प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 73 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है ग्वालियर फ़ोर्ट (म.प्र.)
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
मध्य प्रदेश राज्य का ग्वालियर शहर जो दिल्ली से 318 किलोमीटर व आगरा से मात्र 110 किलोमीटर
दक्षिण में आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित है.'संगीत और बावड़ियों का शहर ' 'ग्वालियर के दो
स्वरूप हैं – एक पुराना जो तीन भागों में विभक्त है -कण्टोंमेंट , लश्कर और मुरार.दूसरा स्वरूप नया
ग्वालियर है.ग्वालियर का उल्लेख पौराणिक गाथाओं में भी मिलता है.महाराष्ट्र के सतारा जिले से आये
सिंधिया परिवार ने नवीन ग्वालियर की स्थापना की थी.यहाँ स्थित बावडियां गवाह हैं कि जल संरक्षण में
लोग यहाँ कितने गंभीर रहे थे.फजल अली के एतिहासिक ग्रंथ - 'कुलियाते ग्वालियर' कहता हैं कि
ग्वालियर राज्य की नींव ही एक बावड़ी की स्थापना के साथ हुई [इस की गाथा फिर कभी!]
एक जमींदार सूरसेन ने एक भव्य बावड़ी का निर्माण करके ग्वालियर राज्य की स्थापना की थी , यह
ऐतिहासिक बावड़ी ''सूरजकुंड ''आज भी ग्वालियर दुर्ग में स्थित है.जानते है इस दुर्ग के बार में-
‘जिब्राल्टर ऑफ इंडिया’ अर्थात ग्वालियर दुर्ग
Gwalior fort entrance
ग्वालियर शहर के गोपगिरि/गोप पर्वत/गोपाद्रि व गोपचन्द्र गिरीन्द्र आदि नामों से प्रसिद्द गोपाचल पर्वत पर
स्थित है यह 'ग्वालियर किला 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है,जिसका चित्र हमें पहेली में पूछा
था.आठवीं से दसवीं शताब्दी में मध्ययुगीन प्रतिहारी कछवाहा (कच्छपघात) शासकों के शासन काल में
ग्वालियर का स्वर्णिम युग था.सन् १३९४ से १५७२ तक तोमरवंशी राजाओं ने यहाँ राज्य किया.
लाल बलुआ पत्थर से बना यह किला शहर की हर दिशा से दिखाई देता और एक ऊंचे पठार पर बने इस
किले तक पहुंचने के लिये एक बेहद ऊंची चढाई वाली पतली सडक़ से होकर जाना होता है.इसकी तलहटी
में लगभग 50 हजार की आबादी बस्ती है.
निर्माण कब और किसने करवाया-
जे यू पुरातत्व अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. आर ए शर्मा के मुताबिक, 45 मीटर ऊंचे और 11.85
किलोमीटर की परिधि ,[चौड़ाई लगभग एक किमी] वाले इस ग्वालियर दुर्ग का निर्माण ५२५ AD शताब्दी में
राजा सूरजसेन ने करवाया था. उनसे पहले पाटली पुत्र के नंद वंश का शासन था .इसके बाद कछवाहा,
तोमर और मुगल राजवंशों का शासन किले पर रहा. सभी ने अपने-अपने शासन काल में विभिन्न स्मारकों
का निर्माण करवाया , सबसे अधिक निर्माण तोमर वंश के काल में हुए.
किले पर चार महल, मंदिर और नौ तालाब व मुख्यत तीन बावड़ियां हैं.नीली मीनाकारी इस किले की खासियत है.
परिसर में स्थित मानमंदिर महल मानसिंह और गुर्जरी रानी के प्रेम का प्रतीक है.यहाँ चीनी वास्तुकला का भी प्रभाव दिखाई देता है.
Gujari Mahal
महल में नीचे दो तल हैं.निचले प्रथम तल पर एक पानी का कुंड था.कहते हैं रानी के कहने पर नदी की धारा यहाँ तक लायी गयी थी.उसके नीचे वाले तल में गर्मियों मे राजा रानी रहते थे.जहाँ झूले भी लगे थे.अंग्रेजों के समय यह कुंड बंद कर दिया गया था और मुगलों के समय सब से निचले तल में कैदियों को प्रताड़ित करने का स्थान बनाया गया था.अब वहाँ की छत पर आप को चमगादड दिखाई देंगे.
Inside Man Singh Palace
किले के भीतरी हिस्सों में मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूने स्थित हैं.पन्द्रहवीं शताब्दि में निर्मित मृगनयनी [गुर्जरी ] महल के बाहरी भाग को उसके मूल स्वरूप में राज्य के पुरातत्व विभाग ने सप्रयास सुरक्षित रखा है किन्तु आन्तरिक हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है जहां दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां रखी गई हैं जो कार्बन डेटिंग के अनुसार प्रथम शती ए डी की हैं.
ग्वालियर किले के चारों ओर दीवार का निर्माण राजा मानसिंह तोमर के दादा डुंगरेंद्र सिंह ने 14वीं शताब्दी में करवाया था.
बाबर के आक्रमण के दौरान ,1857 में अंग्रेजों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बीच हुए युद्ध में किले की दीवार को काफी नुक्सान हुआ था.
यह किला स्थापत्य कला के कारण काफी जाना जाता है.परिसर में ही एक और दुर्लभ बावड़ी स्थित है -
एक पत्थर की बावड़ी! अद्भुत वास्तु कौशल से निर्मित इस बावड़ी का निर्माण तत्कालीन तोमर शासक डूंगरेंद्र सिंह और कीर्ति सिंह (1394-1520) ने कराया था.
तात्कालीन जैन धर्मावलंबी तोमरवंशी राजाओं के द्वारा बनवाई गयीं जैन तीर्थकरों की विशाल प्रतिमाएं अत्यंत भव्य हैं.भगवान पार्श्वनाथ की पद्मासनस्थ प्रतिमा मुख्य आकर्षण है और यह स्थान जैन धर्मावलंबियों का बड़ा तीर्थ क्षेत्र है.
Man singh palace
ग्वालियर दुर्ग के बारे में इब्नबतूता ने जो अपना यात्रा वृतांत लिखा है कि ''किले के अंदर काफी पानी के हौज हैं. किले की दीवार मिले हुए 20 कुएँ हैं जिनके पास ही दीवार में मजनीक और अरादे लगे हुए हैं.' यहाँ मध्य युग में 21 कुएँ, सरोवर और बावड़ियों की मौजूदगी का उल्लेख मिलता है । इनमें से गंगोला ताल ,जौहर ताल, तिकोनिया ताल, रानी ताल, चेरी ताल, एक खंबा ताल, कटोरा ताल, नूर सागर अभी भी अवशेष की दशा में मौजूद हैं ।
यहाँ पास ही में स्थित तानसेन का मकबरा है , चतुर्भुज मंदिर, तेली का मंदिर व सास-बहू का मंदिर पर्यटकों के लिये खास आकर्षण का केन्द्र हैं.
वर्तमान में इस दुर्ग के कई भाग कमज़ोर हो गए हैं जिनकी मरम्मत की जा रही है.
इस दुर्ग की देखरेख एएसआई के अलावा राज्य पुरातत्व विभाग भी करता है. दुर्ग को देखने के लिए देश से ही नहीं, विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.
------------------
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं.
आईये अब रामप्यारी मैम की कक्षा में
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री पी.सी.गोदियाल
श्री Amit Kumar
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
सुश्री अभिलाषा
श्री संजय भास्कर
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री दीपक "तिवारी साहब"
डॉ टी एस दराल
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
छपते छपते :- श्री Nirbhay Jain का मुख्य पहेली के लिये सही जवाब आया उन्हें 50 अंक दिये जाते हैं.
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
मध्य प्रदेश राज्य का ग्वालियर शहर जो दिल्ली से 318 किलोमीटर व आगरा से मात्र 110 किलोमीटर
दक्षिण में आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित है.'संगीत और बावड़ियों का शहर ' 'ग्वालियर के दो
स्वरूप हैं – एक पुराना जो तीन भागों में विभक्त है -कण्टोंमेंट , लश्कर और मुरार.दूसरा स्वरूप नया
ग्वालियर है.ग्वालियर का उल्लेख पौराणिक गाथाओं में भी मिलता है.महाराष्ट्र के सतारा जिले से आये
सिंधिया परिवार ने नवीन ग्वालियर की स्थापना की थी.यहाँ स्थित बावडियां गवाह हैं कि जल संरक्षण में
लोग यहाँ कितने गंभीर रहे थे.फजल अली के एतिहासिक ग्रंथ - 'कुलियाते ग्वालियर' कहता हैं कि
ग्वालियर राज्य की नींव ही एक बावड़ी की स्थापना के साथ हुई [इस की गाथा फिर कभी!]
एक जमींदार सूरसेन ने एक भव्य बावड़ी का निर्माण करके ग्वालियर राज्य की स्थापना की थी , यह
ऐतिहासिक बावड़ी ''सूरजकुंड ''आज भी ग्वालियर दुर्ग में स्थित है.जानते है इस दुर्ग के बार में-
‘जिब्राल्टर ऑफ इंडिया’ अर्थात ग्वालियर दुर्ग
ग्वालियर शहर के गोपगिरि/गोप पर्वत/गोपाद्रि व गोपचन्द्र गिरीन्द्र आदि नामों से प्रसिद्द गोपाचल पर्वत पर
स्थित है यह 'ग्वालियर किला 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है,जिसका चित्र हमें पहेली में पूछा
था.आठवीं से दसवीं शताब्दी में मध्ययुगीन प्रतिहारी कछवाहा (कच्छपघात) शासकों के शासन काल में
ग्वालियर का स्वर्णिम युग था.सन् १३९४ से १५७२ तक तोमरवंशी राजाओं ने यहाँ राज्य किया.
लाल बलुआ पत्थर से बना यह किला शहर की हर दिशा से दिखाई देता और एक ऊंचे पठार पर बने इस
किले तक पहुंचने के लिये एक बेहद ऊंची चढाई वाली पतली सडक़ से होकर जाना होता है.इसकी तलहटी
में लगभग 50 हजार की आबादी बस्ती है.
निर्माण कब और किसने करवाया-
जे यू पुरातत्व अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. आर ए शर्मा के मुताबिक, 45 मीटर ऊंचे और 11.85
किलोमीटर की परिधि ,[चौड़ाई लगभग एक किमी] वाले इस ग्वालियर दुर्ग का निर्माण ५२५ AD शताब्दी में
राजा सूरजसेन ने करवाया था. उनसे पहले पाटली पुत्र के नंद वंश का शासन था .इसके बाद कछवाहा,
तोमर और मुगल राजवंशों का शासन किले पर रहा. सभी ने अपने-अपने शासन काल में विभिन्न स्मारकों
का निर्माण करवाया , सबसे अधिक निर्माण तोमर वंश के काल में हुए.
किले पर चार महल, मंदिर और नौ तालाब व मुख्यत तीन बावड़ियां हैं.नीली मीनाकारी इस किले की खासियत है.
परिसर में स्थित मानमंदिर महल मानसिंह और गुर्जरी रानी के प्रेम का प्रतीक है.यहाँ चीनी वास्तुकला का भी प्रभाव दिखाई देता है.
महल में नीचे दो तल हैं.निचले प्रथम तल पर एक पानी का कुंड था.कहते हैं रानी के कहने पर नदी की धारा यहाँ तक लायी गयी थी.उसके नीचे वाले तल में गर्मियों मे राजा रानी रहते थे.जहाँ झूले भी लगे थे.अंग्रेजों के समय यह कुंड बंद कर दिया गया था और मुगलों के समय सब से निचले तल में कैदियों को प्रताड़ित करने का स्थान बनाया गया था.अब वहाँ की छत पर आप को चमगादड दिखाई देंगे.
किले के भीतरी हिस्सों में मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूने स्थित हैं.पन्द्रहवीं शताब्दि में निर्मित मृगनयनी [गुर्जरी ] महल के बाहरी भाग को उसके मूल स्वरूप में राज्य के पुरातत्व विभाग ने सप्रयास सुरक्षित रखा है किन्तु आन्तरिक हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है जहां दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां रखी गई हैं जो कार्बन डेटिंग के अनुसार प्रथम शती ए डी की हैं.
ग्वालियर किले के चारों ओर दीवार का निर्माण राजा मानसिंह तोमर के दादा डुंगरेंद्र सिंह ने 14वीं शताब्दी में करवाया था.
बाबर के आक्रमण के दौरान ,1857 में अंग्रेजों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बीच हुए युद्ध में किले की दीवार को काफी नुक्सान हुआ था.
यह किला स्थापत्य कला के कारण काफी जाना जाता है.परिसर में ही एक और दुर्लभ बावड़ी स्थित है -
एक पत्थर की बावड़ी! अद्भुत वास्तु कौशल से निर्मित इस बावड़ी का निर्माण तत्कालीन तोमर शासक डूंगरेंद्र सिंह और कीर्ति सिंह (1394-1520) ने कराया था.
तात्कालीन जैन धर्मावलंबी तोमरवंशी राजाओं के द्वारा बनवाई गयीं जैन तीर्थकरों की विशाल प्रतिमाएं अत्यंत भव्य हैं.भगवान पार्श्वनाथ की पद्मासनस्थ प्रतिमा मुख्य आकर्षण है और यह स्थान जैन धर्मावलंबियों का बड़ा तीर्थ क्षेत्र है.
ग्वालियर दुर्ग के बारे में इब्नबतूता ने जो अपना यात्रा वृतांत लिखा है कि ''किले के अंदर काफी पानी के हौज हैं. किले की दीवार मिले हुए 20 कुएँ हैं जिनके पास ही दीवार में मजनीक और अरादे लगे हुए हैं.' यहाँ मध्य युग में 21 कुएँ, सरोवर और बावड़ियों की मौजूदगी का उल्लेख मिलता है । इनमें से गंगोला ताल ,जौहर ताल, तिकोनिया ताल, रानी ताल, चेरी ताल, एक खंबा ताल, कटोरा ताल, नूर सागर अभी भी अवशेष की दशा में मौजूद हैं ।
यहाँ पास ही में स्थित तानसेन का मकबरा है , चतुर्भुज मंदिर, तेली का मंदिर व सास-बहू का मंदिर पर्यटकों के लिये खास आकर्षण का केन्द्र हैं.
वर्तमान में इस दुर्ग के कई भाग कमज़ोर हो गए हैं जिनकी मरम्मत की जा रही है.
इस दुर्ग की देखरेख एएसआई के अलावा राज्य पुरातत्व विभाग भी करता है. दुर्ग को देखने के लिए देश से ही नहीं, विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.
------------------
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
श्री प्रकाश गोविंद अंक 101 |
श्री स्मार्ट इंडियन अंक 100 |
श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 99 |
श्री दिलीप कवठेकर अंक 98 |
सुश्री M A Sharma “सेहर” अंक 97 |
श्री उडनतश्तरी अंक 96 |
सुश्री Razia अंक 95 |
श्री संजय तिवारी ’संजू’ अंक 94 |
|
श्री M VERMA अंक 92 |
श्री मोहसिन अंक 91 |
श्री Chandra Prakash अंक 90 |
श्री अंतरसोहिल अंक 89 |
श्री संजय बेंगाणी अंक 88 |
श्री दिनेशराय द्विवेदी अंक 87 |
सुश्री सोनल रस्तोगी अंक 86 |
सुश्री अर्चना अंक 85 |
प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 84 |
श्री नीरज गोस्वामी अंक 83 |
श्री राम त्यागी अंक 82 |
श्री के के यादव अंक 81 |
श्री महावीर बी. सेमलानी अंक 80 |
सुश्री आकांक्षा अंक 79 |
श्री मीत अंक 78 |
श्री Ram Shiv Murti Yadav अंक 77 |
कु. अक्षिता (पाखी) अंक 76 |
श्री राज भाटिया अंक 75 |
सुश्री Saba Akbar अंक 74 |
सुश्री Rashmi Singh अंक 73 |
श्री Anurag Geete अंक 72 |
श्री रतनसिंह शेखावत अंक 71 |
डा. श्री महेश सिन्हा अंक 70 |
श्री ललित शर्मा अंक 69 |
सुश्री हीरल अंक 68 |
श्री अभिषेक ओझा अंक 67 |
सुश्री मीनाक्षी अंक 66 |
सुश्री बबली अंक 65 |
हाय गुड मार्निंग एवरीबड्डी... मेरे सवाल का सही जवाब है : ताऊ भांग / ठंडाई छान रहे हैं. जी हां यह ताऊजी की दुकान पर लिया गया चित्र है. श्री विवेक रस्तोगी सुश्री M.A.Sharma "सेहर" श्री दिलीप कवठेकर श्री काजलकुमार, श्री रजनीश परिहार श्री पी.एन.सुब्रमनियन श्री दिनेशराय द्विवेदी श्री चंद्रप्रकाश श्री अंतर सोहिल सुश्री सोनल रस्तोगी श्री डी. के. शर्मा “वत्स” श्री के. के. यादव श्री महावीर बी. सेमलानी सुश्री आकांक्षा श्री Ram Shiv Murti Yadav सुश्री वंदना कु. अक्षिता पाखी श्री M VERMA सुश्री Rashmi Singh श्री Anurag Geete सुश्री मीनाक्षी श्री रतनसिंह शेखावत श्री ललित शर्मा श्री नीलेश माथुर श्री Nirbhay Jain और ๑۩۩Singh is King rana๑۩۩ इस बार का रिजल्ट बहुत बढिया रहा इसलिये मैं बहुत खुश हूं. अब अगले शनिवार को फ़िर यहीं मिलेंगे. तब तक जयराम जी की! |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री पी.सी.गोदियाल
श्री Amit Kumar
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
सुश्री अभिलाषा
श्री संजय भास्कर
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री दीपक "तिवारी साहब"
डॉ टी एस दराल
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
छपते छपते :- श्री Nirbhay Jain का मुख्य पहेली के लिये सही जवाब आया उन्हें 50 अंक दिये जाते हैं.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteराम राम
सभी विजेताओं को बधाई और आयोजकों का आभार ज्ञान वर्धन करने के लिए सभी विजेताओं को बधाई और आयोजकों का आभार ज्ञान वर्धन करने के लिए
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी एवं अन्य सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteहम तो निकटतम प्रतिद्वन्दी को हराने में इतना फटाफट जबाब दिये कि रामप्यारी का सवाल रह ही गया.
मगर मेहनत सफल रही..:)
सभी विजेताओं और भाग लेने वालों को बधाई. अपने भाग से छींका लगातार दूसरी बार फूटा है.
ReplyDeleteसीता राम!
राधे श्याम!
Sabhee vijetaaon aur pratibhagiyon ko bahut badhaii...
ReplyDeleteRampyaree is baar to main achche number se paas huyii...jai ho...:)))
Sameer ji aur Seems ji ko karan bataoo notice..haha
Alpana ji jaankaaree ka bahut abhaar!
Sabhe mitron ko suprabhaat !
बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई विजेताओं को , इनाम का
ReplyDeleteसारा माल तो ये प्रकाश जी ही उड़ा ले जाते है :)
प्रकाश गोविन्द जी एवं अन्य सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteसभी बिजेताओं को घणी बधाई. हमसे आगे रहे उनको भी और पीछे रहे उनको भी.
ReplyDeleteयह आगे पीछे क्या होता है. रेला है विजेताओं का. बस. :) हमें भी सिने सितारों की तरह नम्बर गेम में विश्वास नहीं :)
सभी को घनी बधाई...
ReplyDeleteमीत
आईला
ReplyDelete-
बधाई देने के लिए एक मील तलक स्क्राल करना पड़ा, तब कहीं कमेन्ट बॉक्स तक पहुंचा हूँ !
-
समस्त पहेली प्रेमियों को बधाई
(जिन-जिन लोगों ने लालकिला बताया था उनको भी)
-
-
हमेशा की तरह अल्पना जी द्वारा बढ़िया जानकारी !
आभार
सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeletetaau ji namskaar
ReplyDeletemene sayad pahle bhi kaha tha ki mera blog "hindi me masti hai"
lekin yaha "abhkapyaar" darshaya ja raha hai jo mera nahi hai me sirf us blog par author hu
pls. agli baar se use thik karke chhapiyega
isse pichli baar mera naam aya tha tab apne link thik diya tha
http://masthindi.blogspot.com/
ye mera sahi link hai
dhanybaad !
प्रकाश गोविन्द जी को पूरे साल भर के लिए बधाई एडवाँस में......:-)
ReplyDeletesabhi vijetao ko meri aur se hardik badhai
ReplyDeletegwalior ka hone ke bawjood mene pratiyogita me kafi der se bhag liya lekin yah janka khusi hui ki gwalior ka naam bhi kafi logo ko pata hai.
बधाई सभी जीतने वालों को .... अब मैं भी मैदान में आ गया हूँ ... अगली पहेली में मिलते हैं ....
ReplyDelete@ Nirbhay Jain
ReplyDeleteआपके द्वारा दिया गया लिंक लगा दिया गया है. होता यह है कि टिप्पणीकार के प्रोफ़ाईल पर एकाधिक ब्लाग रहते हैं. सो जब जो समझ आया वो लगा दिया जाता है. भविष्य के लिये नोट कर लिया है.
अन्य महानुभावों को भी ऐसी दिक्कत हो तो एक बार अपने उस ब्लाग का लिंक टिप्पणि में देदे जिसका वो लिंक चाहते हैं.
-आयोजनकर्ता
सभी को बधाई जी
ReplyDeleteताऊ की हेराफेरी पकड़ में आ गयी
ReplyDelete20 नंबर हमारे कहाँ गए
congrats ...is baar mene bhi kisamt aajmai aur answer sahi nikalaa ....glad :)
ReplyDelete@ डॉ महेश सिन्हा जी,
ReplyDeleteवो ताऊ ही क्या जिसकी हेराफ़ेरी पकड में आजाये? असल में आपने जवाब दिया था ताऊ छान रहे हैं....तो ताऊ छानते हुये तो चित्र में दिखाई सभी को दे रहे हैं... आपने यह नही लिखा कि क्या छान रहे हैं?
इस वजह से आपके जवाब को अधूरा माना गया.
-रामप्यारी
प्रकाश जी को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDelete--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
20 कुएँ हैं जिनके पास ही दीवार में मजनीक और अरादे लगे हुए हैं
ReplyDeleteये मजनीक और अरादे क्या होते हैं जी?
@स्मार्ट इंडियन जी--
ReplyDelete-बावडियों से सम्बंधित यह जानकारी पत्रकार देव श्रीमाली के यहाँ लिखे लेख में से प्राप्त की गयी थी.
http://gwaliortimes.wordpress.com/2009/06/
-मुझे इससे अधिक जानकारी नहीं है.
-किसी अन्य पाठक को इस बारे में मालूम हो तो कृपया हम से जानकारी बांटे.
धन्यवाद.
ज़िन्दगी के चक्रव्यूह में फँसे जब यहाँ अपने को विजयी पाते हैं तो नन्हे बच्चे जैसे खुश हो जाते हैं...
ReplyDelete