पिछली पोस्ट म्ह थम पढ राखे हो कि गोटू सुनार ताऊ को चूना लगा कर, राज भाटिया जी को भी दस लाख का चूना लगा गया. और ताऊ उसको ढुंढ्ता हुआ चांद पर जाकै यमराज तैं भी उलझ गया था. वहां से गोटू सुनार को ढुंढता २ वापस धरती पर उसी जगह आ गया जहां से गोटू गायब हुआ था.
अब ताऊ ने पूरे प्लान का नक्शा अपने दिमाग में बनाया और उस पर अमल करने के लिये जूतियों की महंगी दुकान पर पहुंच गया.
ताऊ ने अब एक जोडी बढिया चमडे की देशी जूती खरीदी . और उस जगह से ऊंट के पांवो के निशान देखते हुये गोटू का पीछा करने लगा.
अब ताऊ ऐसे रास्ते पर पहुंच गया जहां से आजू बाजू मे घणी झाडियां थी. यानि आप सीधे तो देख सकते हो पर आजू बाजू देखना बडा मुश्किल. निर्जन रास्ता था.
अब थोडी दूर पर ताऊ को दिखा कि गोटू आराम से चला जारहा है और ऊंट उसके आगे आगे चल रहा है. गोटू माल मिलने की खुशी मे बिल्कुल झूमता हुआ और रागनी गाते हुये चला जा रहा था.
अब आप तो जानते ही हैं कि ताऊ का दिमाग इन कामों मे कम्प्युटर से भी तेज चलने लगता है. सो ताऊ चुपचाप बगल की झाडियों से साईड म्ह निकल गया और तेजी से दोडते हुये गोटू के काफ़ी आगे जाकर बीच रास्ते मे एक जूती डाल दी. और साईड मे छुपकर गोटू का इन्तजार करने लगा.
गोटू सुनार ने शानदार जूती रास्ते मे पडी देखी तो उसने ऊठा कर उसे देखा और मन ही मन बोला - जूती तो घणी ही सौवणी (सुन्दर) सै, पर सै एक ही, अपणे किस काम की?
और जूती को वहीं रास्ते म्ह पटक कर आगे बढने लगा. इधर ताऊ उसको छुपकर देख ही रहा था. अब ताऊ ने साईड से छुपते हुये और घणी जोर तैं दौड लगा दी और आगे जाकर दूसरी जूती भी रास्ते मे गिरा दी. और चुपचाप झाडियों मे छुप कर बैठ गया.
अब जैसे ही गोटू सुनार आया और उसने वहां पडी हुई दुसरी जूती भी देखी. उसने उस जूती को ऊठाकर देखा और कुछ सोचने लगा. फ़िर उसको याद आया की अरे यह तो अभी एक दो किलोमीटर पीछे जो एक नई जूती पडी थी उसी की साथ वाली दुसरी जूती है.
गोटु ने मन ही मन सोचा कि - वाह यार, इतने दिन से चलते हुये जुतीयां भी फ़ट गई हैं और इतनी शानदार जूतीयां मुफ़्त मे मिल रही हैं. सो क्युं ना पीछे से वो पहली वाली जूती भी ऊठा लाऊं? यहां कौन आता है जंगल मे? तब तक ऊंट भी थोडा आराम कर लेगा.
और गोटू सुनार ने वहीं पर ऊंट को एक झाडी की मोटी सी टहनी से बांधा और खुद पीछे की तरफ़ लपका जूती लेने.
इब ताऊ की स्कीम सफ़ल हो चुकी थी. ताऊ ने फ़टाफ़ट ऊंट को टटोला, सेठ के यहां का सारा सोना चांदी और भाटीया जी के दस लाख सब कुछ ऊंट पर लदे हुये थे.
ताऊ ने फ़टाफ़ट ऊंट को खोला और उसको दौडाता हुआ खुद के घर आगया. घर आकर उसने सारे नोट , सोना, चांदी यानि जो भी ठगी का माल था वो सबका सब घर.. आंगन..
रसोई घर कमरे आदि मे खोद खाद कर दबा दिया.
और ऊंट को दूर कहीं लेजाकर डंडे मार कर भगा कर घर आया और अपनी घरवाली से बोला - देख गोटु सुनार आयेगा जरुर और वो मेरे लिये पूछे तो बताना मत. सिर्फ़ यही कहना कि मैं तो कई दिन से बाहर गया हूं और कब लौटूंगा ये भी बता कर नही गया.
और मैं पास के ही बिना पानी वाले अंधे कुयें मे छुपा रहूंगा. तू चुपचाप आकर मुझे दोनो समय रोटी एक बाल्टी मे लटका कर देते रहना. जब ये सुनार थक कर चला जायेगा तब बाहर निकल आऊंगा.
ताई भी पक्की थी, बोली- जी थम धेला माशा भी चिंता मतना करो. मैं सब समझ गई. और ताऊ वहां से जाकर कुये मे छुप गया.
ताऊ
ReplyDeleteभाटिया जी के पैसे पहले वापस दे आया..गोटू तो आ ही रहा होगा. उत्ते दिन कुँए में छिपने की जगह जर्मनी में रह आ.
रिक्शे में ही चले जा-२५ रुपये स्टाईल में. :)
इस किराये मे तो मैं पीछे बैठूंगा और तू रिक्शा खींच कै गाड्डी अड्डै ले जावैगा.
ReplyDeleteयह है ताऊ का शाही अंदाज़, रिक्शा भी चलाना हो तो शान से!
अब बारी गोटू सुनार की है ..बच के रहना रे ताऊ !
ReplyDeleteवाह वाह खूंटे से मजा आ गया! मेरे बापू कहते थे कि १२वीं में पास हुआ तो स्कूटर और ना हुआ तो आटो रिक्शा!!
ReplyDeleteधन्य हो ! ठगों के ठग :)
ReplyDeletebhatiya sirji aapke paise tau ji vapas le aaye hai sunar se ,pehle mang ligiye vaana kahi mukar na jaye:):)
ReplyDeleteJai ho TAU.........
ReplyDeletekati chala pad rakhya sai khunte pai to.....
गोतू सुनरके वापसी की चौकीदारी मा लाग गया सी.
ReplyDeletekhoonta padh ke maza aa gaya, aur taau khoob maza chakhaya hai aapne gotu sunar ko, isko kahte hain sau sunar ki ek luhar ki :D saara maal waapas.par ab bach ke rahna.
ReplyDeleteताऊ भाटियाजी के पैसे वापस कर. फिर कूँए में पड़ माने कूँए में छिप.
ReplyDeleteस्कीम जोरदार थी ताऊ की. सुनार को बत्ती क्यों नहीं हुई? यह आश्चर्य है. :)
ताई भी पक्की थी, बोली- जी थम धेला माशा भी चिंता मतना करो. मैं सब समझ गई. और ताऊ वहां से जाकर कुये मे छुप गया.
ReplyDelete"गोटू सुनार की बारी तो जब आएगी तब आएगी पर ताऊ जी ये पिसा है ना बडा कमबख्त टाइप है .....बच कर रहना कही ताई का ईमान डोल गया तो थमने घणी मुश्किल हो जावेगी ...ना तो रोटी पानी मिल्लेगा ना ही दबा हुआ खजाना हा हा हा हा इब तो या उप्पर वाले का ही आसरा स्..."
Regards
वाह क्या खूटा है। एक बार तो ताऊ के रिक्शे की सवारी करने का जी करण लागा है।
ReplyDeleteताऊ जी को राम राम
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हें ताऊ जी रिक्चा भी चलाना हें तो ताऊ जी शान से .
ताऊ कब तक कुऐं में रहो्गो.. आजाओ सुनार चला गया..
ReplyDeleteताऊजी।....गोटु सुनार अपने आप को समझता क्या है?... आप चूने का ड्रम ले कर तैयार रहिए...हम तमाशा देखने के लिए तैयार है।..
ReplyDeleteTauji ! ankhir ye gotu jata kaha...
ReplyDeleteek n ek din to hathe ana hi tha.
ताऊ राम राम
ReplyDeleteदोनों ही पोस्ट बहूत बहूत मजेदार है(खूंटा मिला के)..............
हँसी नही रूकती खूंटा पड़ने के बाद तो
और वो भाटिया जी के १० लाख से क्या करने का विचार है जरूर बताना
ताऊ भाटियाजी के पैसे वापस कर. फिर कूँए में पड़ माने कूँए में छिप.
ReplyDeleteस्कीम जोरदार थी ताऊ की. सुनार को बत्ती क्यों नहीं हुई? यह आश्चर्य है. :)
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खूंटा तो पोस्ट पर भरी पड़ रहा है :-)
ReplyDeleteताऊ,थाणै जो ऊंठ कै डंडे मारे थे, उसके बारे मैं अगर किसी पशु अत्याचार के खिलाफ लडन आली किसी संस्था नै बेरा पाट गया तैं कदे लेणे के देणे ना पड ज्यां.
ReplyDeleteआज मैं अभी अभी किसी ब्लाग पर एक पोस्ट में हिन्दी चिट्ठाकारों के वर्गीकरण के बारे में पढ रहा था कि कुछ ब्लागर ऎसे हैंचिट्ठाजगत में इनका रूतबा वैसा ही है जैसा असली जिंदगी में नेताओं का। यानि कि स्वंयभू वाला जिनको अपने अलावा बाकि तुच्छ नजर आते हैं। ये अपने समुदाय के चिट्ठों के अलावा शायद ही इधर-ऊधर जाते हैं। आप इनके दरबार में कितनी ही हाजरी मार लें मजाल हैं ये आपके चिट्ठों की तरफ रूख करे, अगर कोई आया भी तो इतने चोरी चुपके आयेगा कि आपको पता भी नही चलेगा।
हमेशा की तरह मस्त
ReplyDeleteतो आख़िर गोटू सुनार चढ़ ही गया ताऊ के हत्थे !
ReplyDeleteताऊ राम राम जी की, ऎसा कर मेरे १५ लाख ले कर जर्मनी मै आ जा, कूये मे तो मच्छर भी बहुत है, ओर अच्छा भी नही लगता, मेरे यहा आ जा, मेरे पेसे भी मिल जाये गे, ओर आज कल यहां बर्फ़ भी खुब पड रही है जाती बार बर्फ़ लेजाना जितनी चाहिये,ओर जितने गोले बना कर खाने हो खुब खाना.
ReplyDeleteलेकिन जाते जाते सीमा जी की बात पर भी जरुर गोर करना....
ताऊ कुऍं में छिप गया, फिर क्या हुआ ?????????????
ReplyDelete(खूँटे पर मस्त चुटकुला था जी)
रिक्शेवाले के किराये बडे अनूठे हैं!उनकी में क्लास होने लगी!!!!!!हों भी क्यों न??रिक्शा चलाने वाला कौन है ये भी है देखना जरुरी होगा !!हमारे ग्रेट ग्रेट ताऊ जी !
ReplyDeleteगोटू सुनार का किस्सा भी जबरदस्त..ताऊ कुंए से कब निकले फिर?
Bahut Khoob Janab.
ReplyDeleteगाँधी जी की पुण्य-तिथि पर मेरी कविता "हे राम" का "शब्द सृजन की ओर" पर अवलोकन करें !आपके दो शब्द मुझे शक्ति देंगे !!!
क्या सिखा रहे हो ताऊ हमारे बच्चों को! अब आपका चिट्ठा बेन करना पडेगा. (हां, अगली बार ऐसा कुछ कांड करो तो 'मदद' के लिये इस सेवक को बुला लेना. मना तो सिर्फ बच्चों के लिये है, मेरे आपके लिये नहीं है !!
ReplyDeleteसस्नेह -- शास्त्री
-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.
महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
ताऊजी,
ReplyDeleteआपके चिट्ठे पर आकर हमें हमारी नानी की बहुत याद आती है। हमारा ननिहाल रोहतक में है(था), मेरी नानीजी अपनी हरियाणवी में बढिया कहानी सुनाती थीं, ऐसे ताऊ की ढगी के उन्होने कई किस्से सुनाये लेकिन हम हरियाणवी में लिख न पायेंगे, :-(
रिक्शे की कई यादें ताजा हो आयी....
ReplyDeleteऔर खूंटा हर बार की तरह जबरदस्त
bahut sundar likha hai aapane .
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