प्यार मोहब्ब्त विवाह से पहले आर्ट विवाह के बाद कामर्स और बच्चों के बाद हिस्ट्री.... समझ ना आए ऐसी है मिस्ट्री.... |
"यादें" उनकी याद खामोशी को नही बहलाती उनकी याद जुदाई को नही सहलाती उनकी याद भीड़ को बस तन्हा कर जाती हैं. |
"बिछोह" वो जब रुबरु थे बात तक करने का होश नही रहा जब बिछुड गये तो नींद मे भी बुदबुदाया करते हैं |
( रचना सुधार हेतु आभार : सुश्री सीमा गुप्ता जी ) |
प्यार मौहब्बत :)
ReplyDeleteयादें ;)
बिछोह :(
-तीनों क्लासिक पीस...सीमा जी को बधाई इन उम्दा रचनाओं के लिए..आपको तो खैर आभार क्या कहें..वो तो हमेशा हईये है. :)
बहुत खूब ताऊ - आपका यह कायाकल्प हमें बहुत पसंद आया! आपको बधाई, और सीमा जी को भी धन्यवाद!
ReplyDeleteउनकी याद
ReplyDeleteभीड़ को बस तन्हा कर जाती हैं.
वाह क्या कह डाला है ! दो प्रतिभाओं की अच्छी जुगलबंदी चल रही है -आमीन !
ताऊ.. क्षणीकायें तो जोरदार है.. पर ये सिर कटा हिन्दुस्तान का नक्क्षा क्यों लगा?
ReplyDeleteतीनों लाजवाब।
ReplyDeleteवाह,वाह! शानदार! हम तो कहते हैं और चाहते भी हैं कि सीमाजी भी कापी जांचते-जांचते आपके आज के लिखने के अंदाज से कुछ प्रभावित हो जायें। आज के सभी चित्र भी सटीक हैं। पहली वाली क्षड़िका तो गजबै है जी!
ReplyDeleteउनकी याद खामोशी को नही बहलाती , उनकी याद भीड़ को बस तन्हा कर जाती हैं."
ReplyDelete'यादे हमेशा ऐसे ही अपना आस्तित्व जतलाया करती हैं...."
Regards
उनकी याद खामोशी को नही बहलाती , उनकी याद भीड़ को बस तन्हा कर जाती हैं."
ReplyDelete'यादे हमेशा ऐसे ही अपना आस्तित्व जतलाया करती हैं...."
Regards
.पन्ना खोल कर पढ़ना शुरू किया, सोचा ताऊ और कविता फिर याद आया नहीं यह तो सविता है, सीमा जी कि. आभार.
ReplyDeleteवाहवा... ताऊ.. बहुत ही शानदार ढंग से प्रस्तुत किया आपने सीमा जी की क्षणिकाऒं को..
ReplyDeleteसीमा जी को इन क्षणिकाऒं के लिये और आपको इस अद्भुत प्रस्तुति के लिये बधाइयों का माउंटएवरेस्ट..
उनकी याद
ReplyDeleteखामोशी को नही बहलाती
उनकी याद
जुदाई को नही सहलाती
उनकी याद
भीड़ को बस तन्हा कर जाती हैं.
waah....sabhi rachnaye bahut sunder hai.
तीनो ही बहुत बेहतरीन लगी ...सीमा जी ने बहुत अच्छा लिखा है
ReplyDeleteतस्वीर का चयन भी उम्दा है ....रचनाओं की तरह ...खासतौर से पहली ओर तीसरी.....
ReplyDeleteताऊ ji कविता की इस विधा मैं भी आप लिखने लगे!वाह! यह तो बहुत खूब हैं!
ReplyDeleteसीमा जी के चित्र चयन तो शानदार है ही.
बहुत अच्छी लगी सभी क्षणिकाएं.
( प्यार मोहब्ब्त}-
ReplyDeleteयह ताऊ मिस्ट्री..है।
(यादें)
ताऊ! यह तुम्हारे उम्र दराज होने के सकेत है
("बिछोह")
ताऊ! शास्त्रीजी कि बच्च्पन से ही निद मे बुदबुदाने की आदत है
सुश्री सीमा गुप्ता जी आपकी बढिया कविताओ के लिये मै आपका अभिनन्दन करता हु। समिरलाला जी कि टीप्प्णी पढने पर ज्ञात हुआ कि आप को तो भुल ही गया। मुझे कन्फियुज करने मे ताऊ का हाथ ही है। क्षमा! अभार आपका और मेरे कलरफुल ताऊजी का।
ReplyDeleteबहुत प्यारी क्षणिकाएँ, पढवाने का शुक्रिया।
ReplyDeleteताऊ,
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा हैं कि उनकी याद खामोशी को नहीं बहलाती, उनकी याद भीड़ में तनहा कर जाती हैं,
और एक बात अगली पहेली नम्बर - ७ का इन्तजार कर रहा हूँ, शायद अगली बार कुछ बेहतर करूँ,
वैसे कृपया मेरे प्राप्तांक बताएँगे, पीछे से प्रथम तो जरुर हूँ,
बन्दे का आत्मविश्वास देखिये,
दिलीप कुमार गौड़
गांधीधाम,
लगता है गहरी वेदना से लिखी हैं तीनो ताऊ............
ReplyDeleteपर कमाल का लिखा है
@ श्री दिलिप गौड, आपकी इन्क्वायरी के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteहमारे रिकार्ड के हिसाब से शनीचरी पहेली - ६ मे भाग लेने से
आपको एक अंक प्राप्त हुआ है जो आपके अकाऊंट मे जमा होने के बाद
अभी तक का कुल जमा स्कोर अभी तक १ हुआ है.
भाग लेते रहिये.
रामराम
वाह जी वाह तीनों ही बहुत मजेदार बहुत अच्छी हैं धन्यवाद
ReplyDeleteताऊ जी कविगीरी की बधाई !
ReplyDeleteTeeno hi jabardast aur classic.
ReplyDeleteतीनों ही गजब की क्षणीकायें हैं और फोटो भी सुन्दर।
ReplyDeleteग़ज़ब रे भाई ताऊ...ग़ज़ब...बधाई तन्ने और सीमा जी ने...
ReplyDeleteनीरज
वाह कविता भी अच्छी और प्रस्तुति भी।
ReplyDeleteताऊ बहुत सुंदर लगी आप की क्षणिकाएं ओर सारे चित्र भी... धन्यवाद
ReplyDeleteताऊ को ऐंड़ी बजा कर एक कड़क सैल्युट...
ReplyDeleteसुन्दर चयन। किन्तु इसमें -'ताऊ टच' या फिर 'ताऊ इफेक्ट' होता तो सोने पे सुहागा होता।
ReplyDeleteताऊ जी को राम राम
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हें
bahut sundar kshanikayen...
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