क्रिसमस की शुभकामनाएँ' | प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. 'आप सभी को | क्रिसमस की शुभकामनाएँ' |
ताऊ पहेली अंक 54 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है. बाकी सभी नियम कानून पहले जैसे ही हैं.
ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे
अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
नोट : – ताऊजी डाट काम पर हर सुबह 8:00 बजे और शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।
सोनार किला, जैसलमेर!
ReplyDeleteLaxman garh fort
ReplyDeleteThe most imposing building in this town is its small fortress (owned by the Jhunjhunwala Family) which looms over the well laid out township on its west side. Laxman Singh, the Raja of Sikar,built the fort in the early 19th century after Kan Singh Saledhi besieged the prosperous town. The fort of Laxmangarh is a unique piece of fort architecture in the whole world because the structure is built upon scattered pieces of huge rocks.
The fort is private property - owned by a local businessmen and is closed to the public. You can however climb up the ramp to a temple which is open to the public, and the view from the ramp can be quite fascinating too. Of course, seeing the town from this height tempts you to go further higher, but a guard effectively keeps the public out.
The fort at Kumbalgarh (near Udaipur, Rajasthan)
ReplyDeleteमहाराणा प्रताप की जन्म भूमि कुम्भलगढ़
ReplyDeleteAurangabad Fort
ReplyDeleteLocated 64 kms north of Udaipur in the wilderness, Kumbhalgarh is the second most important citadel after Chittorgarh in the Mewar region. Cradled in the Aravali Ranges the fort was built in the 15th century by Rana Kumbha. Because of its inaccessibility and hostile topography the fort had remained un-conquered.It also served the rulers of Mewar as a refuge in times of strife.
ReplyDeleteThe fort also served as refuge to the baby king Udai of Mewar. It is also of sentimental significance as it is the birthplace of Mewar's legendary King Maharana Partap.
The fort is self-contained and has within its amalgam almost everything to withstand a long siege. The fort fell only once that too to the combined armies of Mughal and of Amber for scarcity of drinking water. Many magnificent palaces an array of temples built by the Mauryas of which the most picturesque place is the Badal
Mahal or the palace of the clouds. The fort also offers a superb birds view of the surroundings. The fort's thick wall stretches some 36 kms and is wide enough to take eight horses abreast. Maharana Fateh Singh renovated the fort in the 19th century. The fort's large compound has very interesting ruins and the walk around it can be very rewarding.
Jaipur-Amber-Fort
ReplyDeleteregards
Jaipur-Amber-Fort
ReplyDeleteregards
आमेर का किला।
ReplyDeleteजयपुर!
Fort Terrain
ReplyDeleteregards
Kumbhalgarh-For
ReplyDeleteregards
About Kumbhalgarh
ReplyDeleteLocated to the south of Jaipur and about 105Km from Udaipur is Kumbhalgarh. The city is cradled in the cluster of thirteen mountain peaks of the Aravalli ranges and the formidable medieval citadel-Kumbhalgarh stands a wary sentinel to the past glory.
Kumbhalgarh is famous for the Kumbhalgarh Fort which was built and designed by Maharana Kumbha in the 15th century AD and is the second principal fort after Chittorgarh. Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary is a major attraction for the tourists coming to Udaipur. This Sanctuary falls under the Rajsamand district of Rajasthan. Kumbhalgarh Park lies at a distance of 65 kms from Udaipur on Udaipur - Pali - Jodhpur road. If you are a wildlife lover, this is a perfect place for you to visit. Sprawled in an area of 578 sq km, Kumbhalgarh Sanctuary encircles the massive fort of Kumbhalgarh. This wildlife park has imbibed its name from the same fort.
regards
कुम्भलगढ़ का दुर्ग राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है। उदयपुर से ७० किमी दूरसमुद्र तल से १,०८७ मीटर ऊँचा और ३० किमी व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यशश्वी महाराणा कुम्भा की सुझबुझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है। इस दुर्ग का निर्माण सम्राट अशोक के दुसरे पुत्र संप्रति के बनाये दुर्ग के अवशेषों पर १४४३ से शुरू होकर १५ वर्षों बाद १४५८ में पूरा हुआ था। दुर्ग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर दुर्ग और उसका नाम अंकित था। वास्तु शास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर,जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल,मंदिर,आवासीय इमारते ,यज्ञ वेदी,स्तम्भ, छत्रियां आदि बने है।
ReplyDeleteदुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है जिससे यह प्राकृतिक सुरक्षात्मक आधार पाकर अजेय रहा। इस दुर्ग में ऊँचे स्थानों पर महल,मंदिर व आवासीय इमारते बनायीं गई और समतल भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया गया वही ढलान वाले भागो का उपयोग जलाशयों के लिए कर इस दुर्ग को यथासंभव स्वाबलंबी बनाया गया। इस दुर्ग के भीतर एक औरगढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है यह गढ़ सात विशाल द्वारों व सुद्रढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में बादल महल है व कुम्भा महल सबसे ऊपर है। महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ एक तरह से मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी रहा है। महाराणा कुम्भा से लेकर महाराणा राज सिंह के समय तक मेवाड़ पर हुए आक्रमणों के समय राजपरिवार इसी दुर्ग में रहा। यहीं पर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन बीता था। महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छिपा कर पालन पोषण किया था। हल्दी घाटी के युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप भी काफी समय तक इसी दुर्ग में रहे। इस दुर्ग के बनने के बाद ही इस पर आक्रमण शुरू हो गए लेकिन एक बार को छोड़ कर ये दुर्ग प्राय: अजेय ही रहा है लेकिन इस दुर्ग की कई दुखांत घटनाये भी है जिस महाराणा कुम्भा को कोई नहीं हरा सका वही परमवीर महाराणा कुम्भा इसी दुर्ग में अपने पुत्र उदय कर्ण द्वारा राज्य लिप्सा में मारे गए। कुल मिलाकर दुर्ग ऐतिहासिक विरासत की शान और शूरवीरों की तीर्थ स्थली रहा है माड गायक इस दुर्ग की प्रशंसा में अक्सर गीत गाते है :
कुम्भलगढ़ कटारगढ़ पाजिज अवलन फेर।
संवली मत दे साजना,बसुंज,कुम्भल्मेर॥
regards
ताऊ अपनी तो राम राम स्वीकार कर लो धन्यवाद्
ReplyDeleteकिला देखकर उदयपुर लगता है. लेकिन उंट की फोटो देखकर लगता है कि ये फोटा बीकानेर या बाड़मेर की भी हो सकती है. क्योंकि इस तरह का निपट रेगिस्तान जैसलमेर, बीकानेर व बाड़मेर में है. लेकिन यह जैसलमेर तो शर्तिया नहीं है क्योंकि वहां तो मैं कई बार गया हूं...शक गया नहीं...
ReplyDeleteaamer ka kila ---------jaipur
ReplyDeleteझाँसी की रानी का किला है...
ReplyDeleteमीत
सॉरी ताऊ यह कुम्भालगढ़ फोर्ट है...
ReplyDeleteमीत
चितौडगड का किला...
ReplyDeleteकुँम्भलगढ फोर्ट
ReplyDeleteमन्ने तो कुम्भलगढ़ लाग रियो है.
ReplyDeleteजगह तो उदयपुर है, किले का नाम याद नहीं आ रहा ताऊ!
ReplyDeleteनये साल की आपको ढ़ेर-ढ़ेर सारी शुभकामनायें!
जी ये तो आमेर[जयपुर] का किला लगता है...
ReplyDeleteआमेर[जयपुर] का किला ...
ReplyDeleteनाहरगढ़ जयपुर
ReplyDeletejAISALMER FORT RAJISTHAN ..
ReplyDeleteRaam raam sabhee mitron ko yaheen se
ताऊ जी राम राम, भई यह किला हमारे खान दान मै से तो किसी ने बनबाया नही, ओर पराई चीज हम देखते नही, जब पराई चीज की तर्फ़ नजर ही ही उठेगी तो....... चलिये राम राम जी की
ReplyDeleteतारागढ़ किला अजमेर।
ReplyDeleteताऊ किसी काम से मुंबई गया हुआ था अभी लौटा हूँ इस लिए देरी हो गयी...ये तो जी राजस्थान का कुम्भल गढ़ फोर्ट है...(बेकार में ही नंबर कट गए...ये लेट आने पर आप नंबर मत काटा कीजिये...हमारे जैसे काम काजी लोग लेट हो ही जाते हैं जी)
ReplyDeleteनीरज
This Is AMER FORT, JAIPUR..
ReplyDeleteRegards
Ram K Gautam
मेवाड़ के राणाओं ने मेवाड़ की सुरक्षा के लिए ८४ गढ़ या गढ़ी बनवाये | इनमे से अकेले महाराणा कुम्भा ने ३२ गढ़ों का निर्माण कराया था | कुम्भलगढ़ महाराणा कुम्भा की सुझबुझ व प्रतिभा का अनुपम उदहारण है | मेवाड़ के दुर्गों में कुम्भलगढ़ का स्थान चित्तोड़ के बाद आता है किन्तु दुर्ग रचना की दृष्टि से यह चित्तौड़ की तुलना में विलक्षण ,अनुपम व ज्यादा सुरक्षित है | एक बार को छोड़कर यह दुर्ग प्राय: अपराजेय रहा है |
ReplyDeleteकुम्भलगढ़ सामरिक दृष्टि से घने वनों और पहाड़ी की ऊँची चोटियों पर बना है | केलवाडा वाणमाता मंदिर से पश्चिम की पहाड़ी नाले से होकर जाने वाली पगडंडी पर्वतीय घाटी के बीच बने कुम्भलगढ़ के प्रवेश द्वार आरेठपोल तक पहुँचती है आरेठपोल पहाड़ी घेरे का मुख्य द्वार है | इसी तरह एक और द्वार हल्लापोल है दोनों पोलो में डेढ़ किलोमीटर का अंतर है | हल्लापोल के आगे दुर्ग का मुख्य द्वार हनुमान पोल है | यहाँ हनुमान जी की प्रतिमा है जिसे महाराणा कुम्भा ने नागौर दुर्ग विजय के बाद वहां से लाकर यहाँ स्थापित किया था | हनुमान पोल के विजय पोल आता है यहीं से गढ़ के भीतर जाना होता है | जिसे १२ किलोमीटर के सुद्रढ़ परकोटे से जोड़ा गया है | हनुमान पोल से प्रारम्भ होने वाली चार प्राचीरों के साये में मंदिर ,मंडप और कई छोटे बड़े आवासीय खंडर है जीने मायदेव मंदिर ,नीलकंठ महादेव मंदिर की दो मीटर की विशाल प्रतिमा और मंदिर निर्माण उल्लेखनीय है |
ReplyDeleteमेवाड़ की राजधानी रहा यह कुम्भलगढ़ जितना एतिहासिक है उतना ही दुर्गम और रोमांचकारी है | सुरक्षा की दृष्टि से इस स्थान के चयन की उपयुक्तता देखिये कि समुद्र तल से एक हजार मीटर की अधिक ऊँचाई पर होने के बावजूद निकट जाने पर दुर्ग आँखों से ओझल होता जाता है | कारण है दुर्ग के चारों और पर्वतों व गहरी घाटियों का घेरा |
ReplyDeleteदुर्ग इतनी ऊंचाई पर है कि यहाँ से मेवाड़ व मारवाड़ पर दूर दूर तक नजर डाली जा सकती है |
दुर्ग एतिहासिक विरासत की शान व शूरवीरों की तीर्थस्थली रहा है |
माड गायक इस दुर्ग की प्रशंसा में अक्सर गीत गाते है :
कुम्भलगढ़ कटारगढ़ पाजिज अवलन फेर
संवली मत दे साजना,बसुंज,कुम्भल्मेर |
सीमा जी को बहुत बहुत बधाई जी
ReplyDeleteराम राम भाई।
ReplyDeleteदिलीप जी हर बार देर से आ पाने का बहाना नहीं चलेगा ......!!
ReplyDeleteरामप्यारी मैं एक दो बार नहीं आ पी तो तुने सवाल पूछना ही छोड़ दिया क्या .....???
Amber Fort..
ReplyDeleteखेद का विषय है कि हिन्ट बहुत काम नहीं आया. :)
जयपुर आमेर का किला
ReplyDeleteआने में देर हो गई, या बहुत देर हो गई आज ही वापिस मुंबई पहुंचा हूँ, इसीलिये।
Shubh prabhaat,
ReplyDelete1-रामप्यरी की पोस्ट पर ..हिंट के चित्र में किले की दीवार दिखाई गयी है
यह दीवार इस किले की ख़ासीयत है इसीलिए हिट में दिखाई गयी..
**भारत में सबसे लंबी और दुनिया में 'चयना वाल 'के बाद yah दूसरी सब से लंबी दीवार मानी जाती है.
2-दूसरे हिंट से आप राज्य पहुँच ही चुके होंगे.फिर इस किले को जानना बहुत आसान है.
इस समय तक जो जवाब बाहर हैं वे सभी ग़लत हैं.
***ताऊ पहेली के जवाब देने का समय रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे
Jain temples, Ranakpur is one of the five holy places of the Jain community. 96 km from Udaipur.
ReplyDeletekumbhalgarh-fort .
ReplyDeleteye alwar fort hai
ReplyDeleteआमेर किला जयपुर
ReplyDeleteअसीरहढ का किला है ताऊ पक्के से.
ReplyDeleteताऊ, आजकल रामप्यारी को कहां भेज दिया? रामप्यारी के सवाल बिना मजा ही नही आता.
ReplyDeleteThanx Alpana JI...:)
ReplyDeleteThat is Kumbhalgarh in Rajisthaan near Udaypur
Duniya kee second longest wall ...around 36 KM...
Raam raam sabhee mitron ko
Thanx Alpana JI...:)
ReplyDeleteThat is Kumbhalgarh in Rajisthaan near Udaypur
Duniya kee second longest wall ...around 36 KM...
Raam raam sabhee mitron ko
नाहरगढ़ जयपुर.................
ReplyDelete...
इस पहेली मे जवाब देने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. अब जो भी सही जवाब आयेंगे उन्हे अधिकतम ५० अंक ही दिये जायेंगे.
ReplyDeleteधन्यवाद.
आमेर का किला .......
ReplyDeleteकहीं गोलकुंडा तो नही .......
ReplyDeleteताऊ यह कुम्भालगढ़ फोर्ट है..
ReplyDelete