प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम और सभी मुस्लिम भाई बहनो को 'इस्लामिक नव वर्ष 'की शुभकामनाएँ.
ताऊ पहेली अंक 53 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है. बाकी सभी नियम कानून पहले जैसे ही हैं.
यह कौन सी जगह है?
अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
इस अंक के आयोजक हैं ताऊ रामपुरिया और सु,अल्पना वर्मा
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊ पहेली अंक 53 में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं कि अब से रामप्यारी का हिंट सिर्फ़ एक बार ही दिया जाता है. यानि सुबह 10:00 बजे ही रामप्यारी के ब्लाग पर मिलता है. बाकी सभी नियम कानून पहले जैसे ही हैं.
ताऊ पहेली का प्रकाशन हर शनिवार सुबह आठ बजे होगा. ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है. इसके बाद आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे
अब आप रामप्यारी के ब्लाग पर हिंट की पोस्ट सुबह दस बजे ही पढ सकते हैं! दूसरा हिंट नही दिया जायेगा.
नोट : यह पहेली प्रतियोगिता पुर्णत:मनोरंजन, शिक्षा और ज्ञानवर्धन के लिये है. इसमे किसी भी तरह के नगद या अन्य तरह के पुरुस्कार नही दिये जाते हैं. सिर्फ़ सोहाद्र और उत्साह वर्धन के लिये प्रमाणपत्र एवम उपाधियां दी जाती हैं. किसी भी तरह की विवादास्पद परिस्थितियों मे आयोजकों का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा. एवम इस पहेली प्रतियोगिता में आयोजकों के अलावा कोई भी भाग ले सकता है.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
नोट : – ताऊजी डाट काम पर हर सुबह 8:00 बजे और शाम 6:00 बजे नई पहेली प्रकाशित होती हैं. यहा से जाये।
Baargaah Haji Waris Ali Shah Shirne, Devan Sharif,
ReplyDeleteBarabanki (Uttar Pradesh)
Haji Waris Ali Shah Shirne,
ReplyDeleteDevan Sharif,
Barabanki (Uttar Pradesh)
ओह
ReplyDeleteनहीं पता
aha Gurudwara....jai baba ji Raam raam taauji ..:)
ReplyDeleteम्हनें तो यो झालावाड़ को मामा-भांजे की दरगाह लाग री छे!
ReplyDeleteयह है तो कोई मस्जिद ही, पर यह पता नहीं कि किधर है।
ReplyDeleteहाजी वारिस अली शाह की मज़ार, बाराबंकी उत्तर प्रदेश।
ReplyDeleteDewa Sharif Barabanki.
ReplyDeleteregards
बाराबंकी लाक कर दिया जाए.
ReplyDeleteदेवा शरीफ
ReplyDeleteदेवा शरीफ बाराबंकी
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एकता के संदेशवाहक वारिस अली शाह
-ए.के.वारसी
भारत की इस पावन भूमि पर जन्म लेकर सूफी संतों और महापुरुषों ने इसे मानवता और प्रेम का संदेश प्रदान करने के लिए अपना केंद्र बनाया, जो विश्व में एक बेमिसाल बात है। इसी कड़ी के तहत हुजूर वारिस अली शाह ने भी आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व रमजान के महीने की पहली तारीख को इस पावन भूमि पर जन्म लिया एवं सेहरी के वक्त से रोजा इफ्तार के वक्त तक अपनी माताजी का दूध न पीकर प्रमाणित कर दिया कि उनका जन्म ईश्वरीय आदेश है।
उनका समाधि स्थल (दरगाह) उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिले के नगर देवा शरीफ में आज भी प्रेम व एकता का संदेश देने के साथ-साथ मानवीय परेशानियों से मुक्ति का केंद्र बना हुआ है। वहाँ से आज भी हजारों श्रद्धालु उपस्थित होकर लाभान्वित हो रहे हैं। वारिस अली हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हुसैन आली मुकाम इब्ने अली व फातमा की 26वीं पीढ़ी में हैं।
हुजूर वारिसे पाक ने समस्त मानव जाति को एक ही औलादे आदम सिद्ध कर प्रेम और एकता के सूत्र में बाँधा। उन्होंने सभी को नाम परिवर्तन व धर्म परिवर्तन किए बिना ही अपने संदेशों का पालन करने के लिए प्रेरित किया। उनके सभी अनुयायी अपने नाम के साथ 'वारसी' उपनामजोड़ते हैं। जैसे राजा पंचमसिंहजी वारसी, टामिशाह साहब वारसी, रोमशाह वारसी, पंडित दीनदारशाह वारसी, लाला कन्हैयालालजी वारसी, पंडित खुशहालदास वारसी, बेदमशाह वारसी आदि।
ये सभी नाम इस बात का प्रमाण हैं कि ईश्वर के यहाँ कोई भेदभाव नहीं है। सभी का धर्म इंसानियत है और जाति मानव है, चाहे वे किसी भी संप्रदाय से क्यों न हों। उन्होंने निःस्वार्थ सेवा की दृष्टि से पूरे जीवन में संसार के हर मोह को त्यागकर इंसानियत की सेवा को अपने पूर्वजों की तरह लक्ष्य बनाया।
उन्होंने प्रेम व एकता को सदैव अपनी शिक्षा में प्रथम स्थान प्रदान किया। उन्होंने सभी संप्रदायों के लोगों को एक ही शिक्षा देकर प्रमाणित कर दिया कि ईश्वर की कृपा सभी पर एक जैसी है, उसमें कोई अंतर नहीं है। मानव जाति के सभी लोग ईश्वर के नियमों पर चलकर ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कभी किसी धर्म या मजहब को बुरा नहीं बताया और फरमाया कि ये सभी ईश्वर तक पहुँचने के रास्ते हैं परंतु ईश्वर की मंजिल एक है।
regards
बाराबंकी जहां एक ओर पारिजात वृक्ष के लिए विश्व प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर यह महादेवा, देवा शरीफ की मस्जिद, सिद्धेश्वर मंदिर, त्रिलोकपुर तीथ, कोटव धाम मंदिर और सतरिख के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है। बाराबंकी को नवाबगंज के नाम से भी जाना जाता है। लखनऊ के पूर्व से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाराबंकी उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। यह जिला घाघरा नदी के उत्तर, फैजाबाद जिले के पूर्व, सुल्तानपुर, राय बरली और लखनऊ जिले के दक्षिण से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण स्थल है। इस जगह पर कई राजाओं ने लम्बे समय तक शासन किया।
ReplyDeleteदेवा शरीफ की मस्जिद: यह धार्मिक स्थल लखनऊ से 42 किलोमीटर और बाराबंकी के जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवा, जो रब वही राम का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की जन्मस्थली है। हाजी शाह ने विश्व के सभी लोगों को प्रेम से रहने का संदेश दिया था। हाजी वारिस अली शाह अपने परिवार के साथ हुसैनि सैयद आए थे। उनका जन्म उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ था। हाजी वारिस जब काफी छोटे थे तो उनके पिता सैयद कुर्बान अली शाह की मृत्यु हो गई थी। हाजी वारिस की मृत्यु के पश्चात् उनके हिन्दू और मुस्लिमों शिष्यों ने मिलकर उनकी याद में एक स्मारक का निर्माण करवाया था। प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में उर्स मनाया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में सैयद कुर्बाद अली शाह के उर्स पर काफी बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को देवा मेले के नाम से जाना जाता है।
regards
Oh galat ho gaya...some mashjid ...India main.....par kahan..nahii maloom..!:((
ReplyDeleteये लोई मस्ज़िद है । जामा मस्ज़िद तो नहीं? तुका लगा कर देख लेते हैं वर्ना हम नालायक तो हैं ही।
ReplyDeleteयह देवा के हाजी वारिस अली की दरगाह है।
ReplyDeleteजिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
सैय्यद वारिश अली शाह की मजार, बाराबंकी...उत्तरप्रदेश
ReplyDeletehai to masjid magar kahan ki abhi dhoondhne jate hain agar mil gayi to aayenge.
ReplyDeleteदिल्ली
ReplyDeleteताऊ जी हमें तो ये पिरान-कलियर, रुड़की,
ReplyDeleteजिला-हरिद्वार (उत्तराखण्ड) लग रहा है।
राम प्यारी इतनी मेहरबान.. हिंट में पूरा उत्तर दे दिया..क्या बात है..
ReplyDeleteये है. देवा शरीफ सैयेद वारिस अली साह का गुबंद.. बाराबांकी उत्तर प्रदश में..
राम राम
वारिस अली शाह दरगाह, लखनऊ
ReplyDeleteदेवा शरीफ दरगाह !
ReplyDeleteye to koi masjid hai
ReplyDeleteअरे ताऊ यह मस्जिद तो मुझे लगता है कि.... पता नही कहा है, लेकिन है कही जरुर:) चलो राम प्यारी से थोडा प्यार से पूछते है
ReplyDeleteकहां कहां से तस्वीरें निकाल कर लाते हो ताऊ आप भी। एकदमे क्लूलेस हूँ....
ReplyDeleteWARIS ALI SHAH
ReplyDeleteDEVA SHARIF
Barabanki, UP
देवा शरीफ. बाराबंकी, लखनऊ के पास, उप्र.
ReplyDeleteअरे भई, मेरा उत्तर क्यों नहीं प्रकाशित किया? इसका मतलब उत्तर सही है?
ReplyDeleteह ह हा।
जाकिर अली 'रजनीश'
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जल में रह कर भी बेचारा प्यासा सा रह जाता है।
जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
मेरा उत्तर भी प्रकाशित नहीं हुआ , ये क्या हो रहा है ताऊ ?
ReplyDeleteदेवा शरीफ मेरा उत्तर था
ताऊ, आने में देर हो गयी मगर हाजी वारिस अली शाह "देवा शरीफ" की किरपा से पहेली का जवाब तो फोटो देखते ही मिल गया
ReplyDeleteye koi si dargah hai
ReplyDeleteये सीहोर के पहले एक दरगाह है वही मालूम देती है.
ReplyDeleteओंकारेश्वर का गुरुद्वारा है.
ReplyDeleteताऊ हिंट की फ़ोटू बडी करने पर देवा शरीफ़ लिखा साफ़ दिखाई दे रहा है तो हमारा जवाब देवा शरीफ़ लोक किया जाये.
ReplyDeleteदेवा शरीफ़
ReplyDeleteइस पहेली का जवाब देने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. अब जो भी सही जवाब आयेंगे उन्हें अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे.
ReplyDeleteधन्यवाद
नकल के 50 ही सही
ReplyDeleteदेवा शरीफ़
शरीफ कौन है
न देव शरीफ
न देवा
जिसकी न चले बदमाशी
वही शरीफ।
देवा शरीफ. बाराबंकी, लखनऊ के पास, उप्र....
ReplyDeleteटीप का लिखा है .......... असल में तो पता नही .......
रविवार ७ बज गया अब मैं क्या बोलूं..
ReplyDeletejai ho....
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