सभी राजकुमारों ने रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक के लिये जिद्द की!

महारानी ताई गांधारी और महाराज ताऊ धृतराष्ट्र अपने शयन कक्ष में जाने के लिये उठने ही वाले थे कि अचानक से बाल सेना (ब्लागपुत्रों) ने उनको घेर लिया और प्रणाम किया. अचानक इस तरह से बच्चों को आया जानकर महाराज और महारानी अत्यंत प्रसन्न हो गये. ये तो सभी जानते हैं कि आजकल बच्चे भी माता पिता के पास कोई जरूरत हो तभी जाते हैं वर्ना दूर ही रहते हैं.

सभी राजकुमार महाराज और महारानी से रोहतक जाने के लिये आज्ञा मांगते हुये

युधिष्ठर ने लाड से महाराज के गले में हाथ डालते हुये पूछा - तातश्री, कल हम सभी रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक मनाने जाना चाहते हैं आपकी आज्ञा के लिये आये हैं.

ताऊ महाराज - नही नही वत्स, झील बहुत गहरी है और उसमें डूबने का खतरा भी होता है और उसी झील में वो मेंढक और मेंढकी भी रहती है जिसने हमको बुरी तरह लुटवा पिटवा दिया था....

महाराज की बात बीच में काटकर दुर्योधन बोला - अरे पिताश्री, आप भी किस जन्म की बात करते हैं? उस झील के सारे मेंढक मेंढकियों का तो मेडिकल कालेजों में कब का डिसेक्शन हो चुका...आजकल शेर बाघ तक नही बचे और आप मेंढकों से डर रहे हैं? अब हम कल जा रहे हैं तो जा रहे हैं...आपको आज्ञा तो देनी ही पडेगी.

दुर्योधन की बात पर महारानी गांधारी उसे डांटते हुये बोली - दुर्योधन...ये कौन सी भाषा में बात कर रहे हो? अपने पिताश्री से इस तरह की बदतमीजी? नही नही...ये नही चलेगा...और कल कोई भी रोहतक पिकनिक मनाने नही जायेगा...फ़िर कल तुम्हारा स्कूल भी है...पिछली बार भी तुम टर्म एक्जाम में फ़ेल हुये थे पुत्र?

इसी बीच अर्जुन बोला - ज्येष्ठ माताश्री, प्लीज..प्लीज...बस एक बार कल के लिये आज्ञा दे दिजिये ना...वहां बहुत सारे लोग आरहे हैं...बहुत मजा आयेगा...और दुर्योधन भैया की एक्जाम की तैयारी मैं खुद करवा दूंगा.

बालकों के इतने आग्रह के बाद महारानी गांधारी उनको पिकनिक पर भेजने को राजी तो हो गई पर उन्हें दुनियां भर की नसीहतें दे डाली और युधिष्ठर को संबोधित करते हुये बोली - बेटा युधिष्ठर, तुम सबमें बडे और समझदार हो. पर तुमको जुआ खेलने की बुरी लत लग चुकी है ऐसा तुम्हारी स्कूल की टीचर ने मुझे फ़ोन पर बताया था. अत: तुम वहां जुआ खेलने मत बैठ जाना ..... आजकल सार्वजनिक स्थलों पर जुआ खेलते पुलिस भी पकड लेती है.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, मैं आपको वचन देता हूं कि मैं वहां जाकर जुआ नही खेलूंगा.

महारानी ताई गांधारी - मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी वत्स. और एक बात का ध्यान रखना कि जुआ खेलने के अलावा सार्वजनिक स्थल पर पीना भी मत. मैं जानती हूं कि तू तो सार्वजनिक रूप से पीता नही है पर तेरे लघु भ्राता इस मामले में आर पार हैं. पीना ही हो तो घर पर लौट कर ही पीना, पिकनिक के दौरान नही क्योंकि आजकल बाहर का पानी शुद्ध नही होता.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, तथास्तु!

महारानी ताई गांधारी - वहां अपने छोटे भाइयों का ख्याल रखना, इन्हें झील में नहाने मत देना और आपस में लडना झगडना भी मत. सब प्रेमपूर्वक रहना और समय से घर लौट आना.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, मैं आपकी समस्त आज्ञाओं के अनुरूप ही कार्य करूंगा.

महारानी ताई गांधारी - और हां भीम का खाने पीने का विशेष ख्याल रखना और दुर्योधन के साथ इसको लडने मत देना.

युधिष्ठर - जी ज्येष्ठ माताश्री, ऐसा ही होगा.

महारानी ताई गांधारी - और आजकल डायरिया फ़ैला हुआ है...बुखार का भी मौसम है. खान पान का ख्याल रखना. वहां भोजनशाला में जो भी मिले उसके अलावा कुछ मत खाना वर्ना तबियत खराब हो गई तो बडी मुश्किल पडेगी क्योंकि आजकल अस्पतालों में कैश लेस मेडिक्लेम सुविधा भी बंद हो गई है....

इसी बीच भीम बोला - पर ज्येष्ठ माताश्री रोहतक जाकर बिल्लू के पकौडे नही खाये तो फ़िर क्या खाया? आप कुछ भी कहें पर मैं साफ़ कह देता हूं कि कल बिल्लू की दुकान के सारे पकौडे मैं अकेला खा जाऊंगा...किसी और को नही खाने दूंगा...

भीम की इस बात पर महाराज और महारानी सहित सभी राजकुमारों ने ठहाका लगाया और महारानी ने भीम को प्यार भरी चपत लगाते हुये सभी जरूरी हिदायते देकर अगली सुबह रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक के लिये जाने की इजाजत दे दी. (क्रमश:)

(अगला भाग परसों सुबह 4 :44 AM पर पढिये:-)

Comments

  1. कथा भले ही अभी बाक़ी हो पर अब तक आई रिपोर्टों की बात है तो सारी नसीहतें मानने की ही ख़बर आई है तिलियार लेक से. बच्चे अच्छे हैं.

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  2. परसों सुबह 4 :44 AM के बाद फिर आते है क्रमश:पढने के लिए :)

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  3. वाह-ताऊ-वाह ..यहाँ भी एक नया महाभारत शुरू कर दिया ...यह तो तिलयार था ..अगर कुरुक्षेत्र होता तो ........... क्या आज्ञा देते...? शुक्रिया ...हा ..हा. हा ...
    ताऊ जी ..अपना आशीर्वाद मुझे भी प्रदान कीजिये
    चलते चलते पर मैं आपका इन्तजार कर रहा हूँ .....स्वागत

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  4. लेकिन ताऊ राजकुमारों ने रोहतक में खूब मजे किये थे | जिससे मेढकी को खूब जलन हुई है और अब वो फिर टर्राने लगी है |

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  5. चलिए झील* स्नान आदि ,मदपान, रस रचना* पान आदि पर ब्यौरा जानने आते हैं ..
    डिस्क्लेमर -कोई श्लेष नहीं है यहाँ ! .

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  6. जुआ खेलने के अलावा सार्वजनिक स्थल पर पीना भी मत. मैं जानती हूं कि तू तो सार्वजनिक रूप से पीता नही है पर तेरे लघु भ्राता इस मामले में आर पार हैं. पीना ही हो तो घर पर लौट कर ही पीना,

    जय हो महाराज की, हमको भी भिजवा देते तो आनंद आजाता।:)

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  7. उस झील के सारे मेंढक मेंढकियों का तो मेडिकल कालेजों में कब का डिसेक्शन हो चुका...आजकल शेर बाघ तक नही बचे और आप मेंढकों से डर रहे हैं?

    बिल्कुल सटीक.

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  8. बेटा युधिष्ठर, तुम सबमें बडे और समझदार हो. पर तुमको जुआ खेलने की बुरी लत लग चुकी है ऐसा तुम्हारी स्कूल की टीचर ने मुझे फ़ोन पर बताया था. अत: तुम वहां जुआ खेलने मत बैठ जाना ..... आजकल सार्वजनिक स्थलों पर जुआ खेलते पुलिस भी पकड लेती है.

    वाह वाह आऊ महाराज, सर्वश्रेष्ठ लिखा है। आनंद आ गया, आपके राजकुमारों की भी जय हो।:)

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  9. अच्छा, अब समझ में आया कि बैकग्राउण्ड क्या था। अब पूरा किस्सा समझ में आ रहा है रोहतक का।

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  10. यह भी रही एक बेहतरीन रपट

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  11. वाह ताऊ जी क्या लिखा है ......
    मज़ा आ गया....
    अगले भाग का इंतज़ार है...
    मेरे ब्लॉग पर इस बार

    मिलिए देश के एक और सपूत से ...

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  12. ताऊ,
    कलयुग के इस युधिष्ठर का नाम तो बता दे...

    और आंखों देखा हाल सुनाने वाले इस संजय के बारे में क्या ख्याल है...

    जय हिंद...

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  13. ताऊ वहां पीने के नाम पर एक बूँद भी नहीं थी ...कसम से !

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  14. हा-हा-हा
    अगली कडी का इंतजार

    प्रणाम

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  15. बच्चों ने पिकनिक के बाद घर जाकर पी...अच्छे आज्ञाकारी बच्चे हैं. :)

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  16. अजय कुमार जी की मूंछें हटाई जाएं। वे आजकल बिना मूंछों के ही ब्‍लॉग जगत में तहलका मचा रहे हैं।

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  17. मतलब पीने को बूंद भर से गुजारा कर लेते आप। बूंदों के पीछे पड़े रहे सतीश जी आप भी। पैग ढूंढते तो जरूर बूंद मिल जाती। वैसे बूंद भर से क्‍या होगा आपका, कम से कम चुल्‍लू भर तो होनी ही चाहिए, किसी न किसी काम तो आ ही जाएगी।
    कृपया सहज हास्‍य को अन्‍यथा न लें।

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  18. ये नया महाभारत तो बहुत मज़ेदार है।

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  19. हां जी!...ताउजी...ये सभी वहां पहुंच गए थे...लेकिन इन्हों ने जो तमाशा किया उसका वॄतांत तो हम आप ही के शब्दों में सुनना चाहेंगे...अगली कडी जल्दी भेजिए!

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  20. वाह! क्या बात है! बहुत बढ़िया और मज़ेदार लगा!

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  21. मैं भी पेले ये पुरा ताऊ उवाच सुन लूँ । फिर ही कुछ बोलूँ.

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  22. बहुत नटखट हैं ये बच्चे आखिर मना ही लिया माताश्री और पिताश्री को.

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  23. पहचान कौन ?

    इन राजकुमारों में कौरव कौन से हैं और पांडव कौन से :)

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  24. अब पूरा किस्सा समझ में आ रहा है रोहतक का।
    अगले भाग का इंतज़ार है

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