ताऊ रिटायर हो गया था. जीवन मे काफ़ी आपाधापी के बाद अब शांति से रहने का सोच रखा था. ब्लागिंग से लाखों रुपये महिने कमा चुका था ( ये हम नही कह् रहें है. यह नवभारत टाईम्स की खबर पर आधारित है.)
एक नदी किनारे की शांत कालोनी, घर के सामने ही पार्क, बस ताऊ ने देखते ही घर पसंद करके खरीद लिया और उसमे रहने आगया. ताई भी खुश. अब एक आधा सप्ताह तो घर जमाने मे लग गया. पार्क से आती आवाजों पर ताऊ ने ध्यान नही दिया.
फ़िर एक दिन दोपहर मे ताऊ सोने लगा तो पार्क मे से जोर जोर से कनस्तर पीटने की आवाज आरही थी जो ताऊ की नींद मे खलल डाल रही थी. खिडकी से बाहर झांक कर देखा तो कुछ बच्चे कनस्तर पीट कर पार्क मे मस्ती कर रहे थे. इतनी देर मे ताऊ की खिडकी पर आकर क्रिकेट की बाल टकराई..उधर ताई का दिमाग सातवें आसमान पर. जाहिर है ताऊ की कालोनी मे इन बच्चों का उत्पात था. पर अब क्या किया जा सकता था?
तभी एक बच्चा आया..अपनी बाल मांगने. ताई चिल्लाकर बोलने ही वाली थी कि ताऊ ने हाथ के इशारे से उसे मना किया और बाल दे दी. ताई के पूछने पर बताया कि ये बच्चे ऐसे नही मानेंगे..इनके साथ तो फ़ार्मुला उल्टा सीधा लगाना पडेगा.
अब ताऊ बाहर खडा होकर उन बच्चों को बुलाने लगा. बच्चे पहले तो डरे..फ़िर वो धीरे २ ताऊ के पास आगये. ताऊ ने उनको बैठाया और सबको मिल्क चाकलेट खिलाई. बच्चे बडे प्रशन्न हो गये. अब ताऊ बोला - बच्चों मैं तुम्हे खेलते देखता हूं तो मुझे मेरा बचपन याद आ जाता है. और मुझे बडी खुशी होती है तुम लोगों को रोजाना यहां खेलते देखकर.
बच्चे भी खुश..अब ताऊ बोला - देखो बच्चों अगर तुम लोग रोज यहां आकर खेलोगे तो तुमको मैं रोज एक सौ रुपये दूंगा. बच्चों को तो समझो कि आनंद ही आगया. उधर ताई ने ताऊ को आंखे दिखाई कि ये क्या कर रहे हो? बुढापे मे तुम सठिया गये हो? कहां से दोगे इनको रोज सौ रुपये?
ताऊ बोला - भागवान तू चिंता मत कर..अरे ये तो इंवेस्टमैंट है. मल्टिपल रिटर्न देगा. तू तो हुक्का भरकर लादे और मुझे सोचने दे आराम से.
अब ये रोज का क्रम होगया. बच्चे वहां खेलते..रोज रुपये ले जाते..चाकलेट खाते....और पढाई लिखाई बंद...बच्चों के मा - बाप परेशान..बच्चे ना तो पढें ना होमवर्क करे...स्कूल से आये और सीधे पार्क में.
आखिर बच्चों के मां बाप ताऊ से मिलने आ गये और बुरा भला कहने लगे कि ताऊ तुम हमारे बच्चों को बिगाड रहे हो.
ताऊ बोला - भाई इब मैं क्या करुं? तुम्हारे बच्चे हैं ही खिलाडी.. बच्चों के मा .बापों के बहुत अनुनय विनय करने पर ताऊ बोला - भाई देखो, मैं तुम्हारे बच्चों को दो हजार रुपये तो दे चुका हूं ..और मेरी बीस दिन की नींद खराब हो गई...वो मुफ़्त में.
बच्चों के मा बाप बोले - ताऊ आपको हम दो हजार रुपये वापस देदेंगे पर हमारे बच्चों का पीछा छोडो.
ताऊ बोला - अरे भाई बात दो हजार की होती तो कोई बात नही थी. दो हजार तो नगदी गये...बीस दिन की नींद के पिस्से कुण देगा? अगर १५०० रुपये रोज से भी लगाओगे तो तीस हजार रुपये तो मेरी नींद के ही होगये..
अब तो पालक गण खुसर पुसुर करने लग गये कि ये किस ताऊ के चंगुल मे फ़ंस गये? फ़िर भी उन्होने आपस मे सलाह करके, चंदा करके ताऊ को तीस हजार नींद के और दो हजार नगदी यानि कुल बत्तीस हजार वापस देने की हामी भर ली.
ताऊ बोला - अरे बावलीबूचों..३२ हजार से क्या होगा?
कालोनी वाले बोले - ताऊ इब के म्हारी जान लेगा?
ताऊ बोला - देखो भाईयो, इसमे जान लेने देने की बात नही है. आपके बच्चे शैतान हो रहे हैं और आप लोग खुद सोने के लिये उनको घर से बाहर पार्क मे भेज देते हो. और वो हम जैसे बुढ्ढों की नींद खराब करते हैं. अब तो मैं तभी उपाय करुंगा जब तुम लोग मुझे पूरे एक लाख रुपये दोगे.
वो लोग बोले - ताऊ, तुमने क्या लूट समझ रखी है? और मानलो कि तुमको हम चंदा करके एक लाख रुपये दे भी दें तो तुम उन बच्चों को कैसे रोकोगे खेलने से?
ताऊ बोला - देखो भाईयो. ताऊ कोई ऊठाईगिरा तो है नही. अगर मैने उनको एक ही दिन मे खेलने से बंद नही किया तो तुमको एक के बदले दो लाख वापस करुंगा.
अब तो वो सारे सोच विचार मे पड गये. ताऊ का आफ़र भी कोई बुरा या गलत नही दिख रहा था और बच्चों को सुधारने के लिये जहां स्कूलों मे इतनी फ़ीस भर रहे थे वहीं ये ताऊफ़ीस भी उन्होने चंदा करके ताऊ को जमा करवा दी.
ताऊ बोला - भाईय़ो, इब आप लोग आराम से घर जाओ. कल बच्चे आयेंगे तो मैं उनको समझा दूंगा फ़िर उसके बाद वो पार्क मे कभी नही आयेंगे खेलने.
दुसरे दिन बच्चों ने स्कूल से घर आकर स्कूल बैग फ़ेंका और रोज की आदत अनुसार पार्क मे . और बच्चों के माता पिता ने देखा कि आज तो बच्चे बिना खेले ही तुरंत घर वापस आगये.
बच्चों से जब पूछा गया कि वो आज इतनी जल्दी घर वापस कैसे आगये?
बच्चे बोले - अरे आप तो पूछते हो कि आज जल्दी वापस कैसे आगये? कल से तो हम पार्क मे भी नही जायेंगे.
बच्चों के मा - बाप के आश्चर्य का तो ठीकाना ही नही रहा. उन्होने आखिर बच्चों से पूछा कि - ऐसा क्या हुआ है? ताऊ ने तुमको डराया है या कोई भूत प्रेत की कहानी सुनाई है?
बच्चे बोले - अरे उस ताऊ का तो नाम मत लो आप. वो एक नंबर का झूंठा और धोखेबाज है.
पहले तो हमको रोज खेलने के सौ रुपये दिया करता था आज बोला कि - बच्चों मेरे पिछले घोटालों का आफ़िस मे पता चल गया है..और मेरी पेन्शन बंद हो गई है तो अब से मैं तुमको पांच रुपये रोज ही दिया करुंगा.
अब हम कोई पागल हैं कि इतने सारे बच्चे सिर्फ़ ५ रुपये मे उसके लिये रोज खेले. अब तो वो जब रोज के दौ सौ रुपये देगा तभी वहां जाकर खेलेंगे. उससे कम मे नही.
बच्चों के मा बाप ने जाकर ताऊ को धन्यवाद दिया तो ताऊ बोला - अब समझे कि नही? अक्ल बडी होती है या भैस? सारे कालोनी वाले बोले - ताऊ अक्ल बडी होती है.
इस पर ताऊ हंसकर बोला - इब अगली बार आना फ़िर बताऊंगा कि भैंस भी कभी कभी अक्ल से कैसे बडी हो जाती है?
एक नदी किनारे की शांत कालोनी, घर के सामने ही पार्क, बस ताऊ ने देखते ही घर पसंद करके खरीद लिया और उसमे रहने आगया. ताई भी खुश. अब एक आधा सप्ताह तो घर जमाने मे लग गया. पार्क से आती आवाजों पर ताऊ ने ध्यान नही दिया.
फ़िर एक दिन दोपहर मे ताऊ सोने लगा तो पार्क मे से जोर जोर से कनस्तर पीटने की आवाज आरही थी जो ताऊ की नींद मे खलल डाल रही थी. खिडकी से बाहर झांक कर देखा तो कुछ बच्चे कनस्तर पीट कर पार्क मे मस्ती कर रहे थे. इतनी देर मे ताऊ की खिडकी पर आकर क्रिकेट की बाल टकराई..उधर ताई का दिमाग सातवें आसमान पर. जाहिर है ताऊ की कालोनी मे इन बच्चों का उत्पात था. पर अब क्या किया जा सकता था?
तभी एक बच्चा आया..अपनी बाल मांगने. ताई चिल्लाकर बोलने ही वाली थी कि ताऊ ने हाथ के इशारे से उसे मना किया और बाल दे दी. ताई के पूछने पर बताया कि ये बच्चे ऐसे नही मानेंगे..इनके साथ तो फ़ार्मुला उल्टा सीधा लगाना पडेगा.
अब ताऊ बाहर खडा होकर उन बच्चों को बुलाने लगा. बच्चे पहले तो डरे..फ़िर वो धीरे २ ताऊ के पास आगये. ताऊ ने उनको बैठाया और सबको मिल्क चाकलेट खिलाई. बच्चे बडे प्रशन्न हो गये. अब ताऊ बोला - बच्चों मैं तुम्हे खेलते देखता हूं तो मुझे मेरा बचपन याद आ जाता है. और मुझे बडी खुशी होती है तुम लोगों को रोजाना यहां खेलते देखकर.
बच्चे भी खुश..अब ताऊ बोला - देखो बच्चों अगर तुम लोग रोज यहां आकर खेलोगे तो तुमको मैं रोज एक सौ रुपये दूंगा. बच्चों को तो समझो कि आनंद ही आगया. उधर ताई ने ताऊ को आंखे दिखाई कि ये क्या कर रहे हो? बुढापे मे तुम सठिया गये हो? कहां से दोगे इनको रोज सौ रुपये?
ताऊ बोला - भागवान तू चिंता मत कर..अरे ये तो इंवेस्टमैंट है. मल्टिपल रिटर्न देगा. तू तो हुक्का भरकर लादे और मुझे सोचने दे आराम से.
अब ये रोज का क्रम होगया. बच्चे वहां खेलते..रोज रुपये ले जाते..चाकलेट खाते....और पढाई लिखाई बंद...बच्चों के मा - बाप परेशान..बच्चे ना तो पढें ना होमवर्क करे...स्कूल से आये और सीधे पार्क में.
आखिर बच्चों के मां बाप ताऊ से मिलने आ गये और बुरा भला कहने लगे कि ताऊ तुम हमारे बच्चों को बिगाड रहे हो.
ताऊ बोला - भाई इब मैं क्या करुं? तुम्हारे बच्चे हैं ही खिलाडी.. बच्चों के मा .बापों के बहुत अनुनय विनय करने पर ताऊ बोला - भाई देखो, मैं तुम्हारे बच्चों को दो हजार रुपये तो दे चुका हूं ..और मेरी बीस दिन की नींद खराब हो गई...वो मुफ़्त में.
बच्चों के मा बाप बोले - ताऊ आपको हम दो हजार रुपये वापस देदेंगे पर हमारे बच्चों का पीछा छोडो.
ताऊ बोला - अरे भाई बात दो हजार की होती तो कोई बात नही थी. दो हजार तो नगदी गये...बीस दिन की नींद के पिस्से कुण देगा? अगर १५०० रुपये रोज से भी लगाओगे तो तीस हजार रुपये तो मेरी नींद के ही होगये..
अब तो पालक गण खुसर पुसुर करने लग गये कि ये किस ताऊ के चंगुल मे फ़ंस गये? फ़िर भी उन्होने आपस मे सलाह करके, चंदा करके ताऊ को तीस हजार नींद के और दो हजार नगदी यानि कुल बत्तीस हजार वापस देने की हामी भर ली.
ताऊ बोला - अरे बावलीबूचों..३२ हजार से क्या होगा?
कालोनी वाले बोले - ताऊ इब के म्हारी जान लेगा?
ताऊ बोला - देखो भाईयो, इसमे जान लेने देने की बात नही है. आपके बच्चे शैतान हो रहे हैं और आप लोग खुद सोने के लिये उनको घर से बाहर पार्क मे भेज देते हो. और वो हम जैसे बुढ्ढों की नींद खराब करते हैं. अब तो मैं तभी उपाय करुंगा जब तुम लोग मुझे पूरे एक लाख रुपये दोगे.
वो लोग बोले - ताऊ, तुमने क्या लूट समझ रखी है? और मानलो कि तुमको हम चंदा करके एक लाख रुपये दे भी दें तो तुम उन बच्चों को कैसे रोकोगे खेलने से?
ताऊ बोला - देखो भाईयो. ताऊ कोई ऊठाईगिरा तो है नही. अगर मैने उनको एक ही दिन मे खेलने से बंद नही किया तो तुमको एक के बदले दो लाख वापस करुंगा.
अब तो वो सारे सोच विचार मे पड गये. ताऊ का आफ़र भी कोई बुरा या गलत नही दिख रहा था और बच्चों को सुधारने के लिये जहां स्कूलों मे इतनी फ़ीस भर रहे थे वहीं ये ताऊफ़ीस भी उन्होने चंदा करके ताऊ को जमा करवा दी.
ताऊ बोला - भाईय़ो, इब आप लोग आराम से घर जाओ. कल बच्चे आयेंगे तो मैं उनको समझा दूंगा फ़िर उसके बाद वो पार्क मे कभी नही आयेंगे खेलने.
दुसरे दिन बच्चों ने स्कूल से घर आकर स्कूल बैग फ़ेंका और रोज की आदत अनुसार पार्क मे . और बच्चों के माता पिता ने देखा कि आज तो बच्चे बिना खेले ही तुरंत घर वापस आगये.
बच्चों से जब पूछा गया कि वो आज इतनी जल्दी घर वापस कैसे आगये?
बच्चे बोले - अरे आप तो पूछते हो कि आज जल्दी वापस कैसे आगये? कल से तो हम पार्क मे भी नही जायेंगे.
बच्चों के मा - बाप के आश्चर्य का तो ठीकाना ही नही रहा. उन्होने आखिर बच्चों से पूछा कि - ऐसा क्या हुआ है? ताऊ ने तुमको डराया है या कोई भूत प्रेत की कहानी सुनाई है?
बच्चे बोले - अरे उस ताऊ का तो नाम मत लो आप. वो एक नंबर का झूंठा और धोखेबाज है.
पहले तो हमको रोज खेलने के सौ रुपये दिया करता था आज बोला कि - बच्चों मेरे पिछले घोटालों का आफ़िस मे पता चल गया है..और मेरी पेन्शन बंद हो गई है तो अब से मैं तुमको पांच रुपये रोज ही दिया करुंगा.
अब हम कोई पागल हैं कि इतने सारे बच्चे सिर्फ़ ५ रुपये मे उसके लिये रोज खेले. अब तो वो जब रोज के दौ सौ रुपये देगा तभी वहां जाकर खेलेंगे. उससे कम मे नही.
बच्चों के मा बाप ने जाकर ताऊ को धन्यवाद दिया तो ताऊ बोला - अब समझे कि नही? अक्ल बडी होती है या भैस? सारे कालोनी वाले बोले - ताऊ अक्ल बडी होती है.
इस पर ताऊ हंसकर बोला - इब अगली बार आना फ़िर बताऊंगा कि भैंस भी कभी कभी अक्ल से कैसे बडी हो जाती है?
इब खूंटे पै पढो : - ताऊ सेठ समीरलालजी के यहां ड्राईवर था. जब समीरजी कलकता जाने लगे तो ताऊ को भी साथ लेगये कि ताऊ वहां का जानकार है, रास्ते वगैरह सब पहचानता है. कलकता मे पहुंचकर समीर जी होटल मे शिवकुमार जी मिश्र के साथ बैठे थे. समीर जी बोले – यार मिश्रा जी मेरा ड्राईवर ताऊ एक नम्बर का मुर्ख है, और ताऊ को बुलाकर एक सौ रुपया का नोट देकर बोले – ताऊ जाकर एक लिमोजिन कार खरीद लाओ. ताऊ ने नोट लिया और – लाया मालिक..कहकर चला गया. अब शिवकुमार मिश्रजी बोले – अरे समीर जी, आपका ताऊ तो कुछ भी नही. जरा मेरे ड्राईवर गब्बूलाल का हाल देखो, और आवाज लगाई – गब्बूलाल.. जी मालिक..गब्बूलाल आकर बोला. शिवजी मिश्र ने उसको कहा – गब्बू जा जरा जल्दी से देखकर आ कि मैं घर पर हूं या नही? गब्बूलाल – जी मालिक अभी देखकर आता हूं. बाहर गब्बूलाल को ताऊ खडा मिल गया. अब ताऊ बोला – अरे यार गब्बू भाई..मेरा सेठ भी एक नम्बर का सिरफ़िरा है. मुझे कहता है कि ताऊ…जा एक लिमोजिन कार खरीद कर ले आ..और अब कहां से खरीदूं लिमोजिन? आज रविवार होने से लिमोजिन का शोरूम ही बंद है. अब गब्बू बोला – ताऊ आप सही कहते हो, पर मेरा सेठ भी कोई कम सिरफ़िरा नही है. मुझे जबरन दौडा दिया कि – गब्बू जा घर पर देख कर आ मैं हूं या नही? अरे पास मे मोबाईल फ़ोन था.उसीसे फ़ोन करके पूछ लेते कि वो घर पर हैं या नही? अब ये बडे लोगों को क्या कहो? |
ताऊ की तो दोनों बड़ी अक्ल और भैस दोनों !
ReplyDeleteताऊ जी!
ReplyDeleteमेरे ख्याल से तो
जिसका दूध पीकर अक्ल आती है,
वो भैंस ही बड़ी है।
राम-राम!!
बहुत बढिया
ReplyDeleteअक्ल भी ताऊ की और भैंस भी। जब चाहे जिस को बड़ा कर दे।
ReplyDeleteमन्ने भी भैंस ही लागे है।
ReplyDeleteह ह हा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाह भी वाह, एक ही संस्करण में अक्ल, भैंस और गब्बूलाल सब से मुलाक़ात करा दी.
ReplyDeleteक्या बात की ताऊ!वाकई बड़ी तो भैंस ही होती है.
ReplyDeleteताऊ ए दिमाग का चटका मान गये और खूंटे से मस्त रहा..हमारा तो खैर रविवार के कारण चल गया मगर शिव तो पूछ ही सकते थे मोबाईल पर. :)
ReplyDeleteवाह...आप का ब्लाग अच्छा लगा...बधाई....
ReplyDeleteपार्क वाले बच्चों को लिमोज़ीन ले देते तो बावल़ीबूच बच्चे भी घूमते रहते और अहमक़ ड्राइवरों से भी पीछा छूट जाता :-)
ReplyDeleteअक्ल भी बड़ी और भैंस भी :) खूंटा मजेदार रहा.. आभार
ReplyDeleteवैसे ये तो समय पर निर्भर करता है कि अक्ल बडी है या भैस। हमारे लिए तो ताऊ ही बडे है। वैसे मजा आ गया जी।
ReplyDeleteअरे ताऊ हम को नही पता पर्ची डाल के पता कर लो भेंस बडी या ताऊ की अकल
ReplyDeleteहा हा ! ये बड़े लोगो का क्या कहें भाई ! मजा आ गया.
ReplyDeleteपहले एक कॉमिक आती थी -चाचा चौधरी--उस में यह लिखा होता था--की 'चाचा चौधरी का दिमाग कम्पूटर से तेज़ चलता है.'
ReplyDeleteऔर ताऊ जी का दिमाग सुपर कंप्यूटर से तेज़ चलता है..कहना पड़ेगा!
-२० दिनों की नींद गयी..२००० रूपये गए..मगर नकद १ लाख तो कमाया!
गज़ब की दूरदृष्टि है!
वाह जी वाह चित भी मेरी पट भी मेरी .
ReplyDeleteताऊ कम से कम रिटायरमेंट के बाद तो देश दुनिया को चैन से रहने दो !
ReplyDeleteताऊ अगर वैसे देखें तो भेंस...
ReplyDeleteऔर ऐसे देखें तो अक्ल...
बढ़िया पोस्ट...
मीत
ताऊ, पुरी पिचर मे कही बच्चपन की यादे ताजा कर गया.......कही रोजमरा जीवन मे बच्चो के हुदगड से होने वाली परेशानी.......... कही मुम्बईयॉ स्टाइल मे रुपया वसुली कि बात....... तो कही गहरी सोच,...... आखिर मे सुपर हीरो कहो, स्पाईडरमेन कहो, फेन्टम कहो, ताऊ अपनी भैस पर बैठ अक्क्ल को जेब मे रखकर जो हम आम जनता की घुनाई की है काबिले तारिफ। रही बात अक्ल बडी होती है या भैस? वैसे तो ताऊ भैस ही बडी होती है, विश्वास ना हो तो कनाड फोन लगाकर उडन-तस्तरी वाले भाईजी से पुछ लो ।
ReplyDeleteपर मेरे हीसाब से ना भैस ना अक्ल सिर्फ और सिर्फ "इंवेस्टमैंट" बडी होनी चाहिए। कुल मिलाकर दर्शको को 'ताऊ-नामा' तक खिचने के लिए हिन्दी ब्लोग जगत के अभिताभ बच्चन है ताऊ आप!
सुन्दर!!!!!!!
आभार/मगलभावानाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
ha ha bahut khub ,ab raste mein ghade nahi honge:)
ReplyDeletevaah तौ वाह............ क्या बात है इब समझ आ gayaa ........... ye bhains hi badi hove se........... akl ka kya
ReplyDeleteखूँटी से आज एक बढिया संदेश मिला। कोई भी अपने आपको किसी से कम नहीं समझता:)
ReplyDeleteवाह ताऊ ये बढिया शिक्षा दी आपने. सीधी ऊंगली से घी नही निकलता.
ReplyDeleteवाह ताऊ ये बढिया शिक्षा दी आपने. सीधी ऊंगली से घी नही निकलता.
ReplyDeleteसीधी सी बात है भैंस में अक्ल रह सकती है। अक्ल में भैंस कहां घुसेगी?
ReplyDeleteहा...हा..हा..ताऊ जी जैसे ड्राईवर...और सौ रुपये मे लिमोजिन...वाह मजा आगया..सठ लोगों की तो मस्ती है.
ReplyDeleteVery funny Reading was difficult to stop laughing. Hundred rupees to get in the car Limojin ... Taau went - ha, ha, ha, and greater than the Gabbu fool out - ha, ha, ha
ReplyDeleteघणे चाल्हे पाड दिये आज तो. ऐसे बच्चों के परेंट्स से तो फ़ीस वसूलनी ही चाहिये.:)
ReplyDeleteघणे चाल्हे पाड दिये आज तो. ऐसे बच्चों के परेंट्स से तो फ़ीस वसूलनी ही चाहिये.:)
ReplyDeleteइब अगली बार आना फ़िर बताऊंगा कि भैंस भी कभी कभी अक्ल से कैसे बडी हो जाती है?
ReplyDeleteबिल्कुल ताऊ, आपकी भैंस तो अक्ल से कई गुना बडी होगी:)
इब अगली बार आना फ़िर बताऊंगा कि भैंस भी कभी कभी अक्ल से कैसे बडी हो जाती है?
ReplyDeleteबिल्कुल ताऊ, आपकी भैंस तो अक्ल से कई गुना बडी होगी:)
vah taauji maje la diye aaj to. taauji ki jay
ReplyDeletevah taauji maje la diye aaj to. taauji ki jay
ReplyDeletevah taauji maje la diye aaj to. taauji ki jay
ReplyDeleteताऊ और गब्बूलाल इस पोस्ट के हीरो रहे जी. और सेठ लोगों के तो मजे हैं.
ReplyDeleteताऊ और गब्बूलाल इस पोस्ट के हीरो रहे जी. और सेठ लोगों के तो मजे हैं.
ReplyDeleteताऊजी की जय. मजेदार पोस्ट..और समीरजी और शिव मिश्राजी लगता है वाकई खिसके हुये हैं? अब बडे आदमियों को क्या कहो?:)
ReplyDeleteबहुत लाजवाब पोस्ट.
छड्ड यार जो ताऊ बाँचे वही बड़ा होवेगा
ReplyDelete---
नये प्रकार के ब्लैक होल की खोज संभावित
जिधर ताऊ खड़ा
ReplyDeleteवो ही है बड़ा
नहीं तो कर देगा
जैसे एक लाख बनाये
वैसे बड़ा कर देगा
सांभर के पैसे जरूर लेगा
फ्री में कोनो देगा
इडली के भी लेगा
डोसा तो देगा ही नहीं
अब बताओ कौन बड़ा
कविता बड़ी या ...
कवि ... छोटा ...
ताऊ का सोटा भी बड्डा
ताऊ का लोटा भी बड्डा
ताऊ सोता भी खड्डा
ताऊ ताऊ है सदा
हाऊ नहीं है ताऊ
ताऊ के हाव अच्छे
ताऊ के भाव सच्चे
बच्चे पास आते अच्छे।
अब हम का कहें ,हमरे लिए तो दोनों कठिन है...
ReplyDeleteबस ताऊ ...जय हो .
वाह ताऊ एक लाख कमाने का क्या गजब उपाय बताया है।
ReplyDeleteसुणा है ताऊ की अक्ल भैस से बड़ी जी जी हा हा
ReplyDeleteताऊ बड़ी तो अक्ल ही होती है पर ताऊ की भेंस के बारे में क्या बताएँ वो अक्ल से भी बड़ी हो सकती है |
ReplyDeleteवैसे यह सवाल एक राजा ने अपने एक पंडित से पूछा था उस पंडित ने अक्ल बड़ी बताई राजा भैंस यानि धन बड़ा समझ रहा था बहस बहस में राजा ने पंडित को कहा कि अपनी अक्ल दिखानी है तो मेरे छोटे भाई जिसके पास जागीर में सिर्फ एक गांव ही है के पास जाकर दिखा मेरे पास क्यों पड़ा है | पंडित चुनोती स्वीकार कर राजा के छोटे भाई के पास चला गया और अपनी अक्ल लगा कर उस एक गांव के जागीरदार को अपने पैत्रिक राज्य से बड़ा राज्य का राजा बनवा दिया |
इस पूरी एतिहासिक घटना पर पूरी जानकारी सहित एक आलेख जल्द ही ज्ञान दर्पण .कॉम पर प्रकाशित होगा |
बड़ी तो भैंस ही होए सै ....
ReplyDeleteअरे ताउजी पहले मै भैस के दिमाग का साइज नापना चाहता हूँ फिर उसके बाद बताऊंगा किसकी अक्ल बड़ी है .
ReplyDeleteन तो भैंस बडी अर न अक्ल....सब से बडा तो रूपैय्या होवै. इस्सा स्याने कह गे!!! इब यो बेरा कोणी कि वें किस तरफ तै स्याने थे, उम्र मैंह के अक्ल मैंह...:)
ReplyDeleteअगर सामने से भेस भागती आये तो बडो बडो की अक्ल कट जायेगी
ReplyDeleteताऊ ..भैंस ही बड़ी मालूम होती है .
ReplyDeleteताऊ ..भैंस ही बड़ी मालूम होती है .
ReplyDeleteआज के ज़माने में तो भैंस ही बड़ी है.
ReplyDeleteहा हा ताऊ एक एक बात पूछें जी आपसे ?
ReplyDeleteआप इतना रोचक रोचक, प्यारा प्यारा और बहुत ही प्रासंगिक क्यों लिखते हो जी । हाँ नहीं तो ।
एक सितारे की मानिंद हमारे ताऊ चमके, इसी दुआ के साथ---
बवाल
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ReplyDeleteताऊ, ये क्या माजरा है...आप अक्ल को बड़ी कह रहे हो और भाई बहन लोग भैंस को बड़ी बता रहे हैं :) हम तो खुश हैं जी भैंस के बखान वाली टिप्पणियों से :) राम राम।
ReplyDeleteगर ताऊ की है ...तो भैंस ही बड़ी होगी !!
ReplyDeleteवड्डे लोग वड्डी बाते
ReplyDeleteवाह ताऊ जी वाह क्या बात है! बहुत ही मज़ेदार पोस्ट! मुझे तो भैंस ही बड़ी मालूम होती है!
ReplyDeleteबहुत मस्त खुटां ताऊ.. मजा आया..
ReplyDeleteवाह ताउजी इब हमसे कोई टिप्पणी मैं चक्कर चलाके मत कमाण लग जइयो!!
ReplyDeletekya khub baat kahi hai apne tauji...
ReplyDelete