मैं ताऊ टीवी का चीफ़ रिपोर्टर रामप्यारे अब आपको सम्मेलन के क्लोजिंग सेरेमनी का देखा हाल सुनाता हुं. समस्त कार्यक्रम आशानुरुप होने की खुशी में ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बडे प्रसन्न दिखाई देरहे हैं. वैसे तो महाराज अंधे हैं पर इस सम्मेलन में महाराज की गतिविधियां उनके अंधे होने पर अंगुली उठाई जाने लायक इशारे छोड गई. खैर यह सब मसला तो सम्मेलन की समाप्ति के बाद भी सुलझाया जा सकता है. अब महाराज ने जैसे कर्म किये हैं वैसे सवाल तो उठेंगे ही.
रात को सब विदाई के लिये इक्क्ठे हुये. यहां रात्रि में शेरो शायरी का कार्यक्रम हुआ और काशी नरेश ने मिस समीराटेढी के साथ रंम्बा हो! हो! सम्बा हो! हो! की मदमस्त धुन पर जम कर डांस किया जिसमे सभी गधों को आनंद आगया.
इस अवसर पर सभी ने जमकर गाल बजाये, जिसको जो भी सूझा वैसा सुर निकाल निकाल कर गाल बजाये. और इसके साथ ही कुछ को रोज ठेलमठाल करने का मसाला मिल गया. वैसे ऐसे आयोजनों का मकसद भी यही होता है. महाराज ने भी जमकर अंधे होने का फ़ायदा ऊठाया.
इस तरह गधा सम्मेलन सहर्ष समाप्त हुआ. सम्मेलन की अध्यक्षता से लेकर सम्मेलन में जिनकी भी चर्चा रही, आश्चर्यजनक रुप से वो गधा थे ही नहीं. मगर हाय गधों की आदत, उसी को पूजते हैं जो गधा है ही नहीं. सभी गधे उनके साथ फोटो खिंचाने को लालायित कूदते नजर आये. और एक गधा तो इतना खुश दिखाई देरहा था कि टांगे और सर आसमान की तरफ़ करके रेंके जा रहा था. बडी मुश्किल से उसको काबू किया गया वर्ना खुशी के मारे उसको हार्ट अटेक आना पक्का था.
और इसके उपरांत समस्त गधे गाल बजाते हुये अपने अपने स्थान को प्रस्थान कर गये. एक दो गधे अभी तक भी गाल बजाये जा रहे हैं, वैसे अधिकतर गधे सम्मेलन में उडाये गये गुलाब जामुन और जलेबियों की मिठास याद करते हुये अपने दैनिक कार्य में व्यस्त होगये हैं और अगली साल के सम्मेलन में महाराज के बुलावे का इंतजार कर रहे हैं.
वैसे मेरी समझ में सम्मेलन होने का कारण यह था कि कोई भी गधा,अपने गधेपन से चूके तो उसे कैसे और कितना दंडित किया जाये. मगर जब सम्मेलन के बाद सब गधों ने, जो उसमें सम्मलित हुए थे, इसे छोड़ हर बारे में रिपोर्ट लगाई. सबने एक दूसरे के मुस्कराते हुए तस्वीरें सांटी. एक दूसरे की तारीफ में गाल बजाये. अपनी यात्रा के बारे में बताया. सम्मेलन स्थल के आस पास घूमने के बारे में बताया. गुलाब जामुन, जलेबी, इमरती का स्वाद...यानि क्या खाया, क्या पिया..सब बता दिया और यहाँ तक कि रोशनी के अभाव में समीरा टेढ़ी का नाम भी ढिबरी की रोशनी
में देखा, उसकी भी रिपोर्ट की मगर किसी ने सम्मेलन में क्या कहा गया और क्या निष्कर्ष निकला, इस पर टार्च नहीं फेंकी. जब भी किसी ने इस बारे में जानना चाहा, महाराज जो कि इसके अंध आयोजक थे, घुड़क गये. उखड़ पड़े. जनता के धन को अपना मान बुरा मानने लगे मानो जेब से पैसा लगाया हो और सधा नहीं. सारे आयोजन की रिपोर्ट पढ़ एक ऐसे गधे ने, जो गधा तो है मगर आयोजन में आ न सका, महाराज को बड़ी घातक कविता लिख भेजी, आप भी देखें:
मेल मिलाप
हँसना हँसाना
भोज भजन
भ्रमण
से इतर भी
कुछ तो चर्चा हुई होगी
कुछ तो मसौदे रहे होंगे...
वरना लोग यूँ ही जमा नहीं होते...
खोजता हूँ
रिपोर्ताज़ के भीतर
छिपी इबारत..
कुछ नजर नहीं आता..
मैं ही शायद
बुढ़ा हो गया हूँ
या
महफिल इक नुमाईश थी....
कोई मुझे बताओ तो!!!
यह पढ़ ताऊ महाराज धृतराष्ट्र को कोई जबाब देते नहीं बन रहा और वो मिस समीरा टेढ़ी को वापस बुलावा दे रहे हैं कि वो आयें और उन्हें इस गढ्ढे से निकालें
मेल मिलाप
हँसना हँसाना
भोज भजन
भ्रमण
से इतर भी
कुछ तो चर्चा हुई होगी
कुछ तो मसौदे रहे होंगे...
वरना लोग यूँ ही जमा नहीं होते...
खोजता हूँ
रिपोर्ताज़ के भीतर
छिपी इबारत..
कुछ नजर नहीं आता..
मैं ही शायद
बुढ़ा हो गया हूँ
या
महफिल इक नुमाईश थी....
कोई मुझे बताओ तो!!!
यह पढ़ ताऊ महाराज धृतराष्ट्र को कोई जबाब देते नहीं बन रहा और वो मिस समीरा टेढ़ी को वापस बुलावा दे रहे हैं कि वो आयें और उन्हें इस गढ्ढे से निकालें
हाय दैया,अभी त समाँ बंध रहा था ई समापन का बात ! अब हम समान बांधें ?
ReplyDeleteमस्त मस्त मस्त
nice
ReplyDeleteक्या रपट है, मजा आ गया ताऊ..
ReplyDeleteath shree gadha sammelan kathaa !! aur bhi sanskaran ayenge kya ? ruchikar katha rahee
ReplyDeleteखोजता हूँ
ReplyDeleteरिपोर्ताज़ के भीतर
छिपी इबारत..
खोजी पत्रकारिता भी शुरु हो गयी
ha ha ha...... ..maje aa gaye taau ji
ReplyDeleteसम्मलेन के सफलता पूर्वक समापन पर हार्दिक बधाई.
ReplyDeletehahahahaaaaaa
ReplyDeleteताऊ आपने पहचाना नहीं...खुशी से लोट पोट होता गाल बजाता गधा और कोई नहीं मैं ही हूँ...:-)
ReplyDeleteनीरज
यह आँखों देखा हाल बढ़िया रहा!
ReplyDelete--
अरे यह गधा तो बहुत काम का है इस गधे का इलाज तो कराओ भाई!
1.5/10
ReplyDeleteटाईम पास
बहुत बढिया रहा गधा संमेलन!....अब अगले संमेलन की तैयारियां चल रही होगी!...अनेक शुभ-कामनाएं!
ReplyDeleteमैं ही शायद
ReplyDeleteबुढ़ा हो गया हूँ
या
ताऊ कही आप ये बुढे हमे तो नही सुना रहे? तो क्या हुया बुढे हो गये हैं देसी घी की पैदाईश हैं आज के डालडा के बच्चे बूढों के आगे क्या हैं\ समीरा को बुला ही लें। कहीं कामनवेल्थ की तरह कोई तफ्तीश न शुरू हो जाये जलेबियों का भाव पता चल जायेगा। राम राम।
चलो निपटा काम
ReplyDeleteमिला पाठकों को आराम
आगे से कुछ अच्छा मिलेगा
विज्ञान गतिविधीयाँ नई पोस्ट मैजिक नहीं ट्रिक है ये
क्यों और कैसे विज्ञान मे नई पोस्ट
सुवाच्य चित्रण,और विनोदी वार्ता!! प्रमोद हुआ!
ReplyDeleteफ़िर वही मनमौजी रामदयाल और वही गधेडी !!:)
सम्मलेन के सफलता पूर्वक समापन पर लख-लख बधाई, ताऊ !
ReplyDeleteरम्भा हो हो ... गढ़ेदी तो चारों टांग ऊपर कर खासा डांस कर रही है ...
ReplyDeleteऔर एक गधा तो इतना खुश दिखाई देरहा था कि टांगे और सर आसमान की तरफ़ करके रेंके जा रहा था. बडी मुश्किल से उसको काबू किया गया वर्ना खुशी के मारे उसको हार्ट अटेक आना पक्का था.
ReplyDeleteजय हो ताऊ महाराज की, बचा लिया एक गधे को हार्ट अटेक आने से.:)
और एक गधा तो इतना खुश दिखाई देरहा था कि टांगे और सर आसमान की तरफ़ करके रेंके जा रहा था. बडी मुश्किल से उसको काबू किया गया वर्ना खुशी के मारे उसको हार्ट अटेक आना पक्का था.
ReplyDeleteजय हो ताऊ महाराज की, बचा लिया एक गधे को हार्ट अटेक आने से.:)
जब भी किसी ने इस बारे में जानना चाहा, महाराज जो कि इसके अंध आयोजक थे, घुड़क गये. उखड़ पड़े. जनता के धन को अपना मान बुरा मानने लगे मानो जेब से पैसा लगाया हो और सधा नहीं.
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक, आजकल ऐसा ही होता है, हिंदी नाम जपना और सरकारी माल अपना।
जब भी किसी ने इस बारे में जानना चाहा, महाराज जो कि इसके अंध आयोजक थे, घुड़क गये. उखड़ पड़े. जनता के धन को अपना मान बुरा मानने लगे मानो जेब से पैसा लगाया हो और सधा नहीं.
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक, आजकल ऐसा ही होता है, हिंदी नाम जपना और सरकारी माल अपना। सबकी ढिबरी चिमनी जला दी आज तो।
oh Taau darling why didnot call me on this donkey sammelan? please remember me for next year. love you darling.
ReplyDeleteये जो एक सम्मेलनिया टांगे उठाए लोटपोट हो कर गाल बजा रहा है उसकी फ़ोटो देखते ही बनती है. इसने अपना कैमरा ज़रूर किसी दूसरे को थमा दिया होगा कि भइय्ये ज़रा देखना मेरी फ़ोटो लेने से न छूट जाना :)
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteसिर से लेकर पैर तक यानि काशी नरेश और मिस टेढ़ी के चित्र से लेकर अंत में कविता तक सारी रिपोर्ट मस्त रही।
सफ़ल आयोजन की बधाई।
अगला आयोजन कै साल में होगा?
तब तक तो फ़िर वही आप आली बात सै, ’वही रामदयाल और वही चंपा गधेड़ी’
रामराम।
vaah...badhiya sammelan kee dhaansu report...
ReplyDeletevaah...badhiya sammelan kee dhaansu report...
ReplyDeleteहा हा
ReplyDeleteमज़ेदार है रिपोर्ट
और कटाक्ष
हा हा हा
ReplyDeleteमारा पापड़ वाले को
धांसु समापन रहा।
सब नाचने में लग गए ....अरे आप पास कोई आश्रम नहीं था क्या ... थोडा घूम भी आये होते !
ReplyDeleteये लो...
ReplyDeleteअब मत भूलना मुन्नी बदनाम को अगले साल..तकादा कर गईं हैं. :)
अच्छी रिपोर्ट ...!
ReplyDeleteये गधा नाच रहा है या थकान उतार रहा है |
ReplyDeleteइन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।
ReplyDeleteस्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। क्या अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?