प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.
विनम्र विवेदन
"रामप्यारी का बोनस सवाल 20 नंबर के लिये"
अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु. अल्पना वर्मा
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
ताऊ पहेली अंक 85 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है.
कृपया पहेली मे पूछे गये चित्र के स्थान का सही सही नाम बतायें कि चित्र मे दिखाई गई जगह का नाम क्या है? कई प्रतिभागी सिर्फ़ उस राज्य का या शहर का नाम ही लिख कर छोड देते हैं. जो कि अबसे अधूरा जवाब माना जायेगा.
हिंट के चित्र मे उस राज्य या शहर की तरफ़ इशारा भर होता है कि उस राज्य या शहर मे यह स्थान हो सकता है. अब नीचे के चित्र को देखकर बताईये कि यह कौन सी जगह है? और किस शहर या राज्य में है?
ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे.
अब रामप्यारी का बोनस सवाल 20 नंबर का. यानि जो भी प्रतिभागी रामप्यारी के सवाल का सही जवाब देगा उसे 20 नंबर अलग से दिये जायेंगे. तो आईये अब आपको रामप्यारी के पास लिये चलते हैं.
हाय...आंटीज एंड अंकल्स...दीदीज एंड भैया लोग...गुडमार्निंग..मी राम की प्यारी रामप्यारी.....अब आपसे पूरे 20 नंबर का सवाल पूछ रही हूं. सवाल सीधा साधा है. बस मुख्य पहेली से अलग एक टिप्पणी करके जवाब देना है. और 20 नंबर आपके खाते में जमा हो जायेंगे. है ना बढिया काम...तो अब नीचे का चित्र देखिये और बताईये की यह कौन से पेड का जंगल है? और जरा इसके पेडों की गिनती भी बताईये की इस जंगल में कितने पेड हैं?यह कौन से पेड का जंगल है और इसमें कितने पेड हैं? जरा बताईये!
इस सवाल का जवाब अलग टिप्पणी मे ही देना है. अब अभी के लिये नमस्ते. मेरे ब्लाग पर अब से दो घंटे बाद यानि 10 बजे आज की मुख्य पहेली के हिंट के साथ आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्ते.
अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
जरुरी सूचना:-
टिप्पणी मॉडरेशन लागू है इसलिए समय सीमा से पूर्व केवल अधूरे और ग़लत जवाब ही प्रकाशित किए जाएँगे.
सही जवाबों को पहेली की रोचकता बनाए रखने हेतु समय सीमा से पूर्व अक्सर प्रकाशित नहीं किया जाता . अत: आपका जवाब आपको तुरंत यहां नही दिखे तो कृपया परेशान ना हों.
नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
ठीक आठ बजे पोस्ट तो यूं देखी जैसे तीर मार लूंगा. हा हा हा
ReplyDeleteमंदिर कहीं दक्षिण भारत का है...बस्स्स्स.
रामप्यारी पेड़ बरगद का हो तो कोई क्या ग़िनती करे.
ReplyDeleteJagannath Temple,
ReplyDeletePuri,
Orissa
Temple of Lord Jagannath
ReplyDeleteregards
The celebrated Temple of Lord Jagannath now existent at Puri was constructed by Raja Ananta Varman Chodaganga Dev in 12th century A.D. The wooden images of Jagannath Balabhadra and Subhadra were installed in that temple. The management of the temple continued under the Hindu rulers till 1558, when the State of Orissa was conquered by the Afghan Nawab of Bengal and the temple was attacked by the Afgan General ‘Kalapahad’. Then, an independent Khurda kingdom was established by Ramachandra Deb, who assumed the management of the temple. He consecrated the temple and reinstalled the deities. Raja Mansingh, a General of the Mughal King Akbar, defeated the Afghans and annexed Orissa in to the Mughal dominion. It remained under the Mughals till 1751 A.D. Till 1760, the temple continued under the Khurda Raja, who was paying tribute to Mughals and Marhattas. Marhattas took up direct management of the temple till 1803. The Britishers annexed Orissa into British empire in 1803 and allowed Puri Raja to manage the temple. The position continued till 1947.
ReplyDeleteregards
tau ji namshte- the anser is-Jagannath Temple, Puri. thanks.
ReplyDeleterampyariiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii rani aaj khaan se ye jangal utha laai..????
ReplyDeleteLord Jagannath Temple in Puri,
ReplyDeleteOrissa :
Jagannath Temple in Puri is on of the most revered pilgrimage destination in India as it is one of the dhams (abodes) of the divine in India present in the four cardinal directions. The temple architecture has been restored to its full glory so that you can appreciate the influence that the 241 m high spire of the temple has on the state of Orissa. Inside is housed the deity of Lord Jagannath flanked by his sister Subhadra and brother Balrama. Shopping for souvenirs from the markets surrounding the walled temple complex; eating the blessed food in the temple courtyard and visiting the beaches is a must on your tour of Jagannath Temple, especially during Rath Yatra.
tau ji namshte.the anser is-Jagannath Temple, Puri,Orissa. thanks.
ReplyDeleteisase milataa jultaa mandir Bhuvneshwar main dekhaa thaa...
ReplyDeleteJagannath Temple, Puri, Orissa
ReplyDeleteजगन्नाथ पुरी का भगवान जगन्नाथ मंदिर
ReplyDeleteJagannath Temple, Puri, Orissa
ReplyDeleteरामप्यारी के सवाल का जवाब :
ReplyDeletebamboo forest
इस जंगल में कितना पेड़ हैं ?????
क्या इसी वर्ष 2010 तक में ही गिन के बताने हैं :)
बरगद का पेड़ ,यह एक ही पेड़ है
ReplyDeletegreat banyan tree.
ReplyDeleteThe whole picture, what looks like a forest, is one single tree with all its prop-roots keeping it spreading. It is still alive but the central truck has been removed as it was rotting. I thought that was pretty amazing that the tree could still be a tree without its trunk.
रामप्यारी कौन से जंगल में घूम आई मौसी के साथ !!
ReplyDeletegreat banyan tree ,single tree
ReplyDeleteJagannath Temple Puri
ReplyDeleteमंदिर उड़िसा में है-जय जगन्नाथ
ReplyDeleteऔर पेड़ बरगद का है। जिसकी दाढी अब जड़ बन गयी है और जंगल का रुप ले लिया है।
रामप्यारी बेवकूफ बनाने के चक्कर मे हैं. :)
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरामप्यारी के लिए: बरगद.
ReplyDeleteपुरी का जगन्नाथ जी का मन्दिर।
ReplyDeleteराम्प्यारी,
ReplyDeleteवटवृक्ष की जडें हैं।
रामप्यारी का जबाब - यह वटवृक्ष का पेड़ है, कोई जंगल नहीं, और केवल एक पेड़ है।
ReplyDeleteये वैताल देओल मंदिर है जो भुबनेश्वर, उड़ीसा में स्थित है!
ReplyDeleteGHANCHAKKAR HO GAYA HUN PRASH KO DEKHAKAR
ReplyDeleteJagannath mandir - Orrisa Temple, Jagannath puri
ReplyDeleteनहीं भैय्या यह तो जगन्नाथ पुरी का मंदिर है. पक्का.
ReplyDeleteयह तो कोई जैन मन्दिर लग रहा है!
ReplyDeletejagannath mandir, puri, orissa
ReplyDeleteJagannath temple Puri.The celebrated Temple of Lord Jagannath now existent at Puri was constructed by Raja Ananta Varman Chodaganga Dev in 12th century A.D. The wooden images of Jagannath Balabhadra and Subhadra were installed in that temple.
ReplyDeletejagaanaath puri..
ReplyDeleteजगन्ननाथ मंदिर,पुरी,ओरिसा
ReplyDeleteतने के पेड़ का जंगल
ReplyDeleteजिसमें तने ही तने हैं
गिनने के लिए जितने हैं
तने उतने भी नहीं है
पेड़ सिर्फ एक है
बाकी सब शाखाएं हैं
जैसे ब्लॉग एक और
टिप्पणियां अनेक
जैसे पेड़ नेक
वैसे टिप्पणियों को देख
देख ब्लॉगर देख
पोस्ट देख
पोस्ट की टिप्पणियां देख
और मंदिर
धाम है
अक्षरों का, अक्षर नहीं हैं
अहमदाबाद का अक्षर है
नहीं कोई निरक्षर है।
अहमदाबाद का अक्षरधाम
ReplyDeleteजबकि मुझे मालूम है
यह .... उत्तर है।
जगन्नाथ मन्दिर
ReplyDeleteपुरी
उडिसा
राम-राम ताऊ जी
रामप्यारी के सवाल का जवाब
ReplyDeleteयह लकडी के पेडों का जंगल है और इसमें घपतालिस पेड हैं
जै राम जी की
Jagannath Temple
ReplyDeletePuri
Orissa
प्रणाम स्वीकार करें
श्री जगन्नाथ मन्दिर, पुरी
ReplyDeleteआज की पहेली तो सबसे आसान रही.....
रामप्यारी ये बाँस के पेडों का जंगल है.....
ReplyDeleterampyari timber forest hai,
ReplyDelete"ताऊ पहेली - 85" का उत्तर
ReplyDeleteLord Jagannath Temple in Puri, Orissa.
"रामप्यारी का बोनस सवाल 20 नंबर के लिये"
ReplyDeleteबॉटनिकल गार्डन कलकत्ता में विशाल वट-दृक्ष
नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं.
ReplyDeleteअरे ताऊ जी नगद मत दो, चेक दे दो लेकिन इनाम तो पैसो मै नही डलर मै दो, सोच लो तब तक मै मंदिर के सामने जग्गू हलवाई, अरे वो ही जग्गन नाथ हलवाई की दुकान से पुरी छोले खा करा आता हुं
Rampyari:
ReplyDeletebanyan tree in botaniacal garden kolkata
वट वृक्ष
Jagannath Temple. Puri.. orissa
ReplyDeleteanswer of bonus question is single banyan tree.
ReplyDeleteपुरी का जगन्नाथ मंदिर
ReplyDeleteजंगल तो वट वृक्ष है
ReplyDeleteरामप्यारी के सवाल का जवाब :
ReplyDeleteDeodar forest
्रामप्यारी आज तो मरवायेगी इतनी गिनती करवा कर्।
ReplyDeleteये तो जगन्नाथ पुरी का मंदिर लग रहा है जो उडीसा मे है।
ताऊ जी राम राम । देरी से आये । अब तो जवाब आ ही गया होगा ।
ReplyDeleteJagannath Temple, Puri, India
ReplyDelete
ReplyDeleteमुझे भी अक्षरधाम मंदिर लग रहा है।
…………..
प्रेतों के बीच घिरी अकेली लड़की।
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
उड़ीसा राज्य के पूर्वी समुद्र-तट पर स्थित बारहवीं शताब्दी में बना पुरी का जगन्नाथ मंदिर,भारत में हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ-स्थानों में से एक है|
ReplyDeleteताऊ जी,
ReplyDeleteआज कल शनिवार की पहेली याद ही नहीं रहती। अब ध्यान आया है।
ये तो जगन्नाथ पुरी का मंदिर है।
वो अहमदाबाद वाले भाई साहब नहीं दिख रहे-कहीं सही जबाब में पैक तो नहीं हैं वो. :)
ReplyDelete@ समीर अंकल
ReplyDeleteअहमदाबाद वाले अंकल का मैं भी अभी तक इंतजार कर रही हूं. अभी तक कोई खबर नही है. आपको कहीं दिखे तो कह दिजियेगा कि रामप्यारी ने याद किया है.
banyan forest hai rani magar tree kitne hain nahi ptaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa
ReplyDeleteराज भाटिया जी,
ReplyDeleteखाए क्या पुरी छोले?
जग्गु और उसका परिवार तो मामा के घर गया है।
तिरुपति बालाजी का मंदिर है क्या ?
ReplyDelete@ समीर अंकल
ReplyDeleteबहुत याराना लगता है अमदाबादी से :)
रामप्यारी के सवाल का जवाब :
ReplyDeletepine forest
ताऊ जी
ReplyDeleteआज तो लागे नम्बर पड़ गया अपना
कोई बधाई दे तो ले लू क्या ?
यह चित्र उडीसा के जग्गान्नाथ मंदिर का है.यह पुरी नामक नगर मैं स्तिथ है |
ReplyDeleteबरगद (वट वृक्ष) का पेड़
ReplyDeleteThe branches of the Banyan tree
Link :
http://en.wikipedia.org/wiki/The_Great_Banyan
यह तो बरगद का पेड़ है , कोई जंगल नहीं लग रहा है |
ReplyDeleteसूचना :-
ReplyDeleteइस पहेली पर जवाब देने का समय समाप्त हो चुका है.
अब जो भी सही जवाब आयेंगे उन्हें अधिकतम ५० अंक दिये जा सकेंगे एवम जवाबी पोस्ट मे उनका नाम शामिल किया जाना पक्का नही है.
सभी प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार.
-आयोजनकर्ता