सुर्पणखां की ड्यूटी लगानी है? कहां ब्लाग सम्मेलन करवाना है? और उस सम्मेलन में किसको बुलाना है? किसको किराया भत्ता देना है? किसको खो करना है? खो करना....मतलब किसको आने से रोक देना है, किसका स्ट्रिंग आपरेशन करवाना है.....किसकी चर्चा में ऐसी तैसी करनी है? इस प्रकार उच्च्कोटि की ब्लाग ब्रह्म साधना दोनों गुरू चेले किया करते थे और सदैव इस शाश्त्र चर्चा में लीन रहा करते थे. गुरू ने एक महा ग्रंथ भी इस विषय में अपने हाथ से लिख रखा था.

समय ऐसे ही गुजरता जा रहा था कि एक दिन अकस्मात गुरू समीरानंद बोले - वत्स ताऊनाथ, हम और अधिक ज्ञान प्राप्ति और घनघोर तपस्या के लिये इसी समय पाताल लोक प्रस्थान करना चाहते हैं.

चेला ताऊनाथ बोला - गुरूदेव हम भी आपके साथ ही चलूंगा.

गुरू समीरानंद बोले - वत्स, मूर्खता मत करो, यहां बंदरकूदनी पर हमने अपना मठ बडी मुश्किल से खडा किया है, तुम यहां इसकी देखभाल करो, हम कनाडे (पाताल लोक) जाकर वहां एक नया मठ खडा करेंगे, हमने सुना है वहां डालर बरसते हैं.....हम समय आने पर वापस यहीं बंदरकूदनी आश्रम पर लौटेंगे. अब ये बंदरकूदनी आश्रम तुम्हारे हवाले करके हम कनाडे के लिये प्रस्थान करते हैं और महा ग्रंथ शाश्त्र का पूरा ध्यान रखना, ये शाश्त्र बडा कीमती है, कहीं खराब ना हो जाये. और गुरू समीरानंद वहां से रवाना होगये.

इसके बाद बाबा ताऊनाथ बंदरकूदनी आश्रम के मठाधीष बनकर ब्लाग ब्रह्मचर्चा की बीन बजाने लगे. एक दिन बाबा ताऊनंद ने देखा कि कुछ चूहे आश्रम में घुस आये हैं और शाश्त्र की पवित्र किताब को कुतर गये हैं. अब बाबा ताऊनाथ का ध्यान ब्लाग ब्रह्म चर्चा में कम और शाश्त्र की देखभाल में ज्यादा लगने लगा.

आखिर एक दिन आश्रम के परम भक्त सतीश सक्सेना ने सलाह दी की ताऊ महाराज, आप एक बिल्ली पाल लिजिये, वो चूहे खा जायेगी और आपको शाश्त्र की चिंता नही करनी पडेगी, आप आराम से ब्लाग ब्रह्म चर्चा में लीन रह सकेंगे. और उन्होने ताऊ को एक बिल्ली भेंट कर दी, जिसे आप रामप्यारी के नाम से जानते हैं.

यहां तक भी ठीक था, पर अब रामप्यारी के लिये दूध की जरूरत पडने लगी, महाराज ताऊ और भी परेशान रहने लगे, तभी आश्रम के महा परम भक्त डाक्टर टी.सी. दराल ने सलाह दे डाली - अरे बाबा ताऊ महाराज, इसमै कुण सी बडी बात सै? नु करो कि रामप्यारी के लिये एक झौठडी (भैंस) आश्रम में बांध लो, बस रामप्यारी हमेशा दूध पिया करेगी और चूहों से महा ग्रंथ शाश्त्र की रखवाली करती रहेगी, बाबा ताऊनाथ को ये फ़ड्डा बहुत पसंद आया. दराल साहब ने आश्रम में एक ताजा ब्याई हुयी झौठडी काटडे के साथ में भिजवादी.

अभी तक तो शाश्त्र, चूहे और रामप्यारी की ही चिंता करनी पडती थी अब नई मुसीबत खडी हो गई...झौठडी को भी चारा पानी देने की जिम्मेदारी बढ गई....साथ में काटडा भी परेशान करने लगा...ताऊ महाराज परेशान....परेशान बैठे थे कि इतनी ही देर मे आश्रम के परम भक्त राज भाटिया पधारे.

बाबा ताऊ महाराज ने सारी समस्या बतायी. भाटिया जी बोले - महाराज ताऊ श्री मेरे पास एक बिल्कुल शानदार आईडिया है. आप उस आईडिये पर चलो, फ़िर देखो कि सब काम कैसे अपने आप हो जायेंगे, आपको ना रामप्यारी को दूध देना पडेगा और ना झौठडी और काटडे को संभालने का झंझट करना पडेगा, सब काम अपने आप हो जायेंगे.

बाबा ताऊ आनंद बोले - हे भक्त अब जल्दी से वो आईडिया बतावो, हम बहुत परेशान हैं. ईश्वर तुम्हारा कल्याण करेगा...

राज भाटिया बोले - महाराज ताऊ, आप एक काम करिये शादी कर लिजिये, शादी करते ही सब काम काज घर वाली करेगी और आप नित्य ब्लाग ब्रह्म शाश्त्र की चर्चा, टिप्पणी करते रहियेगा. और मैने एक बढिया लडकी देख रखी है उससे आपकी शादी करवाने का जिम्मा मेरा.

राज भाटिया की ये बात महाराज ताऊनाथ को अति प्रिय लगी और इस तरह शादी के बाद ताई का आगमन हो गया. शादी के समय राज भाटिया ने चार मेड इन जर्मन लठ्ठ ताई को भेंट स्वरूप दे दिये.

अब कहां का महा ग्रंथ शाश्त्र और कहां की चर्चा.... बाबा ताऊ आनंद सब कुछ भूल भाल गये और दुनिया दारी में समा गये.

कुछ समय बाद गुरू समीरानंद बंदरकूदनी आश्रम पधारे तो वहां आश्रम की जगह घर गॄहस्थी बसी हुई थी और ताऊ के सर पर ताई दे दनादन लठ्ठ मार रही थी. ताऊ आगे..आगे और ताई लठ्ठ लिये पीछे...पीछे भागी जा रही थी. गुरू समीरा नंद ने चेले ताऊ की और देख कर इशारे से पूछा कि ये क्या हो रहा है?

ताऊ महाराज बोले - गुरू देव यह सब तुम्हारे शाश्त्र की देखभाल की वजह से हुआ है और इन परम भक्तों यानि सतीश सक्सेना, डाक्टर दराल और राज भाटिया की बातों में आकर ही मैं इस दुर्गति तक पहूंचा हूं.

गुरू समीरानंद बोले - ताऊ चिंता मत कर, मैं भी पाताल लोक जाकर इस में फ़ंस गया हूं. खैर.... एक से भले दो ....अब बाबागिरी अगले जन्म में करेंगे, इस जन्म में तो ब्लागरी से ही काम चलाना पडेगा..

(क्रमश:)

Comments

  1. रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
    ताऊ हमको भी साथ ले लेते तो एक से तीन हो जाते!
    रक्षाबन्धन के पुनीत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  3. ताऊ की जय हो। आज तो ताऊ पुराण की कथा सुनने का पुण्य भी मिल गया।

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  4. चल ए ताऊ....ब्लॉगरी में ही जरा जम से लग जा अब...ये सतीश भाई, दराल सा, भाटिया जी ने तो बंटाधार कर ही दिया.कनेडा भी कुछ बेकार सा ह निकला...


    हम और अधिक ज्ञान प्राप्ति और घनघोर तपस्या के लिये इसी समय पाताल लोक प्रस्थान करना चाहते हैं.


    सो अब शायद दुबई की राह पकड़ना पड़ेगी...तब तक ज्रा ताई के वश में रह....वो राह ही ठीक सैं...बाकी सब तो मिथ्या है...

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  5. सार यही है की कुछ भी हो पर
    बिल्ली मत पालिए !
    वही से शुरू हुआ सारा बखेड़ा !

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  6. बहुत कुछ कह गए ताऊ जी आप इस रोचक से वार्तालाप के माध्यम से जीवन में संभल कर चलने की बहुत आवश्यकता है .....वर्ना कोई भी कभी भी हमें अपने लक्ष्य से भटका सकता है .....!

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  7. ताऊ ऐसा कर कि दो चार टाबर-टूबर भी कर ले जिससे आश्रम की नयी शाखाएं भी खुल जाएगी। फिर ताई के साथ कनेडा आश्रम में भी घूम आइयो।

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  8. फिर बेवकूफ बना कर अपनी पोस्ट पढ़ा दी ताऊ..!
    चेलों को भी नहीं मालूम कि ताऊ कौन है हो तो बतायें...!

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  9. हा हा हा ! गुरु चेले की ब्रह्म चर्चा तो ग़ज़ब की थी .

    और इन परम भक्तों यानि सतीश सक्सेना, डाक्टर दराल और राज भाटिया की बातों में आकर ही मैं इस दुर्गति तक पहूंचा हूं.----ताऊ हमने
    जो झौठडी भिजवाई थी वो तै इब बाखड़ी हो गई होगी . वो कोई म्हारे तरियां सदा ज़वान थोड़ी रह सके थी .

    पर ये भाटिया जी ने आप ही नहीं , कईयों को ये सलाह देकर फंसाया है .

    हा हा हा ! आज तै चाला पाड़ दिया ताऊ !

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  10. जो हो, जैसे हो, अच्छे हो। बस पर्दे पर जल्दि-जल्दि आया करो।
    राम-राम।

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  11. अजीत गुप्ता जी ने सही सलाह दी है ..जब अब तक औरों की मानी तो ये भी मान कर देख लो ताऊ ... शायद दुर्गति सदगति में बदल जाये ..

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  12. ताऊ श्री ,ब्लॉगरी बाबा गिरी से कम नहीं है |

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  13. @बाबागिरी अगले जन्म में करेंगे

    ताऊ हमें तो इसी जनम में मजा आ रहा है : बाबागीरी में.

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  14. यो तो सब ठीक स ताऊ श्री.
    समीरा टेडी और राम प्यारे से कब मिलन हुआ आपका. कहीं समीरानंद ही तो कनाडा में लिंग परिवर्तन कराकर समीरा टेडी नहीं हो गए ण.
    असली राज को तो अभी भी छिपा रखा है आपने.
    खैर कोई बात नहीं.
    तमने और ताई ने रक्षाबन्धन और स्वतंत्रता दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  15. ताऊ जी पर्दा कब उठेगा यह बता दो आप कहीं भी रहो सुखी रहो :)

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  16. शास्त्र- रक्षा करने की जिम्मेदारी से शुरू हुई सभी समस्याएं!रोचक गाथा.
    रक्षाबन्धन की
    हार्दिक शुभकामनाएँ

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  17. सही गुरु-चेला ( आप और समीरानंद ) हो गुरुदेव, लगता है ब्लॉग जगत में रोजमर्रा की उठापटक में लगता आपका ही हाथ है !

    जहाँ तक मामला ताई का है उसे छोड़ क्यों नहीं देता कब तक पिटेगा ताऊ ?

    शुभकामनायें ताऊ !

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  18. भाई साहब,रक्षा बंधन पर आपको बहुत शुभकामनायें,
    पोस्ट लिख रहा था लेकिन शीर्षक पहले ही प्रकाशित हो गया पोस्ट बाद में बनी ,
    एक बार पुनः पोस्ट देख लें,http://manjulmanoj.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
    आदर सहित
    --मनोज.

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  19. समीरानन्द की ओरीजिनल फोटो लगा डाली, ताऊ!! हा हा

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  20. असली राज कहाँ बताया है ताऊ जी ! अभी तो चेहरा भी छिपा रखा है !

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  21. परम भक्तों की जय .
    आज पता चला कि परमभक्त उद्धारकारक भी होते हैं :)

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  22. भाई मैं तो दुबई में राह तकूंगा .. के पता इसे पाताल समझ कर समीर भाई इधर आ लें ...

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  23. आप तो बहुत कुछ छिपा गये ताऊ जी,अगली पोस्ट में ही मामला साफ़ हो सकेगा,आभार.

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  24. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  25. बहुत बढ़िया, रोचक और ज़बरदस्त लगा!
    आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  26. ताऊ का पता लगाना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है...हम तो एक बार उनके यहाँ इंटरव्यू भी दे आये थे लेकिन अभी तक ये पता नहीं चल पाया के जिस बन्दे ने इंटरव्यू लिया था वो ही ताऊ था या कोई और...

    नीरज

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  27. तो आजकल आप बन्दर कुदनी आश्रम में हैं ......?
    यहाँ कामख्या में भी आइयेना समीरानंद जी से साथ .....
    सुना है आजकल वे गुफाओं में कोई उपन्यास लिखने में मग्न हैं .....

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  28. स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं.....

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  29. ताऊ फिर अपनी पर उतरते दीख रहे हैं :)

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