"अहंकार"

 
युगों पुराना मेरा अहंकाahankar
जरासी चोट लगते ही

क्यों गुंजायमान हो गया 
जब जब विराट हुआ
मेरी  विजय का मान होता रहा  

दो कौडी का ये अहंकार
छोटों को लताडने और
बडॊं को दिखाने के काम आता रहा
ना अस्त्र ना शस्त्र से टूटा
टूट तो एक भावुक से क्षण मे
अहम को छोड़  अंतरात्मा मे
झांका तो इस एहसास का भान हुआ
अहंकार कोरा अहंकार ही है

और टूटना इसकी नियति है.
 
(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

Comments

  1. कहते हैं पैनी तो ऊसर मैं भी पैनी !

    उसी तरह : ताऊ तो हर रस में ताऊ !

    वाह ताऊ !

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  2. अहंकार कोरा अहंकार ही है
    और टूटना इसकी नियति है.

    --बहुत गहरी बात, सीमा जी.

    ताऊ, आपका आभार इसे यहाँ प्रस्तुत करने के लिए.

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  3. अहं का विसर्जन अगर जीवनान्त तक हो जाय तो शुभ ही है, पर हम इसे विसर्जित ही कहां कर पाते हैं अपनी इस गौरवपूर्ण(?) जीवन यात्रा में?
    जब बुद्धि का आश्रय छोड़ मन अपनी अन्तरात्मा की गोद में ढुलक जाय तो विधाता का ममत्व वह सहज ही ग्रहण कर लेता है,
    आभार सीमा जी की अर्थ-गर्भित रचना के लिये.

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  4. अब तो पक्का है कि गया हमारा प्यारा ताऊ काम से -अब यह इतनी जोरदार पोएट्री कर रहा है कि बस समझो कि किसी काम का नही रहा ! हम तो बस अब अफ़सोस ही कर सकते हैं ताऊ के इस उर्ध्वगमन पर !
    अहंकार तो टूटता ही है एक दिन ! अभिव्यक्ति सशक्त रचना -दोनों जनों को बधाई !

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  5. सही विचार और सुंदर अभिव्यक्ति।

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  6. " अहंकार वीनाश की जननी है, बेहतर है समय रहते टुट जाए....सुंदर भाव ताऊ जी"

    Regards

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  7. दो कौडी का ये अहंकार

    छोटों को लताडने और
    बडॊं को दिखाने के काम आता रहा

    ek achhi kavita ke liya apka abhar Tauji.

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  8. गहरी तक उतरी ये बात ... वाकई जबरदस्त है..

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  9. बहुत अच्छा लगता है जब ताऊ को कविता करते देख पाता हूँ. बिल्कुल सही कहा आपने:
    अहंकार कोरा अहंकार ही है
    और टूटना इसकी नियति है.

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  10. बहुत बहुत शुक्रिया आपने ब्लॉग को पढ़ा और यह अच्छा लगा जान कर कि लडकियां भी नीली वर्दी में हैं वहां ..मेरी नानी ,मासी .दादा जी वहां के गांवो में बहत समय तक पढाते रहे हैं ..तब हालात बहुत खराब थे अब पढने में तो आता है कि शिक्षा प्रसार है अब वहां ..चलिए सब शुभ हो यही दुआ कर सकते हैं ..एक बार फ़िर से तहे दिल से शुक्रिया ..कुछ बुरा लगा हो तो क्षमा .अपना ध्यान रखे

    रंजू

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  11. अहंकार का त्याग ही आगे ले जा सकता है ..अच्छी लगी यह रचना

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  12. दो कौडी का ये अहंकार
    छोटों को लताडने और
    बडॊं को दिखाने के काम आता रहा।

    बिल्कुल सच सोलह आने सच। एक पुलिस वाला एक रिक्शे वाले पर लगातार थपडो की बारिश कर उसे कानून की जानकारी देगा और वही एक लाल बती कार को देखकर अपनी दुम नीचे कर लेगा और आँखे पीछे कर लेगा। ये है उसका पुलिस वाले होने का अहंकार।

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  13. वास्तव में टूटना ही अहं की नियति है...
    सारगर्भित रचना के लिए आपका एवं सीमा जी दोनो का आभार..........

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  14. सत्या वचन. जितनी जल्दी यह आत्म्बोध हो जाए उतना ही सुखी रहेंगे. आभार.

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  15. अहंकार ने तो बडो बडो को तोड दिया, यह अंहकार ही है जो हमे अपनो से दुर ले जाता है, बहुत सुंदर लिखा.सुबह सुबह आंखे खोल दी.
    ताऊ बहुत बहुत धन्यवाद,

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  16. अच्छा लगता है जब आप इस रूप में नजर आते है.....सच मानिए मुझे यही रूप प्रीतिकर है.....

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  17. जीवन के अन्तिम satya को bayaan करती है यह रचना, प्रणाम है आपको

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  18. सही विचार...
    और सुंदर अभिव्यक्ति...

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  19. सुंदर विचार और सशक्त अभिव्यक्ति !

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  20. बहुत बढ़िया.
    दुनिया से अंहकार ख़त्म हो तो दुनिया बहुत अच्छी लगेगी.

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  21. बहुत ही अच्छी कविता है.
    विषय भी गंभीर..अंहकार!
    सच है अहंकार एक दिन टूटता है
    यह बात सभी जानते हैं लेकिन बहुत ऐसे होतेहैं/हैं जिन के सर अंहकार चढा होता है.
    उन को आप आसानी से पहचान सकते हैं.उन की बातों से पता चल जाता है--अरे बातों क्या -यहाँ
    तक की उन के ब्लॉग से भी अंहकार की लपटें आ रही होती हैं जो पाठक को दूर भगा देती हैं!:)
    मुझे तो बेहद नापसंद हैं वे सभी लोगों ,जो अंहकारी हैं.
    उन के लिए नजीर अकबराबादी की कही
    एक पंक्ति है--सब ठाठ धरा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा.

    जय राम जी की!

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  22. युगों पुराना मेरा अहंकाahankarर
    जरासी चोट लगते ही

    क्यों गुंजायमान हो गया
    जब जब विराट हुआ
    मेरी विजय का मान होता रहा

    दो कौडी का ये अहंकार

    छोटों को लताडने और
    बडॊं को दिखाने के काम आता रहा
    अति सुन्दर

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  23. एक छोटे से कंकड़ से टुकड़े-टुकड़े हो गया,
    बहुत मगरूर था, चांद पानी की गहराई में।

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  24. ताऊ रामराम
    तेरी कविता पर मेरी "नो कमेंट"
    बिकोज मुझे इस रसीली चीज की समझ ही नही है

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  25. वाह वाह बडा ही अच्छा लिखा हैं .

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  26. एक्सीलेण्ट सोच। अहंकार निश्चय ही भंगुर तत्व का बना है।

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  27. sach kaha ahankar ki umar lambi nahi hoti,sundar rahcana

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  28. अंहकार को अच्छा पकड़ा आपने ! बहुत बढ़िया.

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  29. ताऊ ये नया-नवेला रूप तो गज़ब ढ़ाता जा रहा है दिनों-दिन "टूट तो एक भावुक से क्षण मे / अहम को छोड़ अंतरात्मा मे ..."
    नमन ताऊ

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  30. अहंकार व्‍यक्‍ति‍ को अंत में अकेला कर देता है, काफी गहन वि‍षय दे दि‍या ताऊ जी आपने सोचने को।

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  31. हाय ताऊ क्या हो रिया है। सीमाजी ने तुमको बिगाड़ दिया। इत्ता।

    कविता में दो कौड़ी के अहंकार की बात अच्छी लगी।
    दो कौडी का अहंकार कौड़ी का तीन बना के छोड़ता है।

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  32. बहुत अ्च्छी कविता।

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  33. सही कहा अहंकार ही त्रास देता है।

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  34. दो कौडी का ये अहंकार
    छोटों को लताडने और
    बडॊं को दिखाने के काम आता रहा
    bahut sundar ...

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