हम पिछले सप्ताह अपनी निजी यात्रा पर मुम्बई मे थे. वहीं पर हमे ध्यान आया की यहीं पर नीरज जी भी पास ही मे रहते हैं. उनसे साक्षात्कार लेना भी काफ़ी समय से पेंडिंग चल रहा था. आखिर हमने नीरज जी से बात की. हमारा उनका समय तय हुआ और हम उनकी भेजी हुई गाडी से पहुंच गये उनके घर खोपोली में जहां श्री और श्रीमती नीरज गोस्वामी ने हमारा स्वागत किया.
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साधारण सी ओपचारिकता के बाद नीरज जी हमसे ऐसे खुल गये जैसे हमारी वर्षों की पहचान हो. हम तो सोच रहे थे कि स्टील फ़ेकटरी मे जो अफ़सर होगा वो स्टील की तरह कडक होगा? पर हमें कहीं से नही लगा कि ये शख्स एक स्टील फ़ेक्टरी का उच्चाधिकारी है. बिल्कुल मस्त शायराना अंदाज और बिंदास बातचीत.
तो आईये आपको रुबरू करवाते हैं श्री नीरज गोस्वामी से. उनको आप सिर्फ़ एक शायर के रुप मे ही जानते हैं. हम आज आपको उनकी जिंदगी के कुछ अछूते पहलुओं से रुबरु करवाते हैं. हमारी बातचीत कुछ युं शुरु हुई.
ताऊ : हां तो नीरज जी, अब साक्षात्कार शुरु किया जाये?
नीरज जी : (मुस्कराते हुये..) ताऊ, "खुदा को हाज़िर-नज़र जान कर कहता हूँ की जो कहूँगा सच कहूँगा और सच के सिवा कुछ नहीं कहूँगा..."
ताऊ : चलिये बढिया है, आपने खुद ही कसम ऊठाली, वैसे हमें आपसे सच की ही उम्मीद है. अब आप ये बताईये कि आप कहां से हैं?
नीरज जी : अब अपने बारे में क्या बताएं...."रहिमन हीरा कब कहे लाख हमारो मोल", हमारे बारे में आप उनसे पूछिए जिनसे हमारा पाला पड़ा है...
ताऊ : अजी आप तो अनमोल हैं. हम तो आपसे ये जानना चाह रहे थे कि आप कहां के रहने वाले हैं?
नीरज जी : हूं..हम कहाँ से हैं के जवाब में शेर सुनिए :
घर अपना है ये जग सारा
बिन दीवारें बिन चौबारा
ताऊ : वाह नीरज जी वाह..लाजवाब शेर. शायद आप यही खोपोली (खंडाला) के ही रहने वाले हैं?
नीरज जी : नही ताऊ नही. यहां तो मैं काम करता हूं. चलिये आप जो पूछना चाहते हैं वो बता देता हूं हम जयपुर के हैं...वैसे जयपुर के नहीं भी हैं.
ताऊ : अजी.. नीरज जी आप ये क्या पहेलियां बुझा रहे हैं? ये पहेलिया बुझाना हमारा काम है आपका नही.
नीरज जी : ताऊ, वास्तव में लाहौर पाकिस्तान के पास एक गाँव है गुजरांवाला. वहां के हैं....पार्टीशन के दौरान घर के बुजुर्ग जयपुर चले आये और तब से वहीँ जयपुर मे ही हैं.
ताऊ : चलिये आपके गांव के बारे में कुछ बताईये? कुछ यादें वहां की?
नीरज जी : अब वहां की यादें कहां से आयेंगी? बताया ना आपको की हमारे पुरखे पाकिस्तान से आये हैं लेकिन वहां के बारे में हम कुछ जानते नहीं क्यूँ की हमारा जन्म भारत में हुआ...
ताऊ : नीरज जी, आप क्या करते हैं?
नीरज जी : ताऊ इसका सही जवाब है "टाईम पास" क्यूँ की :
"करने कहाँ है देती, दिल की किसी को दुनिया
सदियों से लीक पर ही, चलना सिखा रही है"
ताऊ : भाई आप पहेलियां बुझा रहे हैं….या मजाक कर रहे हैं?
नीरज जी : ताऊ, चलिये आपको जिस जवाब की जरुरत है वो बता देते हैं आप अभी जिस जगह बैठे हैं यानि खोपोली याने खंडाला के पास एक बहुत बड़ी स्टील फेक्टरी है भूषण स्टील उसी के तकनिकी क्षेत्र के उच्च अधिकारीयों में से एक हैं.
ताऊ : नीरज जी, आप आपके जीवन की कोई अविस्मरणीय घटना हमारे पाठकों को बताईये.
नीरज जी : ऐसी कोई अविस्मरणीय घटना नहीं है जिस पर गर्व किया जाये....
ताऊ : ऐसा कैसे हो सकता है? हर इंसान के साथ कुछ घटना तो घटती ही है.
नीरज जी : वो इसलिये कि ताऊ हम ना तो अमिताभ से कभी मिले और ना ही रेखा से इश्क हुआ ना कभी संसद में भाषण दिया...तो बताईये फ़िर अविस्मरणीय घटना का चांस कहां बचा?
ताऊ : हां नीरज जी ये तो बडी गडबड हो गई? हमे आपसे पूरी हमदर्दी है. पर हम इन अविस्मरणीय घटनाओं के लिये नही पूछ रहे हैं. हम तो हकीकत वाली घटना पूछ रहे हैं.
नीरज जी : ताऊ ऐसी कोई घटना है ही नही तो क्या बताऊं?
ताऊ : ठीक है नीरज जी. चलिये आपकी अविस्मरणीय घटना हम ही आपको याद दिला देते हैं. याद किजिये आप एक बार ईंडोनेशिया मे पुलिस के हत्थे चढ गये थे?
नीरज जी : अरे रे..ताऊ..ये आपको किसने बता दिया? आप क्या कोई जासूस हो?
ताऊ : आप तो ये बताईये कि यह बात सही है या गलत?
नीरज जी : बात तो सही है ताऊ. अब जब आप जानते ही हो तो बता देते हैं. हुआ यूं था कि एक बार इंडोनेसिया में गलत ढंग से (यानि बिना पुल या जेब्रा लाइन का इस्तेमाल किये) सड़क पार करने के अपराध में वहां की पुलिस पकड़ कर ले गयी...
ताऊ : फ़िर आप छूटे कैसे?
नीरज जी : आखिर अधिकारी को ये बताने पर की हम भारतीय अपनी जनसँख्या को कम करने के प्रयास में अक्सर सड़क यूँ दौड़ कर ही पार करते हैं, तब कहीं जाकर हम छूटे...और ना छूटते तो आज ये साक्षात्कार कोई और ही दे रहा होता...अब आप ही कहें क्या इस घटना को अविस्मरणीय की श्रेणी में डाल सकते हैं.
ताऊ : बिल्कुल डाल सकते हैं जी. आखिर आपने पुलिस को बडा बढिया जवाब जो दिया. अब आप ये बताईये कि आप शौक कौन से पालते हैं?
नीरज जी : अगर सच कहूँ तो सिनेमा, नाटक देखना, भारतीय शास्त्रीय संगीत और पुराने फ़िल्मी गाने सुनना, हिंदी साहित्य पढना...और शायरी लेखन में घुसपेठ करना...
ताऊ : हमने सुना है कि आप क्रिकेट के बडॆ शौकिन हैं?
नीरज जी : हाँ क्रिकेट देखना और खेलना भी शामिल है...और पसंद की खूब कही आपने...मैं क्रिकेट अब भी खेलता हूँ...हमारी कोलोनी में ग्राउंड बनवाया है जहाँ नियमित हम सब क्रिकेट खेलते हैं.
ताऊ : क्या सच मे आप अब भी क्रिकेट खेलते हैं?
नीरज जी : हां ताऊ और वो भी अपनी उम्र से आधे से भी कम उम्र के बच्चों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खेलने का जो रोमांच है वो खेल कर ही समझा जा सकता है. खेल आपको हमेशा जवान बनाये रखता है.
ताऊ : बहुत बढिया जी नीरज जी. आप इसीलिये बिल्कुल स्पोर्ट्स्मैन जैसे फ़िट लगते हैं. हमने यह भी सुना है कि आपको नाटकों का बहुत शौक था कुछ उसके बारे में बताएं.
नीरज जी : आपने ठीक सुना है आपकी खोज खबर बहुत सही है...नाटकों के कीडे ने उस वक्त काटा जब हम शायद चौथी या पांचवी कक्षा में पढ़ते थे, स्कूल के दिनों में खूब नाटक किये और कालेज पहुँच कर ये शौक सर चढ़ कर बोला.खुद ही लिखना और नाटक खेलना.
ताऊ : कब तक चला ये शौक?
नीरज जी : यह कोई चार साल तक चला...फिर जयपुर के रविन्द्र मंच से जुड़ गए...कालेज के बाद दो साल सिर्फ नाटक किये और खूब प्रशंशा बटोरी...
ताऊ : तो फ़िर आपने नाटक खेलना बंद क्युं कर दिये?
नीरज जी : ताऊ ये सिलसिला आगे चलता लेकिन रोटी रोज़ी के चक्कर में जयपुर और नाटक छोड़ना पढ़ा...और ये घटना बाद में अमिताभ बच्चन के जीवन का टर्निग पाईंट साबित हुई.
ताऊ : अब ये क्या कह रहे हैं, अमिताभ के जीवन का टर्निग पाईंट कैसे?
नीरज जी : बिल्कुल सीधी सी बात है ताऊ जिस रफ़्तार से हम नाटक कर रहे थे और प्रशंशा पा रहे थे उस हिसाब से हमें मुंबई से बुलावा आना ही था...और हमारी अभिनय क्षमता को देख बिचारे अमिताभ को कौन पूछता...चलो हमारी कुर्बानी से किसी को तो फायदा हुआ.
ताऊ : वाह जी नीरज जी, आप तो शायरी और मजाक दोनों बखूबी कर लेते हैं.
नीरज जी : (हंसते हुये..) ताऊ इन दोनों में ही टाईम अच्छा पास हो जाता है इसलिए...एक शेर सुनिए:
"शानौ शौकत माल दौलत चाह में शामिल नहींचाह है इतनी कटे ये जिंदगी सम्मान से"
ताऊ : हमने सुना है कि आप घूमने के बडे शौकीन हैं?
नीरज जी : ताऊ शौक है नहीं बल्कि था....अब तो एकांत में बैठ कर ग़ज़ल लिखने या पढने का शौक है.
ताऊ : खैर…चलिए जब शौक था तब कहाँ कहाँ घूम चुके हैं आप?
नीरज जी : ताऊ भारत के लगभग सभी राज्यों की यात्रा की है और कमो बेश सभी प्रसिद्द जगहों को देखा है.
ताऊ : हमने सुना है कि आपने विदेश यात्राएं भी खूब की हैं?
नीरज जी : हां ताऊ, विदेश में अमेरिका, केनेडा, यूरोप, आस्ट्रेलिया, नयूजी लैंड, कोरिया, जापान, सिंगापूर, इंडोनेसिया, थाईलैंड, मलेशिया आदि बहुत से देशों की यात्रायें की हैं.
ताऊ : जब आप इतनी विदेश यात्राएं कर ही चुके हैं तो ये बताईये कि आप इन देशों की भारत से कैसे तुलना करेंगे?
नीरज जी : ताऊ ये तो बडे टेढे सवाल मे उलझा रहे हो आप? लेकिन मेरा स्पष्ट मानना है कि भारत जैसा कोई देश नहीं मिला...ना कहीं खान पान में इतनी विविधता देखी और ना ही आपस में इतना प्यार...भौतिक सुविधाओं के मामले में ये देश चाहे हमसे बहुत अमीर हों लेकिन आपसी भाई चारे और प्रेम के मामले में कंगाल हैं. एक उम्र के बाद मैंने इन देशों में बसे प्रवासिओं को अपने देश लौटने के लिए छटपटाते देखा है.
ताऊ : वाह जी नीरज जी आपने बडे पते की बात कही. अब ये बताईये कि आपको सख्त ना पसंद क्या है?
नीरज जी : पहले वो इंसान जो अपने और दूसरों के जीवन का कचरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते... और दूसरे बैंगन.
ताऊ : बैगन? ये क्या बात हुई ?
नीरज जी : हां ताऊ, ये सही है. पर बैंगन पसंद ना आने की कोई ठोस वजह भी नहीं है.
ताऊ : चलिये ये भी खूब रही अब ये बताईये कि आपको पसंद क्या है?
नीरज जी : सीधे साधे इंसान, शायरी, सिनेमा और साहित्य.
लोग वो 'नीरज' हमेशा ही पसंद आये हमें
भीड़ में जो अक्लमंदों की मिले नादान से
ताऊ : नीरज जी, आपके कालेज समय की या स्कूल के समय की कोई यादगार घटना हो तो हमारे पाठकों को बताईये जरा?.
नीरज जी : ताऊ आप भी लगता है गडे मुर्दे उखड वाने में माहिर हैं, अब छतीस साल पुराणी बात भी कोई याद करने की हुआ करे है? बस युं समझ लिजिये कि कालेज में पढाई और राजनीति के अलावा सब कुछ किया...
ताऊ : क्या मतलब?
नीरज जी : मतलब ये ताऊ कि क्लास बंक करके देवानंद, धर्मेन्द्र और राजेश खन्ना की फिल्में देखना , गणित के लेक्चरार की क्लास में बम्ब फोड़ देना...सभी सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन और भाग लेना...
ताऊ : नीरज जी इतने पुण्य कर्म करके मेरा मतलब इतनी बदमाशियां करके आप अफ़सर कैसे बन गये?
नीरज जी : हां ताऊ, आखरी साल आते आते ये आप वाली बात हमारे समझ आ गयी की भाई थोडा पढ़ले वर्ना भविष्य में क्या करेगा....सो पढ़े और खूब पढ़े...इस लायक पढ़े की, कोई भी कंपनी नौकरी पे रख ले...
ताऊ : नीरज जी, क्या आपका संयुक्त परिवार है?
नीरज जी : मैं अपने माता पिता के साथ ही रहा...उनके साथ रहने का सुख शब्दों में नहीं बताया जा सकता....लगभग पचास साल उनके साथ बिताने के बाद ही अपना घर छोड़ कर दूसरी जगह नौकरी करने निकला.
ताऊ : आज जबकि संयुक्त परिवार खत्म से हो गये हैं. आप को लगता है कि संयुक्त परिवार मे रहना फ़ायदे मंद है?
नीरज जी : संयुक्त परिवार में नुक्सान की तो बात ही नहीं है और नफे इतने हैं की गिनाये नहीं जा सकते...आज के युग में शायद ये बात अटपटी लगे...किन्तु अगर घर के माहौल में स्नेह है तो साथ रहने से अधिक ख़ुशी और कहीं नहीं मिल सकती...
"न सोने से न चांदी से, न हीरे से न मोती से
बुजुर्गों की दुआओं से, बशर धनवान होता है"
ताऊ : आप ब्लागिंग का भविष्य कैसा देखते हैं?
नीरज जी : भविष्य बहुत अच्छा है जी....मेरे देखते देखते पिछले एक आध साल में ही इसकी लोक प्रियता का डंका चारों और बज रहा है...दो साल पहले कुछ बहुत अधिक जागरूक लोग ही इसके बारे में जानते थे...जिनमें मैं शामिल नहीं था...
ताऊ : नीरज जी, ये बताईये कि आपका ब्लागिंग में कैसे आये?
नीरज जी : ताऊ मैं ब्लागिंग मे आया नही बल्कि ब्लोगिंग में धकेला गया हूँ.
ताऊ : ये क्या कह रहे हैं जी? ये कौन धुरंधर था जो आप जैसे स्पोर्टस्मैन को भी धक्का देगया?
नीरज जी : अरे ताऊ, ऐसा काम आपके दोस्त और प्रसिद्द ब्लोगर "शिव कुमार मिश्र" जी के अलावा कौन कर सकता हैं?
ताऊ : हां जी वो कर सकते हैं. आखिर वो भी तो स्पोर्टसमैन ठहरे और फ़िर अच्छा काम ही तो किये हैं? फ़िर आगे की यात्रा कैसी रही?
नीरज जी : आगे की यात्रा क्या…बस ब्लॉग भी उन्होंने ही खोल कर दिया और पहली पोस्ट भी डाल कर बताई. शुरू में कोई खास मजा नहीं आया...कोई आता ही नहीं था मेरे ब्लॉग पर...उन्होंने ढांढस बंधाया...धेर्य रखने की सलाह दी...मैंने बात मान ली जो बिलकुल सही निकली...
ताऊ : जी, फ़िर क्या हुआ?
नीरज जी : फ़िर क्या….आज ब्लॉग की वजह से कुछ ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में हूँ जिनके संपर्क में यदि नहीं आता तो शायद जीवन में कुछ छूट जाता...अपनी क्षेत्र के विलक्षण लोगों से परिचय हुआ और उनका अथाह स्नेह मिला...
ताऊ : कौन कौन थे वो लोग?
नीरज जी : ताऊ, किसी एक का नाम लेकर दूसरे का दिल नहीं दुखाना चाहता क्यूँ की इसमें वरीयता क्रम नहीं है...मुझे सभी बहुत प्रिय हैं. आप भी उनमें से एक हैं.
ताऊ : कोई बात नही. आप शायद ठीक ही कह रहे हैं. अब ये बताईये कि आपका लेखन आप किस दिशा मे पाते हैं?
नीरज जी : ताऊ मैने कभी दिशा देखकर नहीं लिखा जो मन करता है लिखता हूँ...किसी शैली या सोच में बंधे बिना. बस अपनी मौज में लिखता हूं.
ताऊ : आप एक अच्छे गजलकार हैं. आप इसका श्रेय किसे देंगे? मेरा मतलब आपमे ये बारीकी ज्न्मजात ही है या किसी ने आपको सिखाया?
नीरज जी : हां ये बात आपने अच्छी पूछी, असल में मेरे लेखन में जिन्होंने सुधार् किया, या कहलें कि दिशा दी उनमें गुरुदेव श्री पंकज सुबीर जी, प्राण शर्मा जी और द्विज जी का नाम सर्वोपरी है. इन्होने ने मेरी मूर्खताओं को न केवल सहा बल्कि धैर्य पूर्वक सही राह भी दिखाई....आज मेरी जो कुछ भी थोडी बहुत पहचान है उसमें इन्हीं महानुभावों का योगदान है. मैं इनका हमेशा कृतज्ञ रहूँगा.
ताऊ : क्या आप राजनिती मे रुची रखते हैं? अगर हां तो अपने विचार बताईये?
नीरज जी : हां, बिल्कुल मैंने राजनीती में बहुत गहरी रूचि लेने की कोशिश की.
ताऊ : अच्छा फ़िर कहां तक पहुंची आपकी गाडी?
नीरज जी : अरे ताऊ पहुंचनी कहां थी? जब चली ही नही यानि मैने तो राजनिती मे रुचि लेने की बहुत कोशीश की लेकिन जब राजनीती ने मुझमें कोई रूचि नहीं ली...तो मैने उसको शरीफ़ आदमी की तरह अलविदा कह दिया. और अब तो ये आलम है कि हम एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते.
"तोड़ना इस देश को, धंधा हुआ
ये सियासी खेल अब गंदा हुआ"
ताऊ : तो नीरज जी अब कुछ हमको "मिष्टी" और अपने बच्चों के बारे मे बताईये. मिष्टी कहीं दिखाई नही दे रही है?
नीरज जी : अब मिष्टी को तो आप लोग अच्छी तरह जानते ही हैं. और वो आपको दिखाई इस लिये नही दे रही है कि वो मेरे बडे सुपुत्र की बेटी है जो अभी जयपुर में आर्किटेक्ट है.
ताऊ : अच्छा अब समझ आया. तो आपके एक ही बेटा है?
नीरज जी : ना ताऊ, आप पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिजिये…मेरा छोटा बेटा अहमदाबाद में एक्सिस बेंक में...कार्यरत है. और अभी हाल ही मैं उसके यहां बेटा पैदा हुआ है जिसका नाम है “इक्षु” बस ये ही दो बेटे हैं मेरे. ...दोनों मस्त हैं और मेरे अभिन्न मित्र हैं..."मिष्टी" से ब्लॉग जगत के लोग मुझसे अधिक परिचित हैं. और आदेश करिये ताऊ? कुछ पूछना हो तो?
ताऊ : अजी नीरज जी, आप बताने के इतने ही मूड मे हो तो कुछ भाभीजी के बारे में कुछ बता दिजिये. ( भाभीजी जो की वहीं पर बैठी थी, हमारी इस बात पर मुस्कराने लगी..)
नीरज जी : ( मुस्कराते हुये भाभी जी की तरफ़ देखते हुये बोले..) अरे ताऊ आप क्या मुझे पिटवाने आये हो यहां? इनके बारे में "कुछ" बता कर मरना है क्या? "बहुत कुछ" बताएँगे, वर्ना ये कहेंगी कि आपको मेरे बारे में बस इतना सा ही बताने को मिला क्या?
ताऊ : हमने सुना है आपका प्रेम विवाह हुआ था...और ये भी सुना है कि अच्छा हंगामा भी हुआ था?सही बात क्या थी?
नीरज जी : हां ताऊ प्रेम विवाह का और परेशानी का हमारे देश में चोली दामन का साथ है. बेटे या बेटी ने प्रेम विवाह की बात की नहीं की माता पिता और समाज के माथे पर भृकुटियाँ तन जाती हैं. सो हमारे विवाह में भी तनना स्वाभाविक ही था. और हमने जब प्रेम विवाह किया तब ये अधिक प्रचलन में नहीं था और खास तौर से जैन समाज में जिस समाज की हमारी पत्नी हैं. जितना हंगामा हो सकता था हुआ लेकिन आखिर में प्रेम की विजय हुई.
"होती हैं राहें 'नीरज' पुरपेच मोहब्बत की
गर लौटने का मन हो मत पाँव बढाओ"
ताऊ : जरा पूरी बात खुलकर बताईये?
नीरज जी : ताऊ, अब पूरी बात क्या बताऊं? बस युं समझ लिजिये कि ये मेरे होश सँभालने के साथ ही मेरे संग है. एक ही मोहल्ले मे रहते थे हम लोग. ये हमारी पडोसन से पत्नी कैसे बन गयी इसकी बहुत रोचक दास्तान है जो अभी यहाँ नहीं सुनाई जा सकती. मैं आपको फ़िर कभी विस्तार से बाद मे सुनाऊंगा.
ताऊ : नीरज जी, आप की पत्नि आपके शौक मे (कवि / शायर) रुचि रखती हैं?
नीरज जी : बिल्कुल ताऊ, वो पहले मुझे झेलती रही अब मेरे साथ साथ मेरी गज़लों को भी झेलती है.
ताऊ : हमने सुना है कि वो आपके साथ ही कवि गोष्ठियों मे भी जाती हैं?
नीरज जी : हां ताऊ, आपकी यह सूचना भी बिल्कुल सही है. मुंबई में होने वाली नाशिश्तों में भी मेरे साथ जाती है और दूसरों के कलाम को भी झेलती है. पत्नी धर्म का इस से बढ़ कर कोई क्या पालन करेगा?
ताऊ : मतलब आपको भाभी जी का पूरा सहयोग मिलता है?
नीरज जी : बिल्कुल ताऊ, सच्ची बात तो ये है की आज मैं जो कुछ भी हूँ जैसा भी हूँ वो सब इनकी वजह से ही हूँ. ये बात मैं गीता पर हाथ रख कर कह सकता हूँ.
"गीत तेरे जब से हम गाने लगे
भीड़ में सबको नज़र आने लगे"
और सुनिये ताऊ
"नीरज" सच्चे मीत बिना
जीवन डाँवाडोल मियां "
ताऊ : अरे भई नीरज जी आप गीता पर क्युं हाथ रख रहे हो? आपकी बात को गलत मानने का कोई उपाय ही नही है. क्योंकि प्रेम में अच्छे भले लोग शायर बन जाते हैं और आप तो पैदायशी कवि हैं. और भाभी जी आपकी प्रेरणा हैं. अब आप अपने जीवन की किसी उपलब्धि के बारे में बताईये?
नीरज जी : जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही की अभी तक का जीवन बहुत हंसी ख़ुशी में बिताया...ना किसी से नफरत या इर्षा हुई और ना ही झगडा, किसी पचडे में नहीं पड़े...हर तबके और उम्र के लोगों से भरपूर प्यार पाया. मेरी निगाह में इस से बढ़ी उपलब्धि और क्या होगी. हाँ आप मेरा इंटरवियु छाप रहे हैं ये जरूर मेरे जीवन की उपलब्धि कही जा सकती है.
ताऊ : अच्छा नीरज जी अब आप मिष्टी के बारे में कुछ बताईये.
नीरज जी : "मिष्टी" के बारे में क्या कहूँ? मेरे बड़े बेटे "अमित" की बेटी है और हमारे घर का सबसे बड़ा आकर्षण, उसकी बाल सुलभ लीलाएं देख कर मन ही नहीं भरता. अब मेरे छोटे बेटे "अंकुर" का बेटा "इक्षु" भी उसी के नक्शे क़दमों पर चलने की कोशिश में है. उनको देख कर "रब ने बना दी जोड़ी" का ये गीत गता हूँ: " तुझ में रब दिखता है यारा मैं क्या करूँ..."
ताऊ : अक्सर पूछा जाता है कि ताऊ कौन? आप क्या कहेंगे?
नीरज जी : सच्ची बात तो ये है की जब तक आप घर के दरवाजे तक नहीं आ गए मैं भी अपने आप से पूछ रहा था की ताऊ कौन है? और इश्वर झूठ न बुलवाए अभी भी सोच रहा हूँ की आप जो मेरे सामने बैठे मुझसे सवाल पूछ रहे हैं क्या सच में ताऊ हैं...? कहीं असली ताऊ ने आपको अपने नाम से तो नहीं भेजा..."ताऊ" रहस्य के आवरण में लिप्त वो व्यक्ति है जिसके बारे में शायद महान जासूस लेखक देवकी नंदन खत्री (चन्द्र कांता फेम), ईयन फ्लेमिंग (जेम्स बांड फेम), जेम्स हेडली चेज़ या सर आर्थर कानन डायल (शर्लक होम्स फेम) को भी लिखने में बहुत दिमाग लगाना पडता. ये रहस्य ही ताऊ की लोकप्रियता का राज़ है.
ताऊ : ताऊ पहेली और ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
नीरज जी : आप की पहेली और साप्ताहिक पत्रिका ने ब्लॉग जगत में लोकप्रियता की नयी मिसाल कायम की है. ऐसा प्रयास पहले कभी कहीं देखा नहीं गया. योग्य और अनुभवी टीम हमेशा नयी नयी जानकारियां अपने पाठकों को उपलब्ध करवाता है. इस प्रयास की जितनी तारीफ की जाये कम है. ताऊ अगर आप ही हैं तो और नहीं हैं तो भी महान हैं.
ताऊ : आपको अगर भारत सरकार मे वाणिज्य मंत्री बना दिया जाये तो आप क्या करेंगे?
नीरज जी : ताऊ मैंने पहले भी बताया था की अपना राजनीति से ईंट कुत्ते जैसा बैर है...राजनीती के नाम से ही उबकाई आने लगती है...शायद इसमें हमारा दोष कम और इसे करने वाले हमारे नेताओं का ज्यादा है...राजनीती इस समय इतना गिर गयी है की इस से ज्यादा और गिर नहीं सकती...बिना राजनीती के तो ताऊ वाणिज्य मंत्री बना नही जा सकता...पर आप कहते हैं तो चलिये बन जाता हूँ.
"हाथ में फूल दिल में गाली है
ये सियासत बड़ी निराली है"
ताऊ : अब ये बताईये कि वाणिज्य मंत्री बनकर आप क्या करेंगे?
और आप को अपने सपोर्ट से प्रधान मंत्री बना दूंगा...लेकिन ये बात अभी जरा गुप्त ही रहे.
ताऊ : आप हमारे पाठको के नाम कोई सन्देश दीजिये.
नीरज जी : हां बिल्कुल ये अपना एक शेर:
"जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो
क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी"
ताऊ : नीरज जी, आपने हमे तो शेरो शायरी मे सराबोर कर दिया. हमे तो मालुम चल गया कि आप एक दिलकश और शानदार आवाज के धनी भी हैं. आपसे एक गुजारिश है कि हमारे पाठकों को भी आपकी आवाज के जादू मे डुबोने की कृपा करें.
नीरज जी : ताऊ, अब आपका आदेश सर माथे..लिजिये मेरी ये गजल सुनिये.
साल दर साल ये ही हाल रहा याद करना खुदा को भूल गए ना सँभाला जो पास है अपने यों जहाँ से निकाल सच फेंका क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की ऐंठता भर के जेब में सिक्के दिल की बातें हुई तभी रब से चाँद में देख प्यार की ताक़त फूल देखूं जिधर खिले 'नीरज'
तुझसे मिलना बड़ा सवाल रहा
नाम पर उसके बस बवाल रहा
जो नहीं उसका ही मलाल रहा
जैसे सालन में कोई बाल रहा
जिनके दिल में तेरा खयाल रहा
सोच में जो भी तंगहाल रहा
बीच जब ना कोई दलाल रहा
जब समंदर लहर उछाल रहा
ये तेरी याद का कमाल रहा
ताऊ : वाह वाह नीरज जी क्या आवाज है आपकी..बस आनन्द बरस गया. बहुत लाजवाब . अब कोई ऐसी बात जो आप कहना चाह्ते हों?
नीरज जी : ताऊ अब इसके सिवाय की आप को मुझे इतनी देर से बर्दाश्त करने और इस साक्षात्कार के लिये धन्यवाद दूं और कुछ कहना बचता है क्या? एक निवेदन जरूर करना चाहता हूँ की आप जब भी मुम्बई आये मुझे याद करें और हमारे साथ भोजन करें, हमें बहुत आनंद मिलेगा, आप जैसे जिंदादिल लोग बहुत मुश्किल से मिलते हैं ताऊ जो ज़िन्दगी का भरपूर आनंद उठाते हैं....वर्ना तो मुझे ये कहना पढता है:
गीत भँवरों के सुनो किस से कहूँ मैं 'नीरज'
जिसको देखूं वो ही उलझा है बही-खातों में
और नीरज जी के एक लंबे ठहाके के साथ ये इंटर्व्यु समाप्त हुआ...
और अगली बार मिलने का और उनके साथ भोजन का वादा करके हम वापस मुम्बई लौट आये, जहां से हमारी फ़्लाईट का समय हो ही चुका था. नीरज जी की सुनाई शेरों-शायरी में डुबे हम उनकी ये गजल जिसको ब्लाग जगत की स्वर-कोकिला सुश्री पारुल जी (पारुल...चाँद पुखराज का) द्वारा स्वर दिये गये है, को सुनते हुये मुम्बई पहुंचे और वापस अपने गंतव्य को रवाना हो गये.
नीरज जी की इस गजल को स्वर-कोकिला सुश्री पारुल जी ने शब्द दिये
मिलेंगी तब हमें सच्ची दुआयें
किसी के साथ जब आंसू बहायें
बहुत बातें छुपी हैं दिल में अपने
कभी तुम पास बैठो तो सुनायें
फकीरों का नहीं घर बार होता
कहां इक गांव ठहरी हैं हवायें
हमेंशा जीतता है यार सच ही
बुर्जुगों से सुनी ऐसी कथाएँ
बना लें दोस्त चाहे आप जितने
मगर हरगिज़ न उनको आज़मायें
बिछुड़ कर घरसे हम भटके हैं जैसे
गिरे पत्ते शजर से धूल खायें
लगा गलने ये चमड़े का लबादा
चलो बदलें, रफू कब तक करायें
अजब रिश्ता है अपना तुमसे ‘नीरज’
करें जब याद तुमको मुस्कुरायें
आपको कैसा लगा नीरज जी का ये परिचयनामा ..अवश्य बताईयेगा.
वाह ताऊ नीरज जी से सब कुछ उगलवा लिया
ReplyDeleteबहरहाल नीरज जी के बारे में विस्तार से जान कर मन गार्डन-गार्डन हो गया
प्रस्तुत दोनों ग़ज़लें तो बेहतरीन हैं ही
आप दोनों का आभार
मिष्टी को प्यार
और हां इक्षु को भी बहुत-बहुत प्यार-आशीष
वाह जी! क्या बात है!!
ReplyDeleteआपके इस इंटरव्यू की बदौलत नीरज जी के बारे में कुछ विस्तार से जान पाये। धन्यवाद आपको
नीरज जी कई बार कह चुके हैं 'आते क्या खंडाला (खापोली)?' :-)
अगली बार मुम्बई यात्रा हुयी तो अवश्य मुलाकात करूँगा।
नीरजजी से मुलाकात शानदार रही। मौजदार ,मजेदार। शिवबाबू को इस बात का श्रेय मिलना चाहिये कि वे नीरजजी को ब्लागिंग में लाये। नीरजजी और पारुल्जी की आवाज में गजल सुनकर आनन्दित हुये।
ReplyDeleteताऊ
ReplyDeleteगज़ब उगलवा लिए भाई..काफी जाना नीरज भाई को. एक व्यक्तिगत मुलाकात हुई थी उनसे मुम्बई में कुछ पलों की..उसू में बहुत अपने से हो लिए थे वो. हम तो उनके कनाडा आने का इन्तजार कर रहे हैं..सुना है कि बस, आने ही वाले हैं.
जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो
क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी
यही फलसफा हमारा और उनका जोड़ फेविकोल वाला बना देता है..क्या बात कहीं है.
भाभी जी के दर्शन करवाये दिये, हम धन्य हुए.
बहुत उम्दा रहा इन्टरव्यू...मजा आ गया.
वो शक्श जो आज, मेरे सामने बैठा है...
उसे पता कहाँ, वो मेरे दिल में रहता है.
नीरज जी से यह परिचय बड़ा ही मोहक है । दोनों गजलें मधुर हैं और इस बातचीत को रचनात्मक उर्जा देती हैं ।
ReplyDeleteइस बातचीत का आभार ।
गजब का साक्षात्कार!!
ReplyDeleteसब कुछ पता चला नीरज जी के बारे में!!
नीरज जी को देख लगता नहीं था कि वो क्रिकेट ग्राउंड जाते होंगे और इतनी विदेश यात्राएं...क्या बात है...ग़ज़ल तो अच्छी है ही।
ReplyDeleteवाह ताऊजी, नीरज जी से मुलाकात बहुत अच्छी लगी। उनकी गज़ल ये शेर बहुत पसंद आये
ReplyDeleteऐंठता भर के जेब में सिक्के
सोच में जो भी तंगहाल रहा
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहाआप दोनों का आभार!!
बहुत ही सुंदर साक्षात्कार .
ReplyDeleteयह पोस्ट तो ताऊ ने कुछ दिन पहले ही लीक कर दी थी। लिहाजा काफी कुछ पढ़ चुके थे फीड के माध्यम से।
ReplyDeleteबाकी, नीरज जी बहुत जिन्दादिल इन्सान हैं। जो व्यक्ति अपने पर हंस सके, वह सभी का प्रिय होता है।
नीरज जी को बैंगन नहीं प्रिय है यह जान कर भी अच्छा लगा। कभी उनके यहां गये तो बैंगन की सब्जी मिलने की सम्भावना तो शून्य भई! :)
नीरज जी का परिचय पाकर अच्छा लगा. आभार.
ReplyDeleteवही मैं सोंचूं कि आपकी और मेरी फ्रिक्वेंसी इतनी क्यों मिलती है । आप भी क्रिकेटर हैं और मैं भी । खोपाली इलेवन और सीहोर इलेवन का मैच हो जाये । मैं कालेज में अपनी क्रिकेट टीम का मप्तान रह चुका हूं । बैंगन महाराज से मेरा भी कुछ घ्रणा का नाता है लेकिन होशंगाबाद में नर्मदा की रेत में पैदा हुए बिना बीज के बैंगनों का कच्चा भरता और भरवां बैंगन ये दोनों मुझे अत्यंत प्रिय हैं । मिष्टी के बारे में जानकर अच्छा लगा और इक्षु महाराज तो अभी से शैतान नजर आ रहे हैं ( दादाजी की छांव तो नहीं पड़ी) । संयुक्त परिवार का कोई विकल्प नहीं है। आपकी इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं । कई सारी बातें आप कुशल राजनीतिज्ञ की तरह से गोलमोल कर गये । वो जैसे सीधी बात में प्रभु चावला का हाल होता है वही ताऊ का भी हो गया । फिर भी साक्षात्कार अनूठा है । अरे हां मैं तो समझता था कि मेरा मुंबई में कुछ दिन माडलिंग में हाथ आजमा कर मुबई छोड़ देना शहरुख के लिये ठीक रहा, लेकिन आप तो मेरे भी .... । श्रद्धेय भाभीजी के साथ आपका प्रेम विवाह हुआ है ये पता तो आज चला लेकिन जानता पहले से था । आप जैसा प्रेमी जीव ये नहीं करेगा तो क्या करेगा । भाभीजी के साथ मुझे सहानुभूति है कि उन्होंने प्रेम जनरल स्टोर से एक ऐसा सामान लिया जिस पर साफ लिखा होता है, फैशन के दौर में गुणवत्ता की मांग न करें । बहुत अच्छा साक्षात्कार दोनों रंग में नजर आये साक्षात्कार लेने वाला भी और देने वाला भी । एक सहेजने योग्य आयोजन । बधाई सभी को जो इससे जुड़े हैं ।
ReplyDeleteबधाई
ReplyDeleteवाह क्या लाजवाब गजल सुनवाई आपने. नीरज जी को जानना बहुत अच्छा लगा. बहुत बढिया काम कर रहे हैं आप इस तरह परिचय करवा कर. बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा यह परिचयनामा. कितने विविध लोग हैं इस ब्लाग जगत मे भी. एक से एक धुरंधर और लाजवाब हैं.
ReplyDeleteरामराम.
ताऊ इंटर्व्यु वाली कुश्ती आप मे और नीरज जी मे बडी कांटा पकड की रही. और मजे की बात ये कि दोनों जीत गये. बेहद सुंदर साक्षात्कार लिया और दिया गया है. दोनो की दोनों गजल आपके दावे के मुताबिक लाजवाब हैं, नीरज जी को बधाई और आप तो हमारे ताऊ हैं ही तो आपको तो चोबिसों घंटो बधाई देते ही रहते हैं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही लाजवाब और रोचक साक्षात्कार. पढकर मजा आया. गजल बहुत लाजवाब.
ReplyDeleteमजेदार रहा नीरज जी से शेर युक्त परिचय,
ReplyDeleteसरल ह्रदय वक्तित्व !!!!
उनकी आवाज़ और ग़ज़लबहुत खूब !!!!
अक्सर पूछा जाता है ताऊ कौन ??इस प्रश्न का जवाब बड़ा सटीक था :))
सस्पेंस है इसमें जाऊ जी :))
नीरज जी से मुलाकात करवाने के लिए आभार. .
ReplyDeletewah ji wah tau ne to neeraj ji ka poora jivan darshan kara diya. behad rochak laga ye sakshatkaar.
ReplyDeleteआपके इस इंटरव्यू ने नीरज जी के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके व्यक्तित्व को जानने का मौका मिला. नीरज जे के परिवार से मिलवाने और गजले सुनवाने का आभार. बेहद शानदार प्रस्तुती..
ReplyDeleteregards
10/10.. ताऊ बहुत धासूं इन्टरव्यु रहा.. नीरज जी के बारे में जान बहुत अच्छा लगा...
ReplyDeleteराम राम
नीरज जी को बधाई...इक्षु के लिये..
*आज नीरज जी का साक्षात्कार अपने एक नए रूप में है..सवाल जवाबों की प्रस्तुति ` रोचक है.
ReplyDelete*एक और लोकप्रिय ब्लॉगर से परिचय हुआ.
*एक और प्रेम विवाह की कहानी..पहले सुनी -काजल जीकी फिर गौतम राजश्री जी और ....अब..नीरज जी की प्रेम कहानी !
*आप की आवाज़ में ग़ज़ल सुनना अच्छा लगा.सभी शेर और गज़लें अच्छी हैं .
*यह शेर बहुत पसंद आया-
'लोग वो 'नीरज' हमेशा ही पसंद आये हमें
भीड़ में जो अक्लमंदों की मिले नादान से '
*प्रिय "मिष्टी" और "इक्षु" से मिलना बड़ा सुखकर रहा.
*अब तो इंतज़ार है कि आप जल्द ही वाणिज्य मंत्री बने और सब से पहले ब्लॉग भत्ता जारी करें.
ताऊ जी और नीरज जी को बहुत बहुत बधाई. और शुभकामनायें.
वाह! नीरज जी से परिचय शानदार रहा.. हालाँकि नीरज जी के ही शब्दों में हम उनके जीवन के शानदार पलो को पढ़ चुके है ऑर इतना कह सकता हूँ कि उन पर एक ब्लोक बस्तर हिंदी फिल्म बनायीं जा सकती है..
ReplyDeleteशुक्रिया ताऊ आपका नीरज जी से मिलवाने के लिए
बहुत शानदार मुलाकात.
ReplyDeleteताऊ जी भी कहाँ-कहाँ की बातें खोज लाते हैं. बाबू जेम्सबांड पढ़ लें तो ये कहते हुए जासूसी से संन्यास ले लें कि "जब ताऊ जी जैसी जासूसी नहीं कर सके तो लानत है."
एक ही शिकायत है. नीरज भैया ने ब्लागिंग में लाने के लिए मुझे क्रेडिट दिया. मैं तो सोच रहा था कि हर अच्छी बात का क्रेडिट मुझे ही देंगे. जैसे नाटक के प्रति उनकी रूचि मेरी वजह से हुई. गजल के प्रति लगाव मेरी वजह से है. शास्त्रीय संगीत के बारे में मैंने ही उन्हें बताया वगैरह वगैरह......:-)
क्रेडिट क्रंच के इस दौर में जितनी क्रेडिट मिल जाए उतनी अच्छी....:-)
उनकी प्रेम कहानी सुनकर अच्छा लगा .....यानी देखिये तब से प्रेम क्रान्ति की लौ उठी थी....जो आज भी कभी कभी धड़क जाती है......अमां कागजो में शेरो की शक्ल में ....पर एक नेक ,सच्चे .भावुक ,सह्रदय इंसान जो जीना जानते है ओर इसका आनंद लेना भी .....फिर उनके पास एक नन्ही परी भी है.....मिष्टी....
ReplyDeleteकरने कहाँ है देती, दिल की किसी को दुनिया
ReplyDeleteसदियों से लीक पर ही, चलना सिखा रही है"
बहुत अच्छा लगा नीरज जी से मिलकर...
मीत
भई वाह्! बहुत ही जोरदार साक्षात्कार रहा नीरज जी का......इसी बहाने उनके व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं को भी जानने का अवसर मिला......आप दोनों का आभार.
ReplyDeleteबहुत कुछ जाना नीरज जी के बारे में ..उनके लिखे से तो पहले ही प्रभावित हैं ..आज बहुत कुछ जानने को मिला उनके बारे में ..रोचक है सब ..शुक्रिया
ReplyDeleteTau ji
ReplyDeletemain to sabse pahle aapka shukriya ada karunga ki aapne shri neeraj ji ka interview liya aur aaj saare blogjagat ko unse parichay karwa diya .
waise main bahut saubhaagyashali hoon ki unse milne ka mauka mila aur kya khoob samay hamne bitaya ..
unse milkar laga aur ye viswaas aur gahra hua ki duniya me acche logo ki kami nahi hai aur itna hansmukh swabhaav unka ki kya kahne ..
aaj isliye maine bhi apni gurudakhsina neeraj ji ko di hai , mere blog par apni ek kavita aapko dedicate kiya hai
aapko dero badhai is praayas ke liye...
vijay
मिष्टी और इक्षु को आशीष.......साक्षात्कार रोचक लगा...
ReplyDeleteरहिमन हीरा कब कहे लाख हमारो मोल",
अच्छा लगा नीरज जी से मिलकर !
ReplyDeleteनीरज जी के साथ शेरो शायरी के रंग में रंगी मुलाकात काफी रोचक रही! एक बात तो मानना पड़ेगा कि नीरज जी के पास हर अवसर के लिए शेर तैयार हैं!
ReplyDeleteनीरज जी को जानने का बहुत अच्छा अवसर आप ने दिया है। लगता है अगली मुम्बई यात्रा में जरूर मिल सकेंगे। हाँ यदि वे कभी जयपुर आ-जा रहे हों और सूचना हो तो कोटा में भी भेंट हो ही सकती है। चाहे संक्षिप्त ही क्यों न हो।
ReplyDeleteबहुत कुछ जानते थे बहुत कुछ जानने को मिला, मजा आया नीरज जी को पढ़ कर
ReplyDeleteपढता गया और वाह वाह करता गया. क्या खूब व्यक्ति है नीरजजी.
ReplyDeleteनीरज जी से परिचय कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .. बहुत अच्छी रही यह इंटरव्यू।
ReplyDeleteNeeraj ji ki puri shakhshiyat se apne parichay kara diya...
ReplyDeleteachha laga unke baare mai itna kuchh janna...
वाह क्या लाजवाब गजल सुनवाई आपने. नीरज जी के बारे मे जानना बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteनीरज जी से मुलाकात बहुत अच्छी लगी...सुंदर साक्षात्कार.बधाई.
ReplyDeleteneeraj ji ke baare mein itni rochak jankari dene ke liye shukriya.............aur aapke sakshatkar lene ka tarika bhi lajawab .......koi shetra nhi choda........jeevan ka har rang is ek sakshatkar mein dal diya.......koi prashna achuta nhi raha..........lajawab.
ReplyDeleteलोग वो 'नीरज' हमेशा ही पसंद आये हमें
ReplyDeleteभीड़ में जो अक्लमंदों की मिले नादान से
वाह ताऊ
नीरज जी से मिल कर नाजा आ गया.............उनके बहुत से अनजान पहलुओं के बारे में जानना अच्छा लगा.........हस्ते हुवे भी नीरज जी ग़ज़ल कहते हुवे लगते हैं..........आपका और उनका ...दोनों का अंदाज़ लाजवाब लगा.............गुजरांवाला से लेकर जयपुर से ले कर मुंबई का सफ़र..............और आपका साक्षात्कार .......... रोक्चक सफ़र था...........नीरज जी और आप को शुभ कामनाएं
भाई श्री नीरज जी,
ReplyDeleteसौ. अरुणा भाभी जी
की फलती फूलती गृहस्थी पर
ईश्वर सदा अपनी छाया रखेँ यह सद्`भावना के साथ ताऊ जी आपको घणी घणी शाबाशी भेज रही हूँ -
शुक्रिया !
चि. मिष्टी व चि. ईक्षु को आशिष
"बकलमझुद " अजित भाई के सराहनीय प्रयास के बाद,
आपके साक्षात्कार ,
हिन्दी ब्लोग जगत के चहेते
"ब्लोग वीरोँ " की जीवनी की यशोगाथा सँजोकर रखने का
महत्त्व्पूर्ण कार्य कर रही है -
नीरज भाई की अल्हड,
शायराना तबियत,
उन् की आवाज़ मेँ ,
गज़ल सुनते हुए ,
महसूस करते रहे
और हमारी पारुल के स्वर मेँ
हरेक नगमा,
बेसाख्ता चमक उठता है !
आप सभी का प्रयास
बहोत पसँद आया --
अभी इत्मीनान से पढ रही हूँ :)
बहुत स्नेह के साथ,
- लावण्या
मजा आ गया नीरज जी से मिलकर। उसने जुडे ढेरों पहलू पता चले। शुक्रिया जी।
ReplyDeleteसाक्षात्कार तो सुबह ही पढ़ लिया था पर टिपण्णी करने में असमर्थ था, क्यूंकि ब्लॉगर हमारे ऑफिस में ब्लाक है.
ReplyDelete... नीरज जी के जीवन के विविध रूपों से परिचय कराने का आभार. नीरज जी से गुजारिश है की कभी जयपुर आना हो तो हमें आपसे मुलाकात करने का सौभाग्य अवश्य दें....
मिष्टी और इक्षु को प्यार...
सुश्री पारुल जी की मधुर आवाज में ग़ज़ल सुनना अच्छा अनुभव रहा.
sher aur gazal se bhara ye shayarana mulakaat kaandaaz bahut hi pasand aaya.neeraj ji aur unke pariwar ko shubkamnaye.
ReplyDeleteताऊ नीरज जी से ऐसे मुलाकात और बातचीत करा दी जैसे आप लोगो के साथ मै भी वही मौजूद था .
ReplyDeleteWESE MAIN NEERAJ JI KE BAARE ME KYA KAHUN AAPNE TO SAARE HI RAAJ KHULWAALIYE TAU JI...EK UTKRISHTH GAZAL KAAR HAI WO HAMAARE BICH... UNKI LEKHANI KO SALAAM..
ReplyDeleteARSH
नीरज जी एक नेक दिल ,हंसमुख ,मिलनसार, खुलेदिल वाले जिन्दादिल इन्सान लगे ....ऐसे इन्सान बिरले ही होते हैं ....शायद तभी उन्हें जीवन में कामयाबी हासिल है ....एक प्रेमी ह्रदय ही इतनी अच्छी गज़लें लिख सकता है ....आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो उनका साक्षात्कार कराया ......!!
ReplyDeleteneerjji ka sakshatkar bhut acha lga
ReplyDeleteapko bhut dhnywad .
neerjji ka sakshatkar bhut acha lga
ReplyDeleteapko bhut dhnywad .
"न सोने से न चांदी से, न हीरे से न मोती से
ReplyDeleteबुजुर्गों की दुआओं से, बशर धनवान होता है"
नीरज जी के बारे में विस्तार से जान कर बहुत अच्छा लगा।
बोलते चित्र और उससे भी बढ़कर लगी बोलती हुई दोलों गजलें।
नीरज जी को बधाई तथा ताऊ जी को धन्यवाद।
राम-राम।
आहहा...आनंद आ गया ताऊ, नीरज जी का ये अद्भुत ग़ज़लम्य साकक्षातकार पढ़ कर
ReplyDeleteनीरज जी के इन अन्छुये पहलुओं को जानने के बाद पहले से ही उनके लिये हमारा ये दीवाना दिल और दीवाना हो गया...
नीरज जी का परिचय पाकर अच्छा लगा. आभार.
ReplyDeleteनीरजी बधाई के लिऐ देरी से पहुचने के लिये क्षमा कर दे। मेरे लिये खुशी की बात है आप हमारे मुम्बई(खपोली) के है यह राज भी आज पत्ता चला। साथ ही साथ मै आज आपके बहुत करीब था आज लोणावला- खण्डाला मे वहॉ जुन मे मेरे भतीजी कि शादी कि पुर्व तैयारी के लिये गऐ हुऐ थे। विशेष ताऊजी के माध्यम से आपके सुन्दर व्यक्तित्व कि जानकारी मिली।
ReplyDeleteआपकी जादुई आवाज मे जो गजल सुनी-
साल दर साल ये ही हाल रहा
तुझसे मिलना बड़ा सवाल रहा
दिल को भा गई।
आप सपरिवार को मेरी तरफ से मन्गल कामनाऐजी
आप हिन्दी ब्लोग जगत के चहेते बने रहे इन्ही भावनाओ के साथ ताऊजी का आभार की अपनी चिरपरिचित अन्दाज मे धाकड इन्टरव्यू किया।
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
का आभार
नीरजी बधाई के लिऐ देरी से पहुचने के लिये क्षमा कर दे। मेरे लिये खुशी की बात है आप हमारे मुम्बई(खपोली) के है यह राज भी आज पत्ता चला। साथ ही साथ मै आज आपके बहुत करीब था आज लोणावला- खण्डाला मे वहॉ जुन मे मेरे भतीजी कि शादी कि पुर्व तैयारी के लिये गऐ हुऐ थे। विशेष ताऊजी के माध्यम से आपके सुन्दर व्यक्तित्व कि जानकारी मिली।
ReplyDeleteआपकी जादुई आवाज मे जो गजल सुनी-
साल दर साल ये ही हाल रहा
तुझसे मिलना बड़ा सवाल रहा
दिल को भा गई।
आप सपरिवार को मेरी तरफ से मन्गल कामनाऐजी
आप हिन्दी ब्लोग जगत के चहेते बने रहे इन्ही भावनाओ के साथ ताऊजी का आभार की अपनी चिरपरिचित अन्दाज मे धाकड इन्टरव्यू किया।
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
का आभार
bahut badhiya post. keep it up taau
ReplyDeleteसाक्षात्कार तो बहुत बढिया और रोचक लगा...नीरजजी के बारे मे बहुत कुछ जानने को मिला... .मिष्टी और इक्षु को प्यार और आशीष...
ReplyDeleteअच्छा लगा नीरज जी के बारे में जान कर, और भी अच्छी लगी मिष्ठी रानी, इक्षु और श्रीमती नीरज की फोटो....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आयोजन रहा
ReplyDeleteनीरज जी का परिचयनामा पढ़ कर मजा आ गया, लगा जैसे नीरज जी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व ही हमारे सामने प्रस्तुत कर दिया आपने
गजल खास पसंद आई
आपका वीनस केसरी
... ताऊ जी और नीरज जी ... बहुत बहुत बधाई...शुभकामनायें.
ReplyDeleteनीरज जी के कायल तो हम पहले ही थे इस अंतरंग जानकारी ने उनके जीवन के विभिन्न पहलूओं को उजागर करके और कयामत ढा दी है। शायरी आपके जीवन में इस कदर रची-बसी है, जानकर अच्छा लगा। ताऊ का धन्यवाद।
ReplyDeleteएक बार फिर उसी स्टाईल में बात कहूँगा जो मैंने अपने ब्लॉग पर कही थी की "एक साधारण इंसान की अति साधारण बातों को जो आपने असाधारण प्यार दिया है उस से मैं अभिभूत हूँ..." इश्वर से प्रार्थना करता हूँ की वो आप सब लोगों का प्यार मुझ पर यूँ ही बनाये रख्खे...ताउजी का विशेष रूप से धन्यवाद जिन्होंने मुझे आप सबको अपनी बातें सुनाने का सुअवसर दिया...
ReplyDeleteस्नेह बनाये रख्खें.
नीरज
लाजवाब इंटर्व्यु. गजल सुनकर अति आनन्द आया. धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत उच्चकोटि के सवाल जवाब. ब्लागिंग मे यह एक अनूठी बात देखी. नीरज जी को जानना अच्छा लगा.
ReplyDeleteवाह नीरज जी से मिलकर तो मजा आगया. बहुत बढिया लगा यह साक्षात्कार.
ReplyDeletebahut achha lagaa ek gajal aur sangit ke ustad se milkar.
ReplyDeleteकमाल कर दिया जी आप दोनो ने. हम तो यही कहेंगे कि मजेदार सवालों के मजेदार जवाब, बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल सुनवाई आपने, और उतना ही रोचक रहा इंटर्व्यु.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लगा नीरज जी का साक्षात्कार. धन्यवाद.
ReplyDeleteक्या ताऊ कल तीन बार आकर हम लौट गए... रिडायरेक्ट का ऐसा चक्कर की रीडर में ही पढ़ के बैठ गए. पेज ही ना खुले. अब ठीक है. और इस साक्षात्कार के बारे में कुछ कहने की जरुरत है क्या?
ReplyDeleteताऊ,
ReplyDeleteनीरज जी के बारे में जान कर बहुत खुशी हुई. उनकी खूबसूरत ग़ज़ल के साथ आपने उनकी मीठी आवाज़ भी सुनवाई, इसके लिए बहुत धन्यवाद!
जब तलक जीना है "नीरज" मुस्कुराते ही रहो
ReplyDeleteक्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है जिन्दगी..bahut accha lagaa neeraj ji ke baarey jaankar..khaaskar unki avaaz sunnaa..
बहुत ही लाजवाब और रोचक साक्षात्कार !!
ReplyDeleteआभार.....
नीरज जी से अन्तरंग परिचय करवाने के लिए आप निस्संदेह धन्यवाद के पात्र है ! आपका लेखन बहुत रुचिकर है !
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